दियो की रौशनी से जगमगाई राम की नगरी, तस्वीरों में देखिए अद्भुत, ऐतिहासिक और अलौकिक दीपोत्सव की भव्यता
अयोध्या. उत्तर प्रदेश की अयोध्या नगरी में आयोजित दीपोत्सव ने पूरे प्रदेश की भव्यता को बढ़ा दिया। राम की पैड़ी पर करीब 15 लाख मिट्टी के दिये जलाकर गिनीज बुक वर्ल्ड ऑफ रिकॉर्ड में उत्तर प्रदेश ने नया कीर्तिमान स्थापित किया है। अयोध्या का दीपोत्सव हर बार अपना ही रिकॉर्ड तोड़ रहा है। पिछले साल 12 लाख दीयों के साथ दीपोत्सव मनाया गया था। बता दें कि साल 2017 से शुरू हुआ दीपोत्सव का सिलसिला हर बार नया रिकॉर्ड बना रहा है।
दियो की रौशनी से जगमगाई राम की नगरी
रविवार को अयोध्या की रामनगरी दीपक से रौशन हो उठी। रौशनी से अयोध्या की शाम जगमग हुई। जैसे सरयू तट पर स्वर्गलोक उतर आया हो।
अयोध्या नगरी अलौकिक दीपोत्सव की साक्षी बनी। अयोध्या में भव्य और दिव्य दीपोत्सव समारोह बेहद खूबसूरत रहा। करीब 17 लाख ‘दीयो’ से अयोध्या को रोशन किया गया।
अयोध्या में दीपोत्सव के भव्य कार्यक्रम के दौरान अयोध्या में सरयू नदी के तट पर 15 लाख से अधिक दीये जलाए गए। अयोध्या में कुल 17 लाख से अधिक दीये जलाए गए हैं जिनमें से 15 लाख 76 हजार सरयू नदी के तट पर ही जलाए गए हैं और इससे एक नया वर्लड रिकॉर्ड बना है।
अयोध्या में भव्य दीपोत्सव कार्यक्रम में रामपैड़ी के 32 घाटों पर 9 लाख और अयोध्या के बाकी हिस्सों में 3 लाखदीये जलाए गए। इस आयोजन को देखने के लिए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स की एक टीम भी अयोध्या पहुंची। विश्व रिकॉर्ड बनाने के लिए मिट्टी के एक दीए को कम से कम पांच मिनट तक जलाया गया।
15 लाख मिट्टी के दीपक जलाए जाने के बाद उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड से एर प्रमाणपत्र प्राप्त हुआ। भव्य दीपोत्सव कार्यक्रम के लिए प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल भी अयोध्या में मौजूद रही।
पीएम मोदी ने दिवाली की पूर्व संध्या पर अयोध्या पहुंचकर रामलला के दर्शन पूजन किए और इस भव्य दीपोत्सव के साक्षी बने। प्रभु राम की धरती पर जब पीएम मोदी 14 महीने बाद पहुंचे तो सबसे पहले पीएम मोदी रामलला के दर्शन के लिए पहुंचे। रामलला के दर्शन पूजन किया।
बता दें, वर्ष 2017 में पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने श्री राम की पावन भूमि अयोध्या में भव्य दीपोत्सव की शुरुआत की थी। सरयू के तट पर पहली बार 187000 दीपों से अयोध्या जगमग आ उठी थी।
अयोध्या में ना जाने कितने सदियों के बाद ऐसा भव्य उत्सव हुआ था। हर साल के साथ दीपावली के अवसर पर मनाया जाने वाला दीपोत्सव अपने भव्य से भव्यतम रूप में बदलने लगा।