रायबरेली-कोयले की उड़ती हुई धूल से लोगों की मुसीबत बना सबप,,,?

रायबरेली-कोयले की उड़ती हुई धूल से लोगों की मुसीबत बना  सबप,,,?

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रिपोर्ट-सागर तिवारी 



ऊँचाहार-रायबरेली-एनटीपीसी में होने वाले कोयले की उड़ती हुई धूल लोगों की मुसीबत का सबब बनता जा रहा है। हल्की सी हवा चलते ही आसपास के कई गांवों की अपनी आगोश में लेकर उनमें जहर घोल रही है। कई बार शिकायत के बाद भी एनटीपीसी प्रबन्धन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है। भोले भाले ग्रामीण कोयला खाने को विवश हैं। बावजूद इसके एनटीपीसी के अधिकारी अनजान बने हैं।
         एनटीपीसी में बिजली उत्पादन के लिए भारी मात्रा में कोयले की खपत की जाती है। इसलिए एनटीपीसी भारी मात्रा में कोयला मंगावाती है । कोयला मालगाड़ी के ज़रिए एनटीपीसी में प्रवेश करती है। उतारने और उपयोग के समय इसी कोयले से उठने वाला गुबार बिकई, बभनपुर, फरीदपुर, पुरवारा, सराएं परसू, सराएँ सहिजन पूरे गोसाई, पूरे मैकू लाल, पूरे पाण्डेय समेत दर्जनों गांव में फैल जाता है । यहां के लोग कोयला खाने को विवश हैं। यही नहीं यह सीधे सादे ग्रामीण छत पर कपड़ा सुखाने जाते हैं तो उनके कपड़ों समेत छत की फर्श कोयले की राख की मोटी परत जमा हो जाती है और इन्ही गांवों के लोगों के मुंह और नाक के रास्ते उनके शरीर में कोयला प्रवेश कर जाता है। नतीजा यह की उन्हे गम्भीर रोग से ग्रसित होना पड़ता है। एनटीपीसी भले ही समय समय प्रदूषण की जांच कराती है लेकिन क्लीन चिट उसे सिर्फ कागज़ पर मिल जाता है जबकि हकीकत उससे परे है। जानकारों की माने तो यदि एनटीपीसी प्रबन्धन ने उड़ती हुई कोयले और राख पर जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया तो ग्रामीण एक बड़े आन्दोलन के लिए विवश होंगे