रायबरेली-भागवत कथा में संपन्न हुआ शिव पार्वती का विवाह,,,

रायबरेली-भागवत कथा में संपन्न हुआ शिव पार्वती का विवाह,,,

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 रिपोर्ट-सागर तिवारी


- संस्कारों के बिना जीवन का कोई मूल्य नहीं - पंडित विपिन पांडेय



ऊंचाहार - रायबरेली-वर्तमान समय में प्राणी संस्कारों से दूर भाग रहा है ।जिस प्रकार जीव के बिना शरीर निरर्थक होता है , उसी प्रकार संस्कारों के बिना जीवन का कोई मूल्य नहीं है । जीवन में विवाह भी एक पवित्र संस्कार है । यह प्रेरक प्रसंग क्षेत्र के कबीर बाबा चौराहा के पास चल रही भागवत कथा में वृंदावन से आए कथावाचक पंडित विपिन पांडेय ने भगवान शिव और पार्वती के विवाह की कथा सुनाते हुए व्यक्त किया ।
     प्रारंभ में पुरोहित सियाराम कौशल और उर्मिला कौशल ने व्यासपीठ का अभिनंदन किया । कथावाचक ने बताया कि  ध्रुव ने आत्मविश्वास के साथ 5 वर्ष की अवस्था में ईश्वर को प्राप्त कर लिया। हमें भी आत्मविश्वास से ओम नमो भगवते वासुदेवाय नम: मंत्र का जाप करना चाहिए, क्योंकि आत्मविश्वास ही सफलता की कुंजी है। भक्ति में दिखावा नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि मनु शतरूपा की कन्या आकूति का विवाह पुत्रिका धर्म के अनुसार रुचि प्रजापति से तथा प्रसूति कन्या का विवाह ब्रह्माजी के पुत्र दक्ष प्रजापति से हुआ। उससे उन्होंने सुंदर नेत्रों वाली सोलह कन्याएं उत्पन्न कीं। इनमें से तेरह कन्याएं श्रद्धा, मैत्री, दया, शांति, तुष्टि, पुष्टि, क्रिया, उन्नति, बुद्धि, मेधा, तितिक्षाए और मूर्तिद्ध धर्म की पत्नियां बनीं। अग्निदेव स्वधा नामक कन्या समस्त पितरों की तथा सती नाम की कन्या महादेव की पत्नी बनीं। उन्होंने कहा कि सती अपने पतिदेव की सेवा में ही संलग्न थीं।दक्ष प्रजापति की सभी कन्याओं को संतान की प्राप्ति हुई लेकिन सती के पिता दक्ष ने बिना किसी अपराध के भगवान शिवजी से प्रतिकूल आचरण किया था। इसीलिए युवावस्था में क्रोधवश योग द्वारा स्वयं ही अपने शरीर का त्याग कर देने से सती को कोई संतान न हो सकी। भागवत कथा के दौरान धार्मिक भजन गाए गए। जिन पर श्रद्धालु थिरके। इस दौरान भगवान शिव पार्वती विवाह की झांकी निकली । इस मौके पर हरिश्चंद कौशल ,पूर्व प्रधान लालचंद कौशल , अभिलाष कौशल , उमेश कौशल , बबलू कौशल , मनीष कौशल , शशिधर पांडे ,शिवबरन मौर्य, वृंदावन अग्रहरि, दिनेश अग्रहरि, शीतला प्रसाद मौर्य ,बृजेश मौर्य, नरेंद्र कुशवाहा, दिनेश मिस्त्री, राजू मिस्त्री इत्यादि मौजूद थे ।