राम तुम्हारे युग का रावण अच्छा था... प्रयागराज में शब्दों से निकल रहा छात्रों का गुबार
यूपीपीसीएस (UPPCS)और आरओ/एआरओ (RO ARO)प्रारंभिक परीक्षाएं दो दिन आयोजित करने और इन परीक्षाओं में मानकीकरण (नॉर्मलाइजेशन) लागू करने के खिलाफ उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) दफ्तर के सामने चल रहे आंदोलन के तीसरे दिन भी छात्रों की मांग का कोई समाधान नहीं निकला।
सोमवार 11 बजे से धरना प्रदर्शन चल रहा लेकिन गतिरोध टूटने की कोई उम्मीद दिखाई नहीं पड़ रही। जहां हजारों छात्र अपना भविष्य दांव पर लगाकर एक दिन परीक्षा कराने की मांग पर अड़े हुए हैं वहीं आयोग के अधिकारियों के रुख में भी नरमी नहीं आ रही है।
मंगलवार को छात्रों ने आयोग अध्यक्ष संजय श्रीनेत की गुमशुदगी के पोस्टर लगा दिए थे। इसके बावजूद अध्यक्ष बुधवार को भी पूरे दिन छात्रों से मिलने नहीं पहुंचे। हालांकि बुधवार की देर रात एक बार फिर डीएम जरूर बातचीत के लिए पहुंचे। उनके साथ इस बार कमिश्नर विजय विश्वास पंत भी आए। इस बीच छात्रों के मन का गुबार शब्दों के जरिए फूट रहा है। पोस्टर और नारों के जरिए तरह तरह से आयोग पर निशाना साधा जा रहा है।
एक छात्र ने बैनर पर लिख रखा था-'राम तुम्हारे युग का रावण अच्छा था, दस के दस चेहरे तो बाहर रखता था।' एक पोस्टर पर 'जुल्मी कब तक जुल्म करेगा सत्ता के हथियारों से जर्रा जर्रा कांप उठेगा परिवर्तन के नारों से' लिखा था किसी ने लिखा था-'पापा मम्मी हिन्दू धर्म खतरे में नहीं है, आपके बेटे-बेटियों का भविष्य खतरे में है।'
दीवार पर लिखा लीक और भ्रष्ट सेवा आयोग
सोमवार रात और मंगलवार सुबह डीएम रविन्द्र कुमार मांदड़ तथा सचिव अशोक कुमार को लौटा चुके छात्रों को उम्मीद थी कि अध्यक्ष उनसे मिलने आएंगे लेकिन निराशा हाथ लगी। इंकलाब जिंदाबाद, छात्र एकता जिंदाबाद आदि नारे लगाते हुए छात्र पूरे दिन ताली, थाली, ड्रम और भोंपू बजाते रहे। गेट के सामने ही सड़क पर अध्यक्ष संजय श्रीनेत की पेंटिंग बनाकर नारेबाजी भी की। आयोग की दीवार पर लीक सेवा आयोग और भ्रष्ट सेवा आयोग लिख दिया।
शाम को लगभग छह बजे हजारों छात्रों ने गेट नंबर दो से आयोग चौराहे तक कैंडल मार्च निकाला। दिन में छात्रों के एक गुट ने महापौर गणेश केसरवानी से एएमए सभागार में मुलाकात कर उनकी मांग मुख्यमंत्री तक पहुंचाने की अपील की। इस बीच छात्र एकजुटता बनाए रखने की अपील करते रहे। बड़ी संख्या में छात्र इसी चर्चा पर टिके रहे कि उनके पक्ष में जल्द कोई निर्णय आने वाला है।
एक दिन में बिहार करा रहा परीक्षा तो यूपी में क्यों नहीं
पीसीएस 2024 व आरओ/एआरओ 2023 प्रारंभिक परीक्षाएं एक दिन और एक पाली में कराने की मांग को लेकर तीन दिन से धरना दे रहे प्रतियोगी छात्रों ने सिस्टम पर सवाल खड़े किए हैं। छात्रों का कहना है कि जब पड़ोसी राज्य बिहार का लोक सेवा आयोग संयुक्त सिविल सेवा की प्रारंभिक परीक्षा एक दिन में करा
सकता है तो क्या उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ऐसा क्यों नहीं कर सकता है? क्या यूपीपीएससी बीपीएससी से भी गया गुजरा है?
मिर्जापुर के मूल निवासी प्रतियोगी छात्र अजय सिंह का कहना है कि बिहार में 38 जिले हैं जिनमें से 34 जिलों में 13 नवंबर को परीक्षा प्रस्तावित है। बिहार की परीक्षा के लिए पौने पांच लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन किया है और यूपी पीसीएस के लिए पौने छह लाख आवेदक हैं। तो क्या यूपी के 75 जिलों में प्रारंभिक परीक्षा नहीं कराई जा सकती। आखिर क्या मजबूरी है कि यूपी में सिर्फ 41 जिलों में ही परीक्षा कराई जा रही है।
प्रतियोगी रत्नेश कुमार रत्नाकर ने कहा कि विश्वविद्यालय, महाविद्यालय, सरकारी पॉलीटेक्निक, इंजीनियरिंग कॉलेज समेत यूपी में जितनी शिक्षण संस्थाएं हैं उतनी बिहार में नहीं है। फिर लोक सेवा आयोग दो दिन परीक्षा आखिर क्यों करवा रहा है। एक अन्य छात्र आकाश मिश्रा का कहना है कि क्या नकल माफिया के डर से लाखों छात्रों का भविष्य अधर में झोंक देना उचित है। पेपर लीक होने से नहीं बचा पाना सिस्टम की कमी है, जिसका खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ रहा है।
पीसीएस 2021 प्री मामले में छात्रों से मिले थे अध्यक्ष
दो साल पहले जब हाईकोर्ट ने पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा 2021 का परिणाम निरस्त कर दिया था तो तीन अगस्त 2022 को साक्षात्कार से पहले आयोग के अध्यक्ष संजय श्रीनेत स्वयं अभ्यर्थियों के बीच पहुंच गए थे। साक्षात्कार से पहले जिस कमरे में अभ्यर्थी बैठते हैं वहां पहुंचकर अध्यक्ष ने छात्रों को सांत्वना देते हुए कहा था कि रिज़ल्ट नियत समय पर और छात्रों के हित में आएगा। अध्यक्ष ने कहा था 'मैं आपके साथ हूं हम लड़ेंगे और जीतेंगे।' उस घटनाक्रम को याद करते हुए प्रतियोगी छात्र पंकज पांडेय ने सवाल किया कि आज जब हजारों छात्र तीन दिन से आयोग के बाहर धरने पर बैठे हैं तो अध्यक्ष कहां हैं।