Raibareli-भाद्र मास की पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी

Raibareli-भाद्र मास की पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी

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रिपोर्ट-पिंटू तिवारी

डलमऊ-रायबरेली-भाद्र माह की पूर्णिमा के शुभ अवसर पर लाखों श्रद्धालुओं ने कस्बे के विभिन्न घाटों पर स्नान कर मन्नते मांगी। बुधवार को भाद्र माह की पूर्णिमा के शुभ अवसर पर दूरदराज से श्रद्धालु एक दिन पहले ही स्नान घाट पर पहुंचकर अपना जमावड़ा कर लिया तथा रात में ढोल मजींरो की धुन में भक्ति गीत भी गाए जिससे डलमऊ गंगा तट सांस्कृतिक गीतों से गूंज उठा। सुबह होने पर श्रद्धालुओं ने गंगा नदी में स्नान करना प्रारंभ कर दिया सुबह 8 बजे से लेकर 10 बजे के बीच श्रद्धालुओं की भारी भीड़ घाटों पर लगी रही दोपहर 12 बजे तक स्नान घाटों से श्रद्धालु अपने अपने क्षेत्रों के लिए रवाना हो गए। पूर्णिमा पर स्नान करने आए श्रद्धालुओं ने अपने-अपने तीर्थ पुरोहितों को वस्त्र दान, पात्र दान, दक्षिणा देकर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया । भाद्र मास की पूर्णिमा का एक अलग ही महत्व है। हिंदू परंपरा के अनुसार बताते हैं कि वर्ष की 11 पूर्णिमा पर स्नान करने से उतना ही पुण्य मिलेगा जितना कि भाद्र मास की पूर्णिमा पर स्नान करने से मिलेगा। इस पूर्णिमा पर स्नान करने के लिए विभिन्न लोको में विराजमान पित्र देव स्वयं गंगा नदी में स्नान करने के लिए आते हैं।

इन क्षेत्रों से आए थे श्रद्धालु

भाद्र माह की पूर्णिमा पर स्नान करने के लिए फैजाबाद, बाराबंकी, सुल्तानपुर, जगदीशपुर, अमेठी, महाराजगंज, हैदरगढ़, बछरावां, सहित लखनऊ मंडल तक से श्रद्धालु डलमऊ गंगा घाट पर आए हुए थे तथा गंगा नदी में स्नान कर घाटों के पास स्थित देवी-देवताओं के मंदिरों में पूजा अर्चना कर परिवार कल्याण के लिए मन्नतें मांगी। जाम की समस्या ना उत्पन्न हो इसलिए प्रशासन की तरफ से विभिन्न मुख्य मार्गों पर बेरियल की व्यवस्था की गई थी। इसके साथ ही मियांटोला के पास स्नान घाट से लगभग एक किलोमीटर दूरी पर अस्थाई वाहन की व्यवस्था की गई थी। जिससे वृद्ध एवं बच्चों व विकलांगों को स्नान घाट तक पहुंचने में भारी समस्याओं का सामना ना करना पड़े। स्नान घाटों तक दो पहिया वाहन प्रवेश करने की प्रशासन ने अनुमति दी थी। वहीं मुख्य मार्ग पर सजी दुकानों की वजह से छिटपुट जाम की स्थिति पैदा हो गई जिससे समय रहते प्रशासन ने उससे निजात दिलाई।

श्रद्धालुओं ने कराया तर्पण

भाद्र माह की पूर्णिमा के समापन होने के पश्चात पितृपक्ष आरंभ हो चुका है। इस दौरान श्रद्धालुओं ने अपने अपने तीर्थ पुरोहितों से विशाल मंत्रोउच्चारण के साथ जल तर्पण किया। बताया जाता है कि पितृपक्ष 15 दिन तक रहेंगे इन दिनों अपने पितरों पूर्वजों को जल तर्पण करने से मनुष्य की सभी परेशानियाें से मुक्ति मिलती है। तथा शरीर निरोग एवं परिवार के सदस्यों को हर कदम सफलता हाथ लगती है। पितृपक्ष के दौरान रिश्तेदारी में रात्रि विश्राम करना निषेध माना गया है सूर्य अस्त के दौरान जल तर्पण कर रहे व्यक्ति को दूसरे के घर का भोजन नहीं कराना चाहिए।