रायबरेली -एम्स आयुष (आयुर्वेद) विभाग पंचगव्य चिकित्सा के माध्यम से रोगियों को दे रहा है लाभ

रायबरेली -एम्स आयुष (आयुर्वेद) विभाग पंचगव्य चिकित्सा के माध्यम से रोगियों को दे रहा है लाभ
रायबरेली -एम्स आयुष (आयुर्वेद) विभाग पंचगव्य चिकित्सा के माध्यम से रोगियों को दे रहा है लाभ

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रिपोर्ट-रितेश श्रीवास्तव

रायबरेली - एम्स आयुष (आयुर्वेद) विभाग पंचगव्य चिकित्सा के माध्यम से रोगियों में विभिन्न प्रकार के एनीमिया और पीलिया को दूर कर स्वास्थ्य लाभ दे रहा है। अब तक सैंकड़ो रोगियों को आयुर्वेद की पंचगव्य चिकित्सा से एनीमिया मुक्त किया जा चुका है।आयरन डिफीशियन्सी के एक रोगी मे हीमोग्लोबिन 5.5 ग्राम था, जो की 21 दिन के उपचार के बाद 12 तक पहुँच गया मैक्रोसाइटिक एनिमिया विटामिन की कमी के रोगी जिसका हिमोग्लॉबिन 6.1 था। रोगी को आयुर्वेदीक प्री और प्रो बायोटिक के रूप में गाय के घी से बनी औषधि के साथ लोहासव दिया गया जिससे की गट माईक्रोबायोम में परिवर्तन करके विटामिन बी में बढ़ोतरी की जा सके इस उपचार के बाद रोगी के हीमो ग्लोबिन की मात्रा बढ़कर 13 तक पहुँच गयी ऑटो इम्यून हीमोलाइटिक एनीमिया मुंबई में रहने वाले मूलतः सलोन के एक रोगी, जो की आठ महिनो से अलग अलग उपचार के बाद एम्स रायबरेली के आयुर्वेद विभाग में, 6.5 बिलुरुबिन और 5.4 हीमोग्लोबिन के स्तर पर आए। जाँच करवाने पर कूम्ब्स टेस्ट पॉजिटिव पाया गया। रोगी का इम्यून सिस्टम खुद पर ही विपरीत प्रभाव दिखा रहा था। 2.5 महीने के पंचगव्य चिकित्सा के उपरांत रोगी का बिलुरुबिन सामान्य 1.2 और हीमोग्लॉबिन का स्तर 15.5 तक पहुँच गया।
गिल्बर्ट सिंड्रोम फतेहपुर के एक रोगी जो की लगभग 5 सालों से गिल्बर्ट सिंड्रोम नामक बीमारी से ग्रसित थे। पंचगव्य चिकित्सा के 4 सप्ताह के के बाद रोगी का बिलुरूबिन् 5 साल बाद पहली बार सामान्य स्तर पर आया।

अपर चिकित्सा अधीक्षक डॉ. नीरज श्रीवास्तव ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रदेश की 36% महिलाये और 56% बच्चे एनीमिया रोग से ग्रसित है और आयुर्वेद चिकित्सा इससे मुक्ति में कारगर साबित हो रही है। एनीमिया मुक्त भारत अभियान मे आयुष चिकित्सा को व्यापक स्तर पर जोड़कर देश को एनीमिया मुक्त किया जा सकता है। आयुष चिकित्सा अधिकारी डॉ. एच.के.पारीक ने जानकारी देते हुए कहा कि मैदा से बने सामान, फास्ट फूड के अधिक प्रयोग से शरीर में आयरन, विटामिन बी की कमी हो रही है और जिसके साथ गट फ्लोरा भी खराब होता जा रहा है। इसके लिए आयुर्वेद की पंचगव्य चिकित्सा के साथ पथ्य (हितकर) भोजन द्वारा इसमे सुधार किया जा सकता है। और रोगियों को एनीमिया और पीलिया रोग से छुटकारा दिलाया जा सकता है।एनीमिया (पांडु रोग) के लक्षण चलने पर साँस फूलना चेहरे और पाँव पर सुजन जल्दी थकावट, पिंडलियो में दर्द का पीला होना, हल्का बुखार
कानों में घंटी की आवाज आना