रायबरेली-ऊँचाहार में ‘ईद-ए-ग़दीर’ की पावन याद में सबील और विशाल भंडारे का आयोजन

रायबरेली-ऊँचाहार में ‘ईद-ए-ग़दीर’ की पावन याद में सबील और विशाल भंडारे का आयोजन

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 रिपोर्ट-सागर तिवारी

ऊँचाहार-रायबरेली- इस्लामी इतिहास के सबसे अहम और रोशन अध्याय ‘ईद-ए-ग़दीर’ की मुबारक याद में अंजुमन-ए-नक़्विया के तत्वावधान में ऊँचाहार नगर के विभिन्न हिस्सों में श्रद्धा और सम्मान के साथ सबील एवं भंडारे का आयोजन किया गया। यह दिन उस ऐतिहासिक पल की याद दिलाता है जब पैग़ंबर-ए-इस्लाम हज़रत मोहम्मद मुस्तफा (स.अ.) ने ग़दीर-ए-ख़ुम के मैदान में हज़रत अली (अ.स.) को अपना उत्तराधिकारी घोषित करते हुए फ़रमाया था — "मं कुन्तो मौला फ़हाज़ा अलीय्युन मौला।"

इस मौके  अंजुमन-ए-नक़्विया के सचिव ने बताया कि ग़दीर का दिन इस्लामी नेतृत्व, न्याय और अल्लाह की मर्ज़ी की घोषणा का दिन है, जो पूरी उम्मत के लिए एक दिशा और दर्शन का संदेश है। यह दिन केवल इतिहास नहीं, बल्कि हर दौर के लिए प्रेरणा है।
कार्यक्रम के अंतर्गत प्रमुख रूप से बस स्टॉप क्षेत्र में सबील लगाई गई, जहाँ राहगीरों और श्रद्धालुओं को ठंडा पेयजल और शरबत वितरित किया गया। साथ ही, खरौली रोड पर विशाल भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें क्षेत्र के सैकड़ों लोगों ने सहभागिता निभाई और भाईचारे व मुहब्बत का पैग़ाम साझा किया।
इस आयोजन को सफल बनाने में अनीस हैदर, बच्चे भाई, ओवैस नक़्वी, रज़मी हाशिम, तबिश नक़्वी, शाज़ू नक़्वी, राहिल नक़्वी, सनी नक़्वी, आसिफ नक़वी उर्फ़ गोटू, ज़ैन अब्बास, तुराब नक़्वी, , तसव्वर अब्बास समेत अनेक युवाओं और समाजसेवियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सभी ने सेवा और श्रद्धा के साथ आयोजन को न केवल धार्मिक रूप से बल्कि सामाजिक एकता के प्रतीक के रूप में भी प्रस्तुत किया।
स्थानीय नागरिकों ने इस प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे आयोजन इस्लामी मूल्यों के प्रचार-प्रसार के साथ-साथ समाज में शांति, सौहार्द और सहयोग की भावना को भी मजबूत करते है