पार्टी हाईकमान के निशाने पर रहे MP दानिश अली; महुआ मोइत्रा का साथ, तो कांग्रेस से गलबहियां पड़ी भारी
संसद में भाजपा सांसद विधूड़ी की टिप्पणी पर सहानुभूति बटोरने वाले बसपा सांसद दानिश अली की कांग्रेस से गलबहियां उन्हें भारी पड़ गईं। चार राज्यों में कांग्रेस की लुटिया डूबने के बाद बसपा हाईकमान अपने सांसद के खिलाफ सख्त हो गई हैं।
दिल्ली के सांसद ने की थी टिप्पणी
मानसून सत्र के दौरान संसद में दिल्ली से भाजपा सांसद रमेश विधूड़ी ने अमरोहा से बसपा सांसद कुंवर दानिश अली पर अमर्यादित टिप्पणी कर दी थी। इसके बाद मीडिया के सामने सांसद दानिश न सिर्फ भावुक हुए बल्कि, आंसू बहाते भी नजर आए थे। इस घटना के बाद देश भर से सहानुभूति बटोरने का प्रयास रंग लगाया। इसी क्रम में दिल्ली में उनके आवास पर न सिर्फ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय बल्कि, राहुल गांधी भी मिलने पहुंचे थे।
कांग्रेस से लड़ सकते हैं चुनाव
राजनीतिक गलियारों में चर्चा शुरू हो गई थी कि वह लोकसभा चुनाव में आइएनडीएआइ से कांग्रेस के टिकट पर मुरादाबाद से प्रत्याशी होंगे। वहीं राहुल गांधी के साथ फोटो सार्वजनिक करने के पीछे दानिश का उद्देश्य कहीं न कहीं बसपा हाईकमान को यह संदेश देना भी माना गया कि उनके पीछे मजबूत दीवार खड़ी है।
उधर, पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव को ध्यान रखते हुए
उधर, पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव को ध्यान रखते हुए बसपा हाईकमान भी समय का इंतजार करती रही। इस चुनाव में तेलंगाना को छोड़कर सभी में कांग्रेस की लुटिया डूब गई। इन नतीजों ने कार्रवाई के लिए बसपा के भी हाथ खोल दिए। इसी क्रम में शनिवार को बसपा के राष्ट्रीय महासचिव ने दानिश के निलंबन का पत्र जारी कर दिया। उन पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने का आरोप लगा है।
महुआ मोइत्रा को लेकर भी रहे निशाने पर
पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने के आराेप में संसद से निष्कासित तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा के प्रकरण को लेकर भी सांसद कुंवर दानिश अली पार्टी हाईकमान के निशाने पर रहे। इस मामले में बसपा का रुख महुआ के विरोध में था जबकि, सांसद दानिश ने उनके पक्ष में बात की।
भाजपा की नीतियों का विरोध करना अगर जुर्म तो मैं यह जुर्म करता रहूंगा
दानिश अली बसपा से निलंबन के बाद बसपा सांसद कुंवर दानिश अली ने दैनिक जागरण को फोन पर बताया कि वह अपनी पार्टी के सिद्धांतों पर काम कर रहे हैं। भाजपा की नीतियों व पूंजीवाद का हमेशा विरोध करते रहेंगे, अगर यह जुर्म है तो मैं यह जुर्म करता रहूंगा, सजा चाहे जो भुगतनी पड़े।
उनके इस रुख पर सवाल उठाते हुए जब पूछा गया कि बसपा क्या भाजपा की नीतियों के समर्थन में है, जवाब में उन्होंने कहा कि इसका विश्लेषण मीडिया करे। साथ ही कहा कि पार्टी टिकट पर चुनाव लड़ाने के लिए वह पार्टी सुप्रीमो मायावती के आजीवन शुक्रगुजार रहेंगे। अगले कदम के सवाल पर कहा कि अभी वह पार्टी के सदस्य हैं, उसकी नीतियों पर काम कर रहे हैं।