BJP सांसद के खिलाफ पत्नी ने ही भरा नामांकन,देखिये इस सीट पर सियासी पारा
राजनीति रणनीति से की जाती है और रणनीति कुशल राजनेता की पहचान होती है. लेकिन कभी कभी राजनीति की रणनीति को समझना थोड़ा मुश्किल हो जाता है. कुछ ऐसा ही हुआ अकबरपुर लोकसभा सीट पर जहां बीजेपी के लोकसभा प्रत्याशी देवेंद्र सिंह भोले ने बीजेपी के टिकट पर अपना चुनाव नामांकन कराया तो वहीं बीजेपी प्रत्याशी देवेंद्र सिंह की पत्नी ने भी आज निर्दलीय प्रत्याशी के तौरपर अपना नामांकन कानपुर में गोपनीय तरीके से करा लिया.
जिससे हर कोई हैरान है.आखिर पति के चुनाव लड़ने के दौरान पत्नी ने निर्दलीय चुनाव लडने के लिए नामांकन क्यों कर दिया.
एक घर में पति को देश की बहुचर्चित पार्टी बीजेपी ने अपना लोकसभा प्रत्याशी घोषित किया. उसने अकबरपुर लोकसभा सीट से अपना नामांकन बड़े ही धूम धाम और बाहुबल के साथ निकाला और बड़ी जनसभा को आयोजित भी किया. जीत का दम भरा जिसके नामांकन जुलूस में शहर से लेकर लखनऊ राजधानी के दिग्गज शामिल हुए थे. आज उसी प्रत्याशी की पत्नी प्रेम शीला ने लोकसभा चुनाव के लिए अपना खुद का निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन पर्चा दाखिल कर दिया. जिसके चलते शहर में राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गईं कि आखिर पत्नी ने अपने प्रत्याशी पति की सीट पर ही निर्दलीय नामांकन क्यों करा लिया.
बीजेपी प्रत्याशी के पत्नी ने भरा निर्दलीय नामांकन
एक घर से दो नामांकन पति बीजेपी के प्रत्याशी तो पत्नी निर्दलीय नामांकन का पर्चा दाखिल करने पहुंची. कलेक्ट्रेट में बहुत प्रयास और कॉल करने के बाद भी बीजेपी प्रत्याशी से बात नहीं हो पाई. फिर प्रत्याशी के प्रतिनिधि ने जानकारी दी कि देवेंद्र सिंह भोले की पत्नी प्रेमशीला ने भी निर्दलीय नामांकन कराया है. लेकिन वजह साफ नही हुई की ये नामांकन क्यों ,किसलिए कराया गया है. तस्वीर में बीजेपी प्रत्याशी देवेंद्र सिंह भोले की पत्नी प्रेमशीला अधिकारियों को अपना नामांकन पर्चा देती हुई दिखाई दे रही है.
क्या है रणनीति?
राजनैतिक जानकारों की माने तो ये चुनाव में लाभ लेने के लिए भी कराया जा सकता है. जिससे चुनाव में सड़कों पर घूमने वाली गाड़ियों जो की प्रत्याशी के लिए जरूरी होती है इस नामांकन से लाभ दे सकती हो या फिर प्रत्याशी का किसी कारण नामांकन रद्द हो जाए और उसे समय न मिले तो वो अपने किसी निर्दलीय कैंडिडेट के नामांकन से चुनाव में अपनी भागीदारी दूसरे दृष्टि कोण से बना सकता है. फिलहाल रणनीति कुछ भी हो मकसद कुछ भी हो, लेकिन प्रत्याशी की पत्नी का निर्दलीय नामांकन ने शहर का सियासी पारा बढ़ा दिया है.