रायबरेली-,,,,,जब सैंया भयो कोतवाल तो डर काहे का,तहसीलदार,,,,,,,?

रायबरेली-,,,,,जब सैंया भयो कोतवाल तो डर काहे का,तहसीलदार,,,,,,,?

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रिपोर्ट-सागर तिवारी 
मो-8742935637



ऊंचाहार-रायबरेली- जब सैंया भयो कोतवाल तो डर काहे का। यह कहावत ऊंचाहार के तहसीलदार पर बिल्कुल सटीक बैठती है। बताते है कि तहसीलदार की पत्नी मुख्यालय में समीक्षा अधिकारी के पद पर तैनात है जिसके चलते वह मनमानी पूर्वक कार्य करते है। चाहे एनटीपीसी मेले में परमिशन के बाद भी झूला हटवाने की बात हो और चाहे नियम विरुद्ध तरीके से आदेश पारित कराना हो। यह कहना गलत नहीं होगा कि जिले में  तैनात इमानदार जिलाधिकारी पर भारी पड़ रहा है तहसीलदार? तहसीलदार के ऊपर कार्यवाही न होने से सवालिया निशान लगा गया है। तहसीलदार लगातार इमानदार जिलाअधिकारी की साख पर बट्टा लगा रहे हैं। तहसीलदर के सामने नियम कानून कोई मायने नहीं रखता है। वही सूत्रों के मुताबिक तहसीलदार यह कहते हुए नजर आए की उनकी पकड़ सचिवालय तक है उनके खिलाफ वकील लोग हड़ताल करके कुछ नही कर पाए है तो और किसी की क्या बिसात है। कुछ लोगों के मानना है की जिले के एक अधिकारी का भी वह दरबारी है । जिसका उसको वरदहस्त प्राप्त है। इसके अलावा उसकी समीक्षा अधिकारी पत्नी स्वयं जिलाधिकारी पर भारी हैं। इसका जीता जागता उदाहरण यह है कि अनुसूचित जाति के व्यक्ति की कृषि योग्य भूमि को बिना परमिशन के दाखिल खारिज कर दिया है। हद तो तब हो गई जब विक्रेता शिकायती प्रार्थना पत्र लेकर दर-दर भटकता रह गया। जानकारी के मुताबिक तहसील क्षेत्र के रसूलपुर गांव निवासी रामलाल अनुसूचित जाति की भूमि संख्या 1339 रकबा 0. 339 का बैनामा पिछड़ी जाति के कुसमा देवी के नाम फर्जी परमिशन के आधार पर कर दिया गया था। जिसके दाखिल खारिज का विवाद तहसीलदार न्यायालय में लंबित था। क्योंकि उक्त भूमि गंगा एक्सप्रेसवे में जा रही थी ।जिसके कारण तत्कालीन लेखपाल वर्तमान तहसीलदार ने मोटी रकम लेकर भूमि का दाखिल खारिज कर दिया। जबकि विक्रेता ने दाखिल खारिज पर आपत्ति भी लगा रखी थी। और उसने अब तक इस संबंध में उच्चाधिकारियों को कई प्रार्थना पत्र देकर तहसीलदार के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। किंतु वर्तमान तहसीलदार के सामने नियम कानून मायने नहीं रखते । बीते तहसील दिवस में पीड़ित ने मामले की शिकायत तहसील दिवस में भी की किंतु तहसीलदार ने देखते ही उक्त प्रार्थना पत्र को अपने हाथ में ले लिया और मामले को रफा-दफा करते हुए डिस्पोज कर दिया। बताते है की बैनामे में एक फर्जी परमीशन भी लगाई गई है। अब मामला यह भी बनता है की आखिर यह कूटरचित सरकारी दस्तावेज किसने बनवाया।अब देखना यह है कि इमानदार जिलाधिकारी इस भ्रष्ट तहसीलदार के खिलाफ क्या कारवाही करती हैं।