रायबरेली-ऊंचाहार में राहुल गांधी की नहीं अजयपाल सिंह की गांव गांव चर्चा , एकसाथ खड़ा हुआ जनमानस

रायबरेली-ऊंचाहार में राहुल गांधी की नहीं अजयपाल सिंह की गांव गांव चर्चा , एकसाथ खड़ा हुआ जनमानस

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   रिपोर्ट-सागर तिवारी

ऊंचाहार-रायबरेली -पूरे संसदीय  क्षेत्र में कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी भले चुनाव लड़ रहे हो , हर तरफ उनकी चर्चा हो किंतु ऊंचाहार विधान सभा में चुनाव के हीरो पूर्व विधायक कुंवर अजय पाल सिंह है । यहां के घर घर में उन्ही की चर्चा है और उन्ही का जोर भी ।
      ऊंचाहार क्षेत्र के अरखा गांव निवासी कांग्रेस के पूर्व विधायक कुंवर अजय पाल सिंह का अपना व्यक्तित्व है , वैभव है , पराक्रम है और उनकी अपनी एक अलग जन स्वीकार्यता है ।  साल 2019 से एक पारिवारिक हादसे के बाद से वह राजनीति से दूर हो गए थे । सार्वजनिक कार्यक्रमों में भागीदारी नहीं करते थे , किंतु राहुल गांधी के इस चुनाव में वह सक्रिय हुए तो क्षेत्र की जनता ने उनको सिर आंखों पर बैठा लिया है । असाधारण आकर्षण  के धनी पूर्व विधायक ने इस चुनाव को एक ऐसे स्थान पर लाकर खड़ा कर दिया है , जहां से केवल वो ही वो नजर आते हैं। पांच साल बाद राजनीति में उनकी सक्रियता बढ़ी तो उनके साथ पूरी विधान सभा का कारवां खड़ा हुआ है । रात दिन गांव गांव घर घर पहुंचकर लोगों से मिलते हैं तो पूरा हुजूम उमड़ पड़ता है । क्षेत्रीय नेताओं में इतनी लोकप्रियता शायद ही कहीं देखने को मिले जो इस समय ऊंचाहार में नजर आ रही है । उनके व्यक्तित्व ने जातियों में बंटे समाज को एकसूत्र में पिरो दिया है । हिंदू, मुस्लिम, दलित, ओबीसी, सवर्ण सभी एक साथ एक सुर में कुंवर अजयपाल सिंह के साथ उठ खड़ा हुआ है ।
    कुंवर अजय पाल सिंह इस चुनाव में भाजपा के लिए बड़ी चुनौती के रूप में सामने आए हैं। ऊंचाहार विधान सभा क्षेत्र में भाजपा ने कई राज्यों के बड़े नेताओं को गांव गांव में भेजा है , जिसमें उपमुख्यमंत्री , पूर्व मंत्री , विधायक और बड़े संगठन के पदाधिकारी शामिल है , किंतु कोई भी नेता कुंवर अजय पाल सिंह के तिलिस्म को तोड़ नहीं पाया है । क्षेत्र के लोग राजा अरखा के इस नए रूप को देखकर गदगद हैं तो दूसरे नेता काफी हैरान भी है ।
    क्षेत्र के वरिष्ठ पत्रकार रमेश शुक्ला बताते हैं कि कुंवर अजयपाल सिंह जैसा व्यक्तित्व पूरे प्रदेश में कहीं नहीं है । उनकी ईमानदारी , सहजता और सौम्यता का हर कोई कायल है । उन्होंने कभी अपने विरोधी तक को विरोधी नहीं माना । श्री शुक्ल आगे बताते है कि उन्होंने अक्सर देखा है कि क्षेत्र का कोई व्यक्ति उनका विरोध करता है और जब वह किसी काम से उनके पास पहुंचता है तो उसे एहसास तक नहीं होने देते कि तुमने कभी उनका विरोध किया है । यही कारण है कि वो जहां खड़े हो जाते है तो विरोधी भी उनके सामने नतमस्तक होता है ।