रायबरेली-रामकथा के तृतीय दिवस पर पूज्य महाराज श्री आचार्य शान्तनु जी महाराज,,,,,

रायबरेली-रामकथा के तृतीय दिवस पर पूज्य महाराज श्री आचार्य शान्तनु जी महाराज,,,,,

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रिपोर्ट-सागर तिवारी 


ऊंचाहार-रायबरेली-क्षेत्र के सावापुर नेवादा में महराज श्री आचार्य शान्तनु  जी महाराज ने आज 
 शिव विवाह के पश्चात की कथा सुनाई और भगवान के लोक कल्याणकारी जन्मोत्सव का दर्शन कराया भगवान शिव विवाह के पश्चात कैलाश में वटवृक्ष के नीचे बैठे और मां पार्वती उचित अवसर जानकर भगवान शिव के निकट आई हैं और भगवान शिव ने सम्मान पूर्वक मां पार्वती को वाम भाग में आसन दिया है पति पत्नी का परस्पर इस प्रकार से आशय रहे तो गृहस्थ जीवन कुशलता पूर्वक व्यतीत होता है भगवान शिव से प्रश्न पूछे हैं की राम ब्रह्मा कैसे हो सकता है और यदि राम ब्रह्म है तो उस राम के जन्मोत्सव मांगलिक विवाह उत्सव को राज्याभिषेक के समय घटी वनवास की दुर्घटना को जानकी हरण से लेकर रावण मरण और पुनः भगवान के राज्याभिषेक की सारी घटनाएं सुनाइए निर्गुण सगुण कैसे हुआ अब व्यक्त अव्यक्त कैसे हुआ विराट सूक्ष्म कैसे हुआ यह आप हमको बताएं भगवान शिव ने पार्वती मां से कहा देवी निर्गुण और सगुण में भेद नहीं है भगवान तो भक्तों के प्रेम के वशीभूत होते हैं और भक्तों के कारण ही अवतार लेते, सगुनहिं अगुनहिं नहीं कछु भेदा। और भगवान शिव ने पार्वती के प्रश्नों का उत्तर देते हुए भगवान राम के जन्म के कारणों की चर्चा की नारद मोह के प्रसंग में महाराज श्री ने बताया कि नारद जी में काम क्रोध और लोभ तीनों एक साथ बढ़ गया था और मानस रोग में इन्हीं तीनों को कफ वात और पित्त के नाम से जाना जाता है और जब भी यह तीनों शरीर में बढ़े तो किसी के पास न जाकर परमात्मा के शरण में जाना चाहिए तभी आप की भी रक्षा हो सकती है यह काम यह क्रोध यह लोभ आपके नियंत्रण में हो और आपके वश में हो नारद मोह के ही प्रसंग में महाराज जी ने गुरु महिमा का वर्णन किया कि गुरु तो सर्व शक्तिशाली समर्थ वान है वह तो सर्वोच्च सत्ता है सुप्रीम पावर है जन्म के अन्य कारणों में मनु शतरूपा जी के प्रसंग को सुनाते हुए महाराज जी ने कहा कि जीवन में जब भी आपको यह लग जाए कि अब हमने अपने दायित्वों को पूर्ण कर लिया बाल बच्चे बाल बच्चे दार हो गए तब कुछ समय भजन के लिए तीर्थ के लिए सेवा के लिए निकालने चाहिए मनु शतरूपा जी राज्य को बच्चों को सौंपकर नैमिषारण्य में जाकर भगवान का भजन करने लगे भगवान प्रकट हो कर हमको वरदान दिए हैं कि मैं स्वयं आपके यहां रहूंगा और अब भगवान के जन्म की सारी भूमिका बन गई प्रताप भानु नाम का राजा शापित होकर रावण बना है उस के आतंक से आतंकित होकर सभी ने भगवान से प्रार्थना की है भगवान ने उन को स्पष्ट किया है मैं निश्चित पकड़ लूंगा आपके दुखों को हर लूंगा पृथ्वी के कष्ट को समाप्त कर लूंगा और महाराज दशरथ पुत्र कामेष्टि यज्ञ कराते हैं और भगवान संपूर्ण अंशों के सहित श्री राम अयोध्या में दशरथ जी के आंगन में प्रकट होते हैं सारी अयोध्या उत्सव मनाने लगे बधाइयां गाने लगे आनंद करने लगे और आज की कथा की इस अवसर