Raibareli-अपराधियो की अब खैर नहीं

Raibareli-अपराधियो की अब खैर नहीं
Raibareli-अपराधियो की अब खैर नहीं

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रिपोर्ट-ओम द्विवेदी(बाबा)
मो-8573856824


रायबरेली-- अब अपराधियों की कुंडली पता करने के लिए ज्यादा जद्दोजहद नहीं करनी पड़ेगी। जी हां, कंप्यूटर पर क्लिक करते ही फोटो के साथ उनका आपराधिक ब्योरा भी स्क्रीन पर आ जाएगी। इसके लिए नाफिस (नेशनल आटोमेटेड फिंगर प्रिंट आइडेंटिफिकेशन सिस्टम) में बंदी और कैदियों का डेटा सुरक्षित किया जा रहा है। यही नहीं, इस डिजिटल व्यवस्था में देशभर के

 अपराधियों का ब्यौरा संग्रहित होगा। दरअसल अभी तक सजायाफ्ता अपराधियों का ब्यौरा कागजों पर एकत्रित किया जाता था। जेल जाने पर उसकी फोटो और उंगलियों के निशान लिए जाते थे। अब ये प्रक्रिया डिजिटल कर दी गई है। इसके लिए अंगुलि चिन्ह इकाई में तीन कंप्यूटर, स्कैनर और कैमरा लगा दिया गया है।रायबरेली जनपद में भी  लखनऊ मुख्यालय से एक सिपाही प्रशिक्षित होकर आ गया है। दो सिपाहियों को अभी ट्रेनिंग के लिए जाना है। बता दें कि बंदी पहचान

 अधिनियम 1920 निरस्त करके दंड प्रक्रिया अधिनियम 2022 को लागू किया गया है। इस अधिनियम के तहत अब सिर्फ सजायाफ्ता ही नहीं, बल्कि सात साल इससे ज्यादा सजा वाले मामले में जेल जाने वाले बंदियों का डेटा भी सुरक्षित किया जाएगा। अब बंदी और कैदियों के हाथ और पैर की उंगलियों के निशान स्कैनर मशीन के जरिए कंप्यूटर पर सुरक्षित किए जाएंगे। कंप्यूटर में लगे कैमरे से उनकी फोटो खींचकर नाफिस सिस्टम पर अपलोड की जाएगी। कोई अज्ञात शव

 मिलता है तो उसकी उंगलियों के निशान भी सुरक्षित किए जाएंगे। अंगुलि चिन्ह इकाई में बंदी, कैदी और अज्ञात शवों की जो सूचना संग्रहित की जाएंगी, उन्हें राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो नई दिल्ली भेजा जाएगा। कोई बंदी अगर बाद में निर्दोष साबित होता है, तो उससे जुड़ी जानकारी सिस्टम से डिलीट करने के लिए अंगुलि चिन्ह ब्यूरो लखनऊ या फिर एनसीआरबी से ही संपर्क करना पड़ेगा। इसके लिए कोर्ट में पेश किए गए अहम साक्ष्य भी देने होंगे।

नाफिस सिस्टम में सभी राज्यों के सभी जिलों के अपराधियों का ब्यौरा सुरक्षित किया जाएगा। जीआरपीए, एटीएस, एसटीएफ और पुलिस प्रशिक्षण संस्थानों में भी इसके लिए यूनिट स्थापित की जा चुकी है। एक जुलाई से इस सिस्टम पर काम भी शुरू कर दिया गया है।
इस मामले को लेकर रायबरेली जिले के अपर पुलिस अधीक्षक से बात की गई तो उन्होंने बताया कि नाफिस सिस्टम से अपराधियों का ठीकठाक डेटा एक ही जगह से मिल जाएगा। इससे पुलिसिंग में काफी सहूलियत मिलेगी। पुलिस अधीक्षक कार्यालय में इसके लिए कंप्यूटर, स्कैनर और कैमरे लगाए जा चुके हैं।