राम भद्राचार्य ने क्‍यों दी पश्चिमी यूपी के 'पाकिस्तान' बनने की चेतावनी, इन 5 बातों पर गौर करिए

राम भद्राचार्य ने क्‍यों दी पश्चिमी यूपी के 'पाकिस्तान' बनने की चेतावनी, इन 5 बातों पर गौर करिए

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जगद्गुरु स्वामी राम भद्राचार्य ने हाल ही में उत्तर प्रदेश के मेरठ में रामकथा के दौरान कुछ ऐसा कह दिया जिस पर राजनीति शुरू हो गई है. उन्होंने पश्चिमी उत्तर प्रदेश को मिनी पाकिस्तान जैसा बता दिया.

उनका बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. उन्होंने कहा, कि आज हिंदुओं पर बहुत संकट है. अपने ही देश में हम हिंदू धर्म को उतना न्याय नहीं दे पा रहे हैं.

राम भद्राचार्य ने कहा कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आकर ऐसा लगता है मानो कि यह मिनी पाकिस्तान है. संभावना है कि उनका यह बयान वेस्ट यूपी में तेजी से बढ़ती मुस्लिम आबादी, हिंदू पलायन और कथित धार्मिक असंतुलन के चलते आया है. पर इससे भी इनकार नहीं किया जा सकता कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लाल किले के प्राचीर से इस साल बोले गए भाषण का यह स्वाभाविक विस्तार है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की बदलती डेमोग्राफी पर चिंता जाहिर की थी. पीएम मोदी ने साफ-साफ शब्दों में कहा, 'मैं आज एक चिंता और चुनौती के संबंध में आगाह करना चाहता हूं. सोची-समझी साजिश के तहत देश की डेमोग्राफी को बदला जा रहा है, एक नए संकट के बीज बोए जा रहे हैं. ये घुसपैठिए मेरे देश के नौजवानों की रोजी-रोटी छीन रहे हैं. ये घुसपैठिए मेरे देश की बहन-बेटियों को निशाना बना रहे हैं, यह बर्दाश्त नहीं होगा.'

प्रधानमंत्री का यह बयान वैसे तो बंग्लादेश और म्यांमार की सीमा पर हो रहे अवैध घुसपैठ को लेकर था. पर उत्तर प्रदेश की राजनीतिक हालत से वाकिफ लोगों को पता है कि पश्चिमी यूपी में वास्तव में डेमोग्रेफी चेंज चिंता का विषय है. इस साल होने वाले बिहार विधानसभा चुनावों, 2026 में बंगाल विधानसभा चुनावों में तो यह प्रमुख मुद्दा बनने वाला ही था, पर अब लगता है कि यूपी में 2027 में होने वाले विधानसभा चुनावों में भी डेमोग्रेफी परिवर्तन बड़ा मुद्दा लगेगा.

1-क्यों पश्चिमी यूपी को कहा जा रहा मिनी पाकिस्तान

पश्चिमी उत्तर प्रदेश (जैसे मेरठ, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, मुरादाबाद, बिजनौर, रामपुर आदि) को 'मिनी पाकिस्तान' पहले भी आम तौर बोल दिया जाता रहा है. इसका मुख्य कारण मुस्लिम जनसंख्या के चलते रहा है. पश्चिमी यूपी में मुस्लिम आबादी 25-30% के करीब है. (कासगंज, संभल, अमरोहा में 40% से अधिक) जो 1951 के बाद करीब 15% से ज्यादा बढ़ी है. 2011 जनगणना के अनुसार, मुजफ्फरनगर में 43% मुस्लिम, जबकि हिंदू बहुमत घट रहा है. उम्मीद की जा रही है कि नई जनगणना में मुस्लिम जनसंख्या का परसेंटेज और अधिक होगा.

पूर्व बीजेपी विधायक संगीत सोम ने भी 2023 में इसी तरह का बयान दिया था. उन्होंने दावा किया था कि बढ़ती मुस्लिम आबादी और तुष्टिकरण की राजनीति से पश्चिमी यूपी 'मिनी पाकिस्तान' बन रहा है. दरअसल कई शहरों और कस्बों के मुस्लिम आबादी के बीच से हिंदुओं के पलायन के चलते ऐसी भावना पैदा हो रही है कि वेस्ट यूपी पाकिस्तान बन रहा है. अभी इसी साल कासगंज (2025) के सराय जुनारदार गांव में हिंदुओं ने घर बेचने के पोस्टर लगाए, क्योंकि होली दहन भूमि पर मस्जिद बनी और उत्पीड़न बढ़ा.

इसके पहले कैराना से हिंदुओं के पलायन की खबर राष्ट्रीय खबर बनी थीं. मेरठ में एक सोसायटी में हिंदुओं को फ्लैट न बेचने की खबर भी अभी कुछ दिनों पहले चर्चा में आई थी. संभल से हिंदुओं की पलायन की खबर पर तो अब सरकारी रिपोर्ट भी आ चुकी है कि किस तरह साजिश के तह यहां से हिंदुओं को भगाया गया.

लव जिहाद के मामले में इस इलाके में देश में सर्वाधिक सामने आए हैं. 2024 में करीब 200 से अधिक मामले केवल पश्चिमी यूपी में आए. लेकिन सजा दर 20 प्रतिशत से भी कम रही.

2-क्या यह मोदी के डेमोग्रेफी चेंज को विस्तार देने की कवायद है

राम भद्राचार्य का बयान मोदी की डेमोग्राफी चेंज चिंता को विस्तार देने की कवायद हो सकती है. यह बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया चेतावनियों से मेल खाता है, जिसमें उन्होंने घुसपैठ और जनसांख्यिकी बदलाव को राष्ट्रीय सुरक्षा से जोड़ा. क्या यह बयान मोदी की डेमोग्रेफी चिंता को स्थानीय स्तर पर विस्तार देने की रणनीति है? 15 अगस्त को पीएम ने हाई पावर्ड डेमोग्रेफी मिशन की घोषणा की, जो घुसपैठियों को रोकने और आबादी संतुलन बनाए रखने पर केंद्रित है.

22 अगस्त को उन्होंने बिहार में दोहराया कि घुसपैठिये डेमोग्रेफी बदल रहे हैं. एनडीए सरकार इसे रोकेगी. 15 सितंबर को असम में में पीएम ने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में डेमोग्रेफी बदलने की साजिश हो रही है. घुसपैठियों को आश्रय देने वालों को कीमत चुकानी पड़ेगी. इसके पहले पिछले साल अक्टूबर में पीएम ने झारखंड में चिंता जताई थी कि अवैध प्रवासियों द्वारा जनजातीय भूमि पर कब्जे और डेमेग्राफी बदलने की कोशिश की जा रही है.

मोदी का यह नैरेटिव अवैध घुसपैठ, उच्च जन्म दर और सांप्रदायिक असंतुलन पर केंद्रित है, जो खासकर सीमावर्ती राज्यों (यूपी, असम, पश्चिम बंगाल) में चिंता का विषय है.राम भद्राचार्य का बयान पश्चिमी यूपी में हिंदू पलायन, मुस्लिम आबादी वृद्धि और घुसपैठ पर केंद्रित है. उन्होंने संभल जैसे क्षेत्रों में हिंदुओं के पलायन और धार्मिक असंतुलन का जिक्र किया, जो मोदी के डेमोग्रेफी मिशन से मेल खाता है. जाहिर है कि डेमोग्रेफी मिशन में कहीं से भी पश्चिम यूपी की बात नहीं हो रही थी.रामभद्राचार्य के इस बयान के बाद उम्मीद है कि पश्चिम यूपी के जिलों की चर्चा शुरू होगी.

पश्चिमी यूपी (मेरठ, सहारनपुर, रामपुर) सीमावर्ती क्षेत्र है, जहां 2011 की जनगणना के अनुसार मुस्लिम आबादी 30-50% है. राम भद्राचार्य ने इसे मिनी पाकिस्तान कहकर मोदी के घुसपैठ नैरेटिव को स्थानीय रंग दिया है.

3- क्या यह 2027 के यूपी विधानसभा चुनावों की तैयारी है?

जगद्गुरु स्वामी राम भद्राचार्य के मिनी पाकिस्तान वाले बयान को 2027 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के संदर्भ में एक रणनीतिक कदम के रूप में देखा जा रहा है. क्या यह वास्तव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और योगी आदित्यनाथ के लिए चुनावी जमीन तैयार करने की रणनीति है? राम भद्राचार्य का बयान पश्चिमी यूपी के संवेदनशील डेमोग्राफिक मुद्दे को उठाता है, जो बीजेपी के लिए हमेशा से महत्वपूर्ण रहा है.

पश्चिमी यूपी (मेरठ, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, रामपुर आदि) में 2011 की जनगणना के अनुसार मुस्लिम आबादी 30-50% है, और हिंदू पलायन व घुसपैठ की शिकायतें लंबे समय से हैं. 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों के बाद इस क्षेत्र में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण बीजेपी के लिए 2014, 2017 और 2019 के चुनावों में फायदेमंद रहा. जाहिर है कि राम भद्राचार्य का बयान हिंदू वोटरों को एकजुट करने और डेमोग्रेफी को चुनावी मुद्दा बनाने की दिशा में एक कदम प्रतीत होता है

बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में हिंदुत्व को अपनी मुख्य रणनीति बनाया है. योगी आदित्यनाथ की सरकार ने एंटी-कन्वर्जन लॉ, बुलडोजर एक्शन और अवैध प्रवासियों पर कार्रवाई के जरिए इस छवि को मजबूत किया. राम भद्राचार्य का बयान, जो हिंदू धर्म पर संकट और मिनी पाकिस्तान जैसे भावनात्मक शब्दों से भरा है, हिंदू वोटरों में डर और एकजुटता का भाव पैदा कर सकता है. यह बयान योगी सरकार की नीतियों को अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन देता है, लेकिन साथ ही यह संदेश देता है कि और सख्ती की जरूरत है. यह 2027 में बीजेपी के लिए हिंदू खतरे में नैरेटिव को फिर से ताकत दे सकता है.

4-पश्चिम यूपी में घटती लोकप्रियता के लिए जरूरी

2022 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी का पश्चिमी यूपी में प्रदर्शन 2017 के मुकाबले अच्छा नहीं रहा. 2017 के चुनावों में बीजेपी ने इस क्षेत्र में करीब 100 सीटें जीती थीं, लेकिन 2022 में किसान आंदोलन, जातिगत समीकरणों (जैसे जाट वोटों का ध्रुवीकरण) और सपा-राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) गठबंधन के कारण बीजेपी का प्रदर्शन कमजोर रहा. बीजेपी 2022 में पश्चिमी यूपी की 85 सीटें ही जीत सकी. मतलब साफ है कि बीजेपी के हाथ से चीजें निकल रही हैं.

शामली, मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर और मेरठ जैसे जिलों में बीजेपी को झटका लगा था. उदाहरण के लिए, शामली जिले की तीनों सीटें सपा गठबंधन ने जीतीं. मेरठ और मुजफ्फरनगर में जाट वोट सपा-आरएलडी की ओर गए. हालांकि आगरा, मथुरा, गाजियाबाद, गौतम बुद्ध नगर, बुलंदशहर, हापुड़ और अलीगढ़ जैसे जिलों में बीजेपी ने करीब करीब सभी सीटें जीतकर अपनी इज्जत बचा ली थी.

5- क्‍या यह योगी आदित्यनाथ के लिए अगला मोर्चा है?

जगद्गुरु स्वामी राम भद्राचार्य के बयान को कुछ लोग उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रशासनिक नीतियों की आलोचना के रूप में देख रहे हैं. कम से कम विपक्ष जरूर इस बात पर तंज कस रहा है. राम भद्राचार्य ने कहा था कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आकर ऐसा लगता है मानो यह मिनी पाकिस्तान है. यह बयान शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के एक कथन का जवाब था, जिन्होंने कहा था, योगी के राज में पश्चिमी यूपी पाकिस्तान बन रहा है.

राम भद्राचार्य ने इस पर सहमति जताते हुए कहा कि यह सत्य है और योगी सरकार को इस दिशा में और सख्त कदम उठाना चाहिए. सीधे तौर पर यह बयान योगी आदित्यनाथ के शासन में पश्चिमी यूपी में डेमोग्रेफिक बदलाव को रोकने में नाकामी की ओर इशारा करता है. हालांकि बयान को गहराई से देखें तो एक चेतावनी और सुझाव प्रतीत होता है.

राम भद्राचार्य ने हिंदुओं के पलायन, अवैध घुसपैठ और मुस्लिम आबादी में वृद्धि पर चिंता जताई. उन्होंने हिंदू परिवारों से तीन संतान पैदा करने और हर घर में धर्म की पाठशाला खोलने का आह्वान किया. यह योगी सरकार की नीतियों की असफलता से ज्यादा हिंदू समुदाय और सरकार दोनों को जागरूक करने की कोशिश थी. योगी आदित्यनाथ को हिंदुत्व का मजबूत चेहरा माना जाता है, और राम भद्राचार्य जैसे संतों का उनसे अपेक्षा रखना स्वाभाविक है.

योगी आदित्यनाथ की सरकार ने 2017 से कई सख्त कदम उठाए हैं, जो डेमोग्रेफिक बदलाव और सांप्रदायिक तनाव को नियंत्रित करने के लिए ही एंटी-कन्वर्जन लॉ (2020) लाए. अवैध निर्माण और अपराधियों के खिलाफ सख्ती, जिसे कुछ लोगों ने मुस्लिम-विरोधी माना है. यूपी पुलिस ने कई बार अवैध प्रवासियों को पकड़ा, जैसे 2025 में रामपुर में एनआईए छापे. 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों के बाद योगी सरकार में बड़े दंगे नहीं हुए.

राम भद्राचार्य का बयान इन मुद्दों को उजागर करता है, जो अप्रत्यक्ष रूप से योगी सरकार की नीतियों की सीमाओं को दर्शाता है. उदाहरण के लिए, संभल में 2024 में सांप्रदायिक तनाव और हिंदू परिवारों का पलायन योगी के लॉ एंड ऑर्डर दावों पर सवाल उठाता है. राम भद्राचार्य योगी के हिंदुत्ववादी एजेंडे के समर्थक हैं और उनकी सरकार की सख्ती की तारीफ करते रहे हैं. बयान में योगी को सीधे दोष देने के बजाय, उन्होंने स्थिति की गंभीरता पर ध्यान दिलाया गया है.