रायबरेली-फेफड़े हमारी ऊर्जा उत्साह और दीर्घायु जीवन का मूल आधार,,,,

रायबरेली-फेफड़े हमारी ऊर्जा उत्साह और दीर्घायु जीवन का मूल आधार,,,,

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 रिपोर्ट-सागर तिवारी

ऊंचाहार - रायबरेली - चिन्मय विद्यालय द्वारा शनिवार की देर शाम  को स्वास्थ्य और शिक्षा के दो महत्वपूर्ण आयामों पर केंद्रित दोहरे सत्रों का सफल आयोजन किया गया। एनटीपीसी ऑडिटोरियम में आयोजित संगोष्ठी "सही सांस लें, उज्ज्वल जीवन जिएं" विषय पर केंद्रित रही, जिसका आयोजन लंग्स केयर फाउंडेशन के सहयोग से किया गया।

        मुख्य वक्ता डॉ. राजीव खुराना, सह-संस्थापक – लंग्स केयर फाउंडेशन एवं प्रसिद्ध कॉर्पोरेट ट्रेनर, ने स्वस्थ स्वसन प्रणाली और जीवनशैली में सुधार पर प्रभावशाली व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि फेफड़े केवल शारीरिक प्रणाली का एक अंग नहीं हैं, बल्कि हमारी ऊर्जा, उत्साह और दीर्घायु जीवन के मूल आधार हैं।प्रदूषण, तनाव और अनुचित जीवनशैली से फेफड़ों पर बढ़ते खतरे को देखते हुए यह संगोष्ठी व्यक्तिगत स्वास्थ्य से लेकर सामाजिक जिम्मेदारी तक की चेतना को छू गई। डॉ. खुराना की बातों ने सभी को सरल भाषा में जीवन में स्वास्थ्य के महत्व को आत्मसात करने हेतु प्रेरित किया।मुख्य अतिथि  अभय कुमार श्रीवास्तव, कार्यकारी निदेशक एवं परियोजना प्रमुख, एनटीपीसी ने कहा कि स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता समाज की स्थायित्वशीलता का संकेत है।
विशेष अतिथि अनुपमा श्रीवास्तव, अध्यक्ष – पीडीएलसी ने कहा कि बच्चों, अभिभावकों और कर्मचारियों के लिए ऐसे कार्यक्रम अत्यंत उपयोगी हैं।विद्यालय के छात्रों, अभिभावकों एवं एनटीपीसी कर्मचारियों की भारी उपस्थिति ने आयोजन को अत्यंत सफल और प्रभावशाली बना दिया। इससे पूर्व विद्यालय परिसर में आयोजित सत्र में "क्रिटिकल थिंकिंग"  विषय पर संगोष्ठी आयोजित की गई, जिसका संचालन किया चिन्मय मिशन के जोनल डायरेक्टर  विश्वारूप मुखोपाध्याय ने। उन्होंने छात्रों और शिक्षकों को विवेक, तर्क और गहराई से सोचने की शक्ति को विकसित करने हेतु प्रेरित किया।विद्यालय के प्राचार्य मनीष कुमार स्वामी ने आगंतुक अतिथियों का स्वागत किया और कहा कि आज की शिक्षा प्रणाली में क्रिटिकल थिंकिंग जैसी क्षमताएं भविष्य निर्माण की कुंजी हैं।उप-प्रधानाचार्य  नरेंद्र सिंह, समस्त शिक्षकगण और अभिभावकगण इस सत्र में उपस्थित रहे।

निष्कर्ष: शिक्षा और स्वास्थ्य का सशक्त संगम

17 मई का दिन चिन्मय विद्यालय एनटीपीसी ऊंचाहार के लिए स्वस्थ शरीर और सजग मस्तिष्क के संगम का दिन रहा। दोनों सत्रों ने यह स्पष्ट किया कि एक स्वस्थ विचारधारा और स्वस्थ शरीर ही जीवन की सबसे बड़ी पूंजी हैं।