रायबरेली-बेरहम पुलिसिया ज्यादती के शोर में दफन हो गई चांदनी की चीख,,,?

रायबरेली-बेरहम पुलिसिया ज्यादती के शोर में दफन हो गई चांदनी की चीख,,,?

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रायबरेली-किसी शायर की ये लाइनें कि " कातिल की ये दलील मुंसिफ ने मान ली , मकतूल खुद गिरा था चाकू की नोंक पर " रायबरेली पुलिस पर सटीक मोजू है । जब पूरा तंत्र जालिम हो तो फिर न्याय की उम्मीद नहीं रहती । गरीब की चीख उसकी बेबसी की चादर में दम तोड़ देती है । यही बछरावां के चुरूवा गांव की चांदनी के साथ हुआ ।
       दूर पहाड़ की वादियों उत्तराखंड में जन्मी चांदनी को इस बात का इल्म नहीं रहा होगा कि जिस मैदानी क्षेत्र उत्तर प्रदेश के बछरावां में वह अपनी जिंदगी संवारने के सपने लेकर आई थी , वहां उसका ही जीवनसाथी उसके साथ  दरिंदगी भरा पैशाचिक कृत्य करेगा , और रायबरेली की पुलिस का मनमाना रवैया उसकी चीख को जलाकर दफन कर देगा । नशेड़ी पति के साथियों ने मिलकर उसके शरीर के साथ खेला ,फिर उसकी बेरहमी से हत्या कर दी । इतना जघन्य और विभत्स अपराध रायबरेली की पुलिस कैसे सहन कर सकती थी , तो पुलिस ने उसके शव को रात के अंधेरे में पेट्रोल डालकर जला दिया , ताकि हैवानियत के सारे साक्ष्य जल जाए। पुलिस का हैवानियत भरा यह चेहरा जब ग्रामीणों के सामने आया तो ग्रामीणों के सब्र का पैमाना छलका और जमकर विरोध भी हुआ । आला अफसर मौके पर पहुंचे किंतु कार्रवाई नहीं हुई । कार्रवाई होती तो शायद सच को स्वीकारना पड़ता , इसलिए अपराध छिपाने के उद्देश्य से इस पहाड़ी अबला की चीख को दफन कर दिया गया ।