रायबरेली-बारिश न होने से नहीं हो पा रही धान की रोपाई,सूख रही फसलें, नहरों में भी नहीं आया पानी,,,,?

रायबरेली-बारिश न होने से नहीं हो पा रही धान की रोपाई,सूख रही फसलें, नहरों में भी नहीं आया पानी,,,,?

-:विज्ञापन:-




    रिपोर्ट-सागर तिवारी



ऊंचाहार-रायबरेली- इस बार इंद्रदेव लगता है किसानों से रूठ गए हैं। कई दिनों से वर्षा नहीं हो रही है। नहरें भी सूखी हैं, और अधिकतर सार्वजनिक नलकूप भी बंद पड़े हैं। पानी के अभाव में धान की रोपाई नहीं हो पा रही है। जिन किसानों द्वारा रोपाई कर ली गई, पानी न मिलने से वह भी सूख रही हैं। इससे किसानों के चेहरों पर चिंता की लकीरें खिंचने लगी हैं।
        अषाढ़ महीना समाप्त होकर सावन मास शुरू हो गया है। अभी तक एक दिन भी अच्छी बरसात नहीं हुई है। इस बार बरसात बूंदाबांदी तक ही सीमित रही है। चटख धूप के बीच खेत में लगी नर्सरी पीली पड़ी जा रही है। जबकि बोई गई धान की फसलों समेत उड़द, मूंग, तिली भी मुरझाने लगी है। गंगा के तराई क्षेत्र में किसानों के खेत की सिंचाई के मुख्य स्रोत नहर महीनों से सूखी हैं। राजकीय नलकूप भी खराब हैं। पचखरा निवासी किसान सेवालाल चौरसिया, रमेशकुमार, राधेश्याम, देव कुमार, गजेंद्र, शिवकुमार आदि ने बताया कि सिंचाई के संसाधन बहुत ही कम हैं, जिसके चलते धान की रोपाई कर पाना मुश्किल हो गया है। डलमऊ गंग नहर से निकलने वाली ऊंचाहार रजबहा तथा उससे जुड़ी कंदरावा समेत दो दर्जन माइनरें सूखी हैं। कुछ किसानों ने निजी नलकूपों से अधिक रूप है खर्च कर रोपाई कर लिया है, तो सिंचाई नहीं कर पा रहे हैं। जिसकी वजह से फसलें सूख रही हैं। बाहर पुर निवासी सुरेंद्र सिंह, लल्ला सिंह बताते हैं कि इस बार मानसून वर्ष 1980 में पड़े सूखे की याद दिला रहा है। उस समय खेत, बाग की घास फूस भी सूख गई थी। खेत में बोया हरा चारा जहर हो गया था। जिसे पशुओं को खिलाने पर बीमार होकर उनकी मौत हो जाती थी। सिंचाई विभाग के अवर अभियंता प्रवीण कुमार पांडेय ने बताया कि लो वोल्टेज के चलते सभी पंप संचालित नहीं हो रहे हैं। हाल फिलहाल में पानी मिल पाना संभव नहीं है।