दिल्ली में अगर लगा राष्ट्रपति शासन तो... किसे फायदा-किसे नुकसान?

दिल्ली में अगर लगा राष्ट्रपति शासन तो... किसे फायदा-किसे नुकसान?

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आम आदमी पार्टी के सामने सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या अरविंद केजरीवाल को बेल मिलेगी? अगर सुप्रीम कोर्ट के सुरक्षित फैसले में केजरीवाल के लिए जमानत की खबर नहीं आई तो क्या दिल्ली में राष्ट्रपति शासन की जो सुगबुगाहट आज शुरू हुई है वो और तेज हो सकती है?

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज बीजेपी विधायकों की उस चिट्ठी को गृह मंत्रालय को भेज दिया है, जिसमें बीजेपी के आठ विधायकों और केजरीवाल के ही पूर्व मंत्री राजकुमार आनंद ने दिल्ली की सरकार को संवैधानिक संकट का हवाला देकर बर्खास्त करने की मांग की है.

अधर में लटका केजरीवाल सरकार का भविष्य

एक सुरक्षित फैसला और एक चिट्ठी के बीच दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार का भविष्य है. फैसला जो सुप्रीम कोर्ट को केजरीवाल की जमानत पर सुनाना है. चिट्ठी जो राष्ट्रपति ने बीजेपी विधायकों की मांग के बाद गृह मंत्रालय को भेज दी है. इसी के बाद पांच महीने से ज्यादा वक्त से जेल में बंद दिल्ली के मुख्यमंत्री की सरकार को लेकर सवाल उठने लगा कि क्या दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लग सकता है?

30 अगस्त को एक चिट्ठी बीजेपी के आठ विधायकों ने दस्तखत करके राष्ट्रपति को भेजी थी, जिसमें केजरीवाल के पूर्व मंत्री राजकुमार आनंद भी शामिल हैं. इन सभी ने केजरीवाल सरकार को बर्खास्त करने की मांग की है, जिसके लिए ये वजहें गिनाई हैं-

1. दिल्ली में सरकारी कामकाज ठप है. सरकार जरूरी फैसले नहीं ले रही क्योंकि सीएम केजरीवाल जेल में हैं और जरूरी फाइलों पर दस्तखत नहीं कर पा रहे हैं

2. दिल्ली के छठे वित्त आयोग का गठन भी नहीं हो सका है जिसे 2021 में ही होना था. इससे एमसीडी को पर्याप्त पैसा नहीं मिल रहा है. ये संविधान के आर्टिकल 243-1, 243-ए का उल्लंघन है.

3. सीएजी की 11 रिपोर्ट्स को सरकार ने विधानसभा में अब तक टेबल नहीं किया है.

4. दिल्ली जल बोर्ड पर चीफ सेक्रेटरी ने जो रिपोर्ट दी है उसे भी विधानसभा में नहीं रखा गया है.

5. साथ ही दिल्ली सरकार केंद्र की योजनाओं को जान बूझकर रोक रही है. मसलन, आयुष्मान भारत योजना में दिल्ली को 2406 करोड़ रुपये मिले हैं उसे दिल्ली सरकार लागू नहीं कर रही.

बीजेपी-AAP एक-दूसरे पर लगा रहे आरोप

बीजेपी विधायकों ने 30 अगस्त को राष्ट्रपति से कहा कि केजरीवाल सरकार को बर्खास्त कर दीजिए. राष्ट्रपति ने 6 सितंबर

 इस बारे में गृह मंत्रालय को चिट्ठी आगे बढ़ा दी. इसी के बाद आम आदमी पार्टी बीजेपी पर चोर दरवाजे से सरकार गिराने की बात कहने लगी और बीजेपी इसे 'चोर की दाढ़ी में तिनका' बताने लगी.

अब आगे क्या होगा?

सियासी बयानबाजी के बीच सवाल ये है कि अब आगे क्या होगा? अब गृह मंत्रालय एलजी से रिपोर्ट मांग सकता है. एलजी की रिपोर्ट के बाद गृह मंत्रालय राष्ट्रपति को रिपोर्ट भेजेगा. इसके बीच सुप्रीम कोर्ट में केजरीवाल की बेल पर फैसला सुरक्षित रखा हुआ है जो कभी भी आ सकता है.

राष्ट्रपति शासन से किसे होगा फायदा?

अगर उन्हें बेल मिल गई तो केजरीवाल बाहर होंगे और सरकार जेल से बाहर चला पाएंगे. अगर बेल नहीं मिली तो भी केजरीवाल ऐसे ही जेल से सरकार चलाना चाहेंगे. राजनीति के जानकार कहते हैं कि छह महीने बाद जहां दिल्ली में चुनाव होना है वहां राष्ट्रपति शासन लगने से केजरीवाल को ही नफा होगा. तब नुकसान की राजनीति क्या बीजेपी करना चाहेगी?

पहले भी दिल्ली में लगा था राष्ट्रपति शासन

दिल्ली में पहली बार राष्ट्रपति शासन 16 फरवरी 2014 को लगा था तब केजरीवाल ने सरकार बनने के 49 दिन बाद इस्तीफा दे दिया था और कांग्रेस के समर्थन से उस वक्त सरकार बनाई थी. 13 फरवरी 2015 तक 363 दिन राष्ट्रपति शासन लगने के बाद केजरीवाल ने 14 फरवरी 2015 को फिर से सरकार बनाई थी. पूर्ण बहुमत से आम आदमी पार्टी ने चुनाव जीता और 70 में से 67 सीटें जीती थीं जो कि देश भर की विधाऩसभाओं में एक इतिहास है.