रायबरेली-खून की जांच के नाम पर जान से खिलवाड़ , वसूली जा रही मनमानी रकम

रायबरेली-खून की जांच के नाम पर जान से खिलवाड़ , वसूली जा रही मनमानी रकम

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   रिपोर्ट-सागर तिवारी

ऊंचाहार-रायबरेली-आपको ब्लड टेस्ट कराना है तो सचेत रहें, क्योंकि क्षेत्र में खून की फर्जी जांच हो रही है और आपको इसकी जानकारी भी नहीं है। आपसे मनमानी रकम भी वसूली जा रही है ।
      इसमें स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जी लैब और एक्सरे सेंटर का गोरखधंधा चल रहा है। जिन लैब का रजिस्ट्रेशन है , वो भी आपको फर्जी रिपोर्ट थमाकर आपसे मनमानी रकम वसूल कर रहे हैं। नगर के सीएचसी और डिग्री कालेज के सामने ही फर्जी तरीके से लैब और एक्सरे सेंटर स्थापित हैं। इनका स्वास्थ्य विभाग से पंजीकरण भी नहीं है। हैरान करने वाली बात यह है कि नगर में तकरीबन दो दर्जन लैब के पास लाइसेंस नहीं है। क्षेत्र में फर्जी लैब की बाढ़ आ गई है। नगर में करीब एक दर्जन लैब है , जहां लंबे समय से यहां खून की जांच हो रही है। यह भी स्वास्थ्य विभाग से पंजीकृत नहीं है। सरकारी अस्पताल के डॉक्टर भी मरीजों को अपंजीकृत लैब में खून की जांच कराने की सलाह देते हैं।एक  दिन में सौ से दो सौ मरीज इन लैब में जांच कराते हैं, लेकिन इन लैब में खून की जांच करने वाले न तो उपकरण हैं न योग्य लोग।लैब में रक्तजांच के लिए पैथोलोजिस्ट नहीं है। कई लैब के संचालक टैक्नीशियन हैं, इन्हीं के सहारे लैब संचालित हो रही हैं, जिससे जिंदगी के साथ खिलवाड़ हो रहा है। अधिकांश लैब के बोर्ड में दक्ष चिकित्सकों के नाम लिखे हैं , किंतु वो चिकित्सक कभी भी लैब में नहीं आते है । कई लैब में तो हाई स्कूल , इंटर मिडियेट किए लड़के खून की जांच करते हैं ।

ब्लड कलेक्शन सेंटर में भी गोरखधंधा 

क्षेत्र में कई जगह ब्लड कलेक्शन सेंटर खुले हुए है । जहां ब्लड लेकर जांच के लिए रायबरेली और लखनऊ के बड़े लैब में भेजा जाता है । सेंपल रखने और उन्हे सुरक्षित लैब तक पहुंचाने में भी बड़ी लापरवाही की जाती है , जिससे खून की रिपोर्ट गलत आती है । यहां मरीजों से बड़ी रकम वसूली जाती है । किंतु जांच रिपोर्ट सही कहीं दी जाती है । जिसके कारण मरीजों का सही इलाज नहीं हो पाता है । हालात यह है कि एक ही मरीज का अलग अलग लैब में जांच कराई जाती है तो उसकी रिपोर्ट भिन्न भिन्न आती है । इस बारे में सीएचसी अधीक्षक डा मनोज शुक्ल का कहना है कि समय समय पर अभियान चलाकर पैथालोजी की जांच की जाती है , जहां गलत मिलता है , वहां कार्रवाई होती है ।