*मानवाधिकार और कृत्रिम बुद्धिमत्ता :उभरते रुझान* *ऑनलाइन संगोष्ठी*

*मानवाधिकार और कृत्रिम बुद्धिमत्ता :उभरते रुझान*   *ऑनलाइन संगोष्ठी*

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रिपोर्ट-केशवानन्द शुक्ला

मुख्य वक्ता : *डॉ. मो.युनुस  भट* एसोसिएट प्रोफेसर, राजनीति विज्ञान विभाग, कश्मीर विश्वविद्यालय, कश्मीर (भारत)
कार्यक्रम संयोजक: *डॉ. दिनकर त्रिपाठी* एसोसिएट प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, राजनीति विज्ञान विभाग, फ़िरोज़ गांधी कॉलेज, रायबरेली ,(उ.प्र.)
संगोष्ठी सचिव : डॉ. अभय सिंह (असिस्टेंट प्रोफेसर)
आयोजित कार्यक्रम में निम्न बिन्दु पर मुख्य वक्ता  *डॉ. मो.युनुस  भट* द्वारा प्रकाश डाला गया :-
  उभरते हुए मानव वादी विकासशील  समाज मे मानव अधिकार, उनकी कार्य प्रणाली में किस प्रकार से कृत्रिम बुद्धिमत्ता का प्रयोग किया जा रहा है ? तथा ये मानव जीवन की आयामों को किस प्रकार से प्रभावित कर रहे हैं ?
  मानव की स्थिति, उसके परिवेश, रोजगार, बुद्धि व उसकी गरिमा के प्रति उदासीनता तथा मशीनीकरण से उनके विकास को स्व-अवरूद्ध प्रक्रिया का किस प्रकार से समायोजन किया जा रहा है? 
  वास्तविक मानव संसाधन व उनके जीवन की विभिन्न परिस्थितियों को मात्र संकल्पना के रूप में व्यवस्थित करने की अभिधारणा का प्रचलन व विकास किया जा रहा है, जो भविष्य में अवस्थागत चुनौती को सृजित कर रहा है। साथ ही  समाज व मानव के प्रति सत्य निष्ठा के साथ व्यवहार में लाने तथा अवश्य कमी को दूर करने पर बल दिया गया। 
इस क्रम में कार्यक्रम संयोजक: डॉ. दिनकर त्रिपाठी ने कहा कि" मानव की पूर्ण स्वतंत्रता की अभिधारणा को अभिपुष्टि रूप में रखा जाय। विधियों, आयोगों और अन्य उपायों के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाय कि ये मानवीय संवेदना व अधिकारों को संजोने में सक्षम हो।"
 प्रो.अवधेश कुमार सिंह ने कहा कि :
"कृत्रिमता व अन्य अमानवीय मानव कृत संसाधन को न्यूनतम प्रयोग किया जाय 
डॉ अभय सिंह ने भी विचार दिए -"विकास, शिक्षा व व्यवहार की मानकता ,उसके सिद्ध यथार्थ पर माना जाय।"

कार्यक्रम में सम्मिलित महाविद्यालय के प्रो.एल. के.त्रिपाठी, डॉ अरविंद सिंह, प्रो. अरुण कुमार श्रीवास्तव , प्रो. संजय सिंह , सुभाष चंद्र, डॉ. अजेंद्र प्रताप सिंह, डॉ. शामिनी श्रीवास्तव, डॉ. विभा मिश्रा, डॉ. अमीश, डॉ. आलोक प्रताप सिंह, डॉ. कैलाश नाथ द्विवेदी और अन्य 108 प्रतिभागी ने भाग लिया। कार्यक्रम के समन्यवक डॉ. अभय सिंह द्वारा समापन व आशीर्वचन प्राप्त हुआ।