10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव का मैदान तैयार फिर सियासी अखाड़े पर साथ उतरेगें यूपी के लड़के
लोकसभा चुनाव के बाद अब जबकि सरकार का गठन हो चुका है और केंद्र सरकार काम करना शुरू कर चुकी है तो अब सबकी निगाहें उत्तर प्रदेश की ओर हैं. वजह ये है कि देश की सबसे ज्यादा संसदीय सीटों वाले सूबे में अगले कुछ महीनों में उपचुनाव होने वाले हैं.
10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव की जमीन तैयार हो चुकी है, लेकिन एक बड़ा सवाल यह है कि क्या अखिलेश और राहुल की दोस्ती सूबे में भी जारी रहेगी?
9 विधायक बन चुके हैं सांसद
लोकसभा चुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और प्रमुख विपक्षी समाजवादी पार्टी के कुल नौ विधायक विभिन्न लोकसभा सीटों से जीते.उनमें से अधिकांश ने अपनी लोकसभा सीटें बरकरार रखने के लिए पहले ही विधानसभा से इस्तीफा दे दिया है. इसके अलावा, सिशामऊ विधानसभा सीट खाली होने जा रही है, क्योंकि इसके विधायक इरफान सोलंकी को आगजनी के मामले में 7 साल की सजा सुनाए जाने के बाद सदन की सदस्यता खोने की कगार पर है.
सपा प्रमुख ने भी खाली कर दी अपनी विधानसभा सीट
वहीं, सपा प्रमुख और कन्नौज के सांसद अखिलेश यादव ने पहले ही अपनी करहल विधानसभा सीट खाली कर दी है ताकि वह अपनी संसदीय सीट बरकरार रख सकें, जहां उन्होंने भाजपा के सुभ्रत पाठक को भारी अंतर से हराकर जीत हासिल की थी, जबकि पार्टी के मिल्कीपुर (अयोध्या) विधायक अवधेश प्रसाद और लालजी वर्मा ने भी यही किया, उन्होंने भी अपनी विधानसभा सीटों से इस्तीफा देकर संसदीय सीटें हासिल की हैं.
जीत की लय जारी रखना चुनौती
राज्य और केंद्र में मोदी-योगी फैक्टर और डबल इंजन सरकार होने के बावजूद लोकसभा चुनाव में औसत से कम प्रदर्शन के बाद यह भगवा पार्टी के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई होने जा रही है. वहीं, यूपी में लोकसभा चुनाव में 10 साल के लंबे सूखे के बाद हासिल की गई जीत की लय को जारी रखने के लिए सपा और कांग्रेस कोई कसर नहीं छोड़ेंगी. 10 विधानसभा सीटों में से, यह अयोध्या की मिल्कीपुर विधानसभा सीट है जो शहर के बदलाव और राम मंदिर के निर्माण के बावजूद अयोध्या में हार के बाद भाजपा के निशाने पर होगी. बीजेपी सूत्रों का दावा है कि फैजाबाद में पासी उम्मीदवार से हारने के बाद बीजेपी मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव में पासी उम्मीदवार को उतारने पर विचार कर रही है.
करहल से किसे उतारेगी सपा
समाजवादी पार्टी करहल विधानसभा सीट से अखिलेश यादव के भतीजे और मैनपुरी के पूर्व सांसद तेज प्रताप यादव को मैदान में उतार सकती है. 2022 में अखिलेश ने बीजेपी उम्मीदवार और पूर्व एसपी नेता एसपी सिंह बघेल को 67000 वोटों के अंतर से हराकर यह सीट जीती थी. हालाँकि, 2022 के विधानसभा चुनावों तक दुनिया की इन द्विध्रुवीय सीटों पर लगभग लड़ाई सपा और भाजपा के बीच है, लेकिन लोकसभा चुनावों में यूपी में अपने ठोस प्रदर्शन के बाद, कांग्रेस भी इंडिया ब्लॉक के हिस्से के रूप में कुछ सीटों पर नजर गड़ाए हुए है.
क्या जारी रहेगा गठबंधन, कांग्रेस को कितनी सीटें हो सकती हैं ऑफर
यूपी कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडे और यूपी कांग्रेस प्रमुख अजय राय ने इंडिया टुडे टीवी से कहा कि 2027 के विधानसभा चुनाव में भी सपा के साथ गठबंधन रहेगा. वहीं, दलित और गैर-यादव ओबीसी वोट के बड़े पैमाने पर सपा की ओर खिसकते देख सपा भी इस पर नरम हो गई हैं. कांग्रेस ने इनमें से कुछ सीटों पर उम्मीदवार उतारने में अपनी रुचि दिखाई है क्योंकि पार्टी को यूपी में सफल गठबंधन को आगे ले जाने की उम्मीद है. सूत्रों के मुताबिक, सपा कांग्रेस पार्टी को एक से दो सीटें ऑफर कर सकती है, जिसमें गाजियाबाद भी शामिल हो सकता है.
इन सीटों पर भी उपचुनाव
अन्य सीटें जिन पर उपचुनाव होंगे, वे हैं कैथेरी, जिसके विधायक लाल जी वर्मा भाजपा के रितेश पांडे को हराकर अंबेडकरनगर से सांसद बने. अन्य सीटें जिन पर उपचुनाव होंगे, वे हैं कुंदरकी (मुरादाबाद), खैर (अलीगढ़), सदर (गाजियाबाद), फूलपुर (प्रयागराज), मीरापुर और मझवा (मिर्जापुर).