Karwa Chauth : करवा चौथ व्रत आज, ज्योतिषाचार्य से जानें पूजन- विधि, शुभ मुहूर्त, महत्व और चांद निकलने का समय

Karwa Chauth : करवा चौथ व्रत आज, ज्योतिषाचार्य से जानें पूजन- विधि, शुभ मुहूर्त, महत्व और चांद निकलने का समय
Karwa Chauth : करवा चौथ व्रत आज, ज्योतिषाचार्य से जानें पूजन- विधि, शुभ मुहूर्त, महत्व और चांद निकलने का समय

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रिपोर्ट-ओम द्विवेदी(बाबा)

मो-8573856824

पति की लंबी उम्र के लिए सुहागिनें करवाचौथ का निर्जल व्रत 13 अक्तूबर गुरुवार को रखेंगी। ऐसी मान्यता है कि करवाचौथ व्रत रखने से पति के जीवन में किसी भी तरह का कष्ट नहीं आते हैं। साथ ही पति को लंबी आयु की प्राप्ति होती है।

वाराणसी से प्रकाशित हृषीकेश पंचांग के अनुसार, इस दिन कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का मान संपूर्ण दिन और रात में दो बजकर 58 मिनट तक है। कृतिका नक्षत्र शाम सात बजकर 43 मिनट पश्चात रोहिणी नक्षत्र है। चंद्रमा रोहिणी से अत्यंत प्रेम करते हैं। इसलिए इस दिन व्रत रख रोहिणी नक्षत्र में पूजन करने से सुहागिनों के पति को दीर्घायु होते हैं और दांपत्य जीवन में मधुरता आती है।

इसके साथ ही इस दिन सिद्धि योग भी बन रहा है। जो श्रद्धालुओं की मनोकामनाओं को पूर्ण करेगा। वहीं चंद्रमा की स्थिति वृषभ राशि पर होने से वह उच्च स्थिति में रहेंगे।

करवाचौथ का महात्म्य

पंडित शरद चंद्र मिश्र के अनुसार, ऐसी मान्यता है कि करवाचौथ का व्रत करने से पति के जीवन में किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं आता है। साथ ही पति को लंबी आयु की प्राप्ति होती है। करवाचौथ के व्रत में शिव, पार्वती, कार्तिकेय, गणेश और चंद्रमा के पूजन करने का विधान है। बताया कि महाभारत से संबंधित पौरणिक कथा के अनुसार, पांडव पुत्र अर्जुन तपस्या करने नीलगिरी पर्वत जाते हैं। दूसरी ओर बाकी पांडवों पर कई प्रकार के संकट पड़ते हैं।

द्रौपदी भगवान श्रीकृष्ण से उपाय पूछती हैं। तब श्रीकृष्ण कहते हैं कि यदि वह कर्तिक कृष्ण चतुर्थी के दिन करवाचौथ का व्रत करें तो इन सभी संकटों से मुक्ति मिल सकती है। द्रौपदी विधि-विधान सहित करवाचौथ का व्रत रखती है। इससे उनके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।

इस विधि-विधान से करें करवा चौथ का पूजन

ज्योतिर्विद पंडित नरेंद्र उपाध्याय के अनुसार, सूर्योदय से पहले स्नान करें और व्रत का संकल्प लें। पूरे दिन निर्जल व्रत रख शाम को भगवान शिव-पार्वती, कार्तिकेय, गणेश और चंद्रमा का पूजन करें। उनके समक्ष लड्डू रखकर नैवेद्य अर्पित करें। एक लोटा, एक वस्त्र और दक्षिणा समर्पण करें। विधि-विधान से पूजन करें। करवाचौथ की कथा सुनें या स्वयं वाचन करें। चंद्रमा के उदय होने पर चंद्रमा का पूजन कर अर्घ्य दें। इसके पश्चात निराजल व्रत का पारण करें।

अर्घ्य मुहूर्त का समय

चंद्रोदय शाम सात बजकर 54 मिनट पर होगा। उसी समय व्रती महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य देकर करवा चौथ की पूजा संपन्न करेंगी। इसके बाद वह पति को देखते हुए व्रत का पारण करेंगी