रायबरेली-अधम पापी भी सात दिन की भागवत कथा श्रवण से हो जाता है निष्पाप,,,,

रायबरेली-अधम पापी भी सात दिन की भागवत कथा श्रवण से हो जाता है निष्पाप,,,,

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रिपोर्ट-सागर तिवारी

ऊंचाहार-रायबरेली-क्षेत्र के अरखा गांव में चल रही भागवत कथा में लोगों की भीड़ उमड़ रही है।कथा के प्रथम दिन पूर्व जिला पंचायत सदस्य व वरिष्ठ भाजपा नेता जितेन्द्र बहादुर सिंह कथा स्थल पर पहुंचे।यहां कथा वाचक आचार्य शांति भूषण महाराज ने उन्हें आशीर्वचन दिया।इस अवसर पर जितेन्द्र बहादुर सिंह ने कहा कि कथा  सुनने से मनुष्य तन और मन दोनों पवित्र होता है. पवित्र मन में ही ईश्वर का वास होता है।उन्होंने आयोजक दिनेश सिंह को इस पवित्र आयोजन के लिए बधाई दी व सभी से अपील की,उन्होंने कहा कि ऐसे अवसर सौभाग्य से ही मिलते हैं,इसलिए सभी को आकर कथा का श्रवण जरूर करना चाहिए।

इसके पूर्व श्री  भागवत


 महापुराण कथा में आचार्य शांति भूषण महाराज ने कहा कि कथा श्रवण से न केवल लौकिक बल्कि पारलौकिक जीवन को सुधारा जा सकता है।उन्होंने कहा कि  नारद की सहायता से इस भागवत की रचना व्यास जी ने की थी. जिससे भक्ति ज्ञान वैराग्य पुष्ट हो, सबसे पहले नारायण ने ब्रम्हा को भागवत सुनाया था.
इसके बाद ब्रम्हा जी ने नारद को सुनाया. जिसे नारद ने व्यास जी को सुनाया. नारद से कथा सुनने के बाद व्यास ने उसे सुकदेव को बताया और सुकदेव ने परीक्षित को हरिद्वार में कथा सुनाई. आखिरकार क्यों सात दिन सुनने के लिए बताया गया है. क्या हम सब सात दिन ही जीने वाले हैं, आठवां दिन कोई नहीं है. बोले कि कैसा भी पापी व्यक्ति हो अगर वह भागवत की कथा सुने तो सात दिन में वह पवित्र हो जाता है. इसलिए आसपास यदि भागवत कथा हो रहा हो तो वहां जरूर जाना चाहिए. क्योंकि भागवत कथा के श्रवण मात्र से मनुष्य के सारे पाप नष्ट हो जाते है।आरखा में चल रहे भागवत कथा सुनाते हुए शांति भूषण महाराज ने राजा परीक्षित का प्रसङ्ग सुनाते हुए कहा. आगे कहा कि दुनिया में किसी प्राणी को पता नहीं होता कि उसकी मृत्यु कब होगी, लेकिन पांडव वंश के राजा परीक्षित को श्राप मिला था कि ठीक सातवें दिन सर्प के डसने से उसकी मौत होगी. अपनी मौत की तारीख निश्चित जानकर राजा परीक्षित ने शुकदेव महाराज से श्रीमद्भागवत कथा सुनी. कथा समाप्त होने के सातवें दिन तक्षक नाग ने फूलों की माला के रूप में महल के भीतर प्रवेश किया और राजा के गले में पहनाते ही अपने असली रूप में आकर राजा को डस लिया. कथा सुनने के प्रभाव से राजा परीक्षित को मोक्षधाम की प्राप्ति हुई।