रायबरेली-एनटीपीसी स्थित जीवन ज्योति अस्पताल में अब एक बार फिर भ्रष्टाचार की परतें खुलने लगी जाने कैसे,,,,,,

रायबरेली-एनटीपीसी स्थित जीवन ज्योति अस्पताल में अब एक बार फिर भ्रष्टाचार की परतें खुलने लगी जाने कैसे,,,,,,
रायबरेली-एनटीपीसी स्थित जीवन ज्योति अस्पताल में अब एक बार फिर भ्रष्टाचार की परतें खुलने लगी जाने कैसे,,,,,,

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    रिपोर्ट-सागर तिवारी

ऊंचाहार- रायबरेली- एनटीपीसी में स्थित जीवन ज्योति अस्पताल में अब एक बार फिर भ्रष्टाचार की परतें खुलने लगी हैं । इसकी एक झलक सीएमओ और ठेकेदार के बीच हुई जुगलबन्दी से तीन भर्तियों में दिख चुकी है। दरअसल भर्तियों का एक बकायदे मानक होता। किसी भी पद पर अभ्यर्थियों के चयन की प्रक्रिया में निविदा जारी की चाहिए जिसका व्यापक प्रचार प्रसार होना चाहिए। जिसमें मापदंड के अनुसार अभ्यर्थी आवेदन करते हैं। उसके बाद उनकी शैक्षिक और प्रशिक्षण प्रमाण पत्रों की जांच के बाद साक्षात्कार प्रक्रिया पूर्ण करके योग्यता के आधार पर उनका चयन किया जाना विधिवत है। किन्तु आरोप है कि एनटीपीसी के जीवन ज्योति अस्पताल में  ऐसा बिल्कुल नहीं किया गया है। यहां सीएमओ और ठेकेदार के गठजोड़ से बेरोजगारों का फायदा उठाते हुए मनमानी धन उगाही करके एक्सरे टेक्नीशियन, फार्मासिस्ट और ओटी टेक्नीशियन की भर्ती कर भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया है। 
एनटीपीसी अस्पताल में भ्रष्टचार की यह कोई पहली घटना नहीं इसके पूर्व तत्कालीन सीएमओ पर भी गम्भीर आरोप लगे थे। उन्होंने भी ऐसे ही ठेकेदार को भर्ती  का कॉन्ट्रेक्ट और एक शख्स को अस्पताल में दवाईयों की आपूर्ति का ठेका दिलाने के नाम पर लाखों की हेरा फेरी की थी। जिसमें उन्होंने अपनी पत्नी के साथ विदेश की हवाई यात्रा की थी। जिसका खर्च ठेकेदार ने वहन किया था और दवाईयों की आपूर्ति का ठेका दिलाने के नाम दस लाख रूपये की रिश्वत लेने की बात सामने आई थी। जिसका खुलासा सीबीआई टीम की जांच में हुआ था। तब एनटीपीसी ने तत्कालीन सीएमओ डॉक्टर ( सिंह ) उपनाम को जांच रिपोर्ट आने के बाद दोषी मानते हुए उस वक्त उनके रिटायरमेंट के समय से पहले ही बर्खास्त कर दिया था। जबकि उनके रिटायरमेंट में महज कुछ ही महीने बचे थे। 


अब यहां मजे की बात यह है कि वर्तमान समय की सीएमओ साहिबा का भी रिटायरमेंट को चन्द महीने ही बचे हैं और उनपर ठेकदार से सांठगांठ करके भर्ती घोटाले की बात सामने आई है। यूनियन के एक नेता के बढ़ावे पर ठेकेदार और सीएमओ के गठजोड़ से इतना बड़ा घोटाला किया गया है। इतना ही नहीं यदि एनटीपीसी या स्थानीय प्रशासन ने मामले संज्ञान न लिया तो आगे भी घोटाला करने की योजना है।