बागपत: नहाय-खाय के साथ हुई छठ पूजा, व्रतधारी महिलाओं ने सामूहिक रूप से गीत गाकर पर्व की शुरूआत
रिपोर्ट-केशवानंद शुक्ला
बागपत- हिंदू धर्म की आस्था के महापर्व छठ पूजा बड़े ही धूम धाम के साथ मनाया जा रहा है। नहाय-खाय के साथ लोक आस्था के चार दिवसीय महापर्व का शुभारंभ हुआ। बागपत शुगर मिल परिसर में छठ घाट तैयार कर उसकी साफ-सफाई की गई। व्रतधारी महिलाओं ने सामूहिक रूप से गीत गाकर पर्व की शुरूआत की गई।
छठ पूजा की शुरूआत नहाय-खाय से होती है, जो खरना, छठ पूजा और छठ पूजा के दूसरे अघ्र्य तक चलती है। चार दिन के व्रत पूजन की कुछ विधाएं बेहद कठिन मानी जाती हैं। खास तौर पर 36 घंटे का निर्जला व्रत कर महिलाएं भगवान सूर्य नारायण का अघ्र्य देकर पूजा पाठ करती हैं। और महिलाएं भगवान सूर्य नारायण को मनाती हैं। 29 अक्तूबर को दूसरे दिन को खरना का त्योहार है। इस दिन व्रती को पूरे दिन व्रत रखना होता है। शाम को व्रती महिलाएं मिट्टी के चूल्हे पर गुड़वाली खीर का प्रसाद बनाएंगी। व्रत के तीसरे दिन 30 अक्तूबर को सूर्य देव की पूजा की जाती है। सांयकाल महिलाएं तालाब या नदी में जाकर सूर्य भगवान को अघ्र्य देती है। 31 अक्तूबर को सूर्यदेव को अघ्र्य देकर छठ पूजा का समापन होता है। शास्त्रों में बताया गया है कि संतान की दीघार्यु, सुख संतति, समृद्धि के लिए महिलाएं व्रत धारण का सूर्यउपासाना करती है। बागपत में भी शुगर मिल परिसर में पूर्वी उत्तर प्रदेश एवं बिहार के कई परिवार सामूहिक रूप से छठ पूजा करते हैं।
मनोकामना पूर्ण होने पर जरूर करें छठ मैया की पूजा
छठी मैया से मांगी मनोकामना अगर पूर्ण हो गई है तो आपको अपनी मनोकामना को पूरा होने की विशेष पूजा जरूर करनी चाहिए। वैदिक आर्य संस्कृति कि छठ पूजा में झलक देखने को मिलती है। ये पर्व मुख्य: रुप से ऋषियों द्वारा लिखी गई ऋग्वेद में सूर्य पूजन, ऊषा पूजन और आर्य परंपरा के अनुसार मनाया जाता है।
प्याज -लहसुन का सेवन करे बंद
छठ पूजा के दिनों में घर में प्याज लहसुन का सेवन बिलकुल बंद कर दें। घर के सभी सदस्यों को इसका पालन करना चाहिए, वरना छठ मईया की कुदृष्टि का शिकार होना पड़ सकता है। इन दिनों में पूरी तरह सात्विक रहना होता है।
अघ्र्य देते समय रखें इस बात का विशेष ध्यान
सूर्य भगवान को जिस बर्तन से अघ्र्य देते हैं, वो चांदी, स्टेनलेस स्टील, ग्लास या प्लास्टिक का नहीं होना चाहिए।