रायबरेली-आज शब्बीर पे क्या आलमे तन्हाई है , जुल्म की चांद पे जहरा के घटा छाई है

रायबरेली-आज शब्बीर पे क्या आलमे तन्हाई है , जुल्म की चांद पे जहरा के घटा छाई है

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रिपोर्ट-सागर तिवारी

ऊंचाहार (रायबरेली )- दसवीं मोहर्रम को कर्बला में हजरत इमाम हुसैन की शहादत के साथ एक ऐसी लड़ाई जीती गई जिसमें शहीद होने वाले अपनी कुर्बानी देकर अमर हो गए ।  रविवार  को यौमे अशूरा में आंखो में आसूं लिए शिया समुदाय के लोगों ने मातम किया । यौमे असुरा का जुलूस निकला तो हुजूम उमड़ पड़ा , हिंदू मुस्लिम समुदाय के लोगों ने गम लिए उस कुर्बानी को याद किया जो करीब 15 सौ साल पहले कर्बला में दीन ईमान और इस्लाम के लिए दी गई थी। 
     शनिवार रात से शुरू हुआ जुलूस का सिलसिला रविवार को दिन भर चलता रहा । पूरी रात मातम होता रहा । रविवार को सुबह मजलिस हुई , मर्सिया पढ़ा गया , नोहाख्वानी हुई । इस मौके पर मौलाना अली मोहम्मद  ने कहा कि कर्बला की घटना अतांकवाद के विरुद्ध पहली जंग थी । हजरत इमाम हुसैन इंसानियत के लिए , इस्लाम के लिए , भाईचारे के लिए अतंकी फौज से लड़ रहे थे  ,जिसमें उन्होंने अपना कुनबा ,अपने साथियों को खो दिया । लेकिन वह अतंकवाद के सामने नहीं झुके । हसनैन नकवी ने पढ़ा कि "आज शब्बीर पे क्या आलमे तन्हाई है ,जुल्म की चांद पे जहरा के घटा छाई है "  तो मौजूद लोगो की आंखे नम हो गई । ओबैस नकवी ने कहा कि इमाम हुसैन का भारत से गहरा रिश्ता था ,इसीलिए वो हिंदुस्तान आना चाहते थे । लेकिन जालिम ने उन्हें भारत नहीं आने दिया ।  उन्होंने बताया कि कर्बला की शहादत दुनिया के इतिहास में हमेशा के लिए दर्ज हुई , आने वाली पीढ़ियां इससे सबक लेंगी और इंसानियत के लिए काम करने की प्रेरणा लेंगी । इस मौके पर असद रिजवी ,  शानू नकवी , शाजू नकवी , अजहर अब्बास नकवी , सुल्तान अब्बास समेत बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे । हिंदू समुदाय के लोगों ने भी इस जुलूस में भागीदारी की और सौहार्द का संदेश दिया । जुलूस के दौरान नगर पंचायत चेयरमैन के प्रतिनिधि कृष्ण चंद जायसवाल , ऊंचाहार देहात के प्रधान धनराज यादव , खोजनपुर के पूर्व प्रधान लालचंद कौशल आदि मौजूद थे । इस दौरान सुरक्षा को देखते हुए भारी पुलिस बल तैनात किया गया था । एसडीएम के साथ प्रशासनिक अधिकारी भी मौजूद रहकर हर गतिविधि पर निगाह बनाए हुए थे।