रायबरेली-कासिम को कर्बला में सजाते रहे हुसैन , अपने हसन को दूल्हा बनाते रहे हुसैन

रायबरेली-कासिम को कर्बला में सजाते रहे हुसैन , अपने हसन को दूल्हा बनाते रहे हुसैन

-:विज्ञापन:-




रिपोर्ट-सागर तिवारी 

....एक फूल था जो घोड़ो की टापो मे आ गया 


ऊंचाहार-रायबरेली- एक रात के दूल्हे का पहले बेरहमी से कत्ल, फिर उनकी लाश को घोड़ो की टापोँ से रौदना , जालिम की क्रूरता को बयां करता है | इतना विभत्स मंजर को देखकर किसी की भी रूह काँप  जाए , लेकिन हुसैन का ईमान नहीं डिगा , और वह उसूलो के लिए लड़ते रहे। ये बातें गुरुवार को मजलिस में वक्ताओं ने कर्बला की दास्तां सुनाते हुए बताई। 
        मुहर्रम का सातवाँ दिन हजरत इमाम हुसैन के भतीजे कासिम की याद मे मनाया जाता है |  कासिम की एक दिन पहले शादी हुई थी | दूसरे दिन उनका कत्ल करके उनके शव को घोड़ो की टापों से रौंदा गया था | इसलिए सातवीं मुहर्रम का जुलूस मेंहदी के जुलूस के रूप मे निकाला जाता है | गुरुवार को सातवीं मुहर्रम की शुरुआत सुबह 11 बजे बड़े इमाम बाड़े में मजलिस से हुई | जिसका आगाज ओवैस नक़वी के मर्सिये “ कासिम था नाम बागे हसन की बहार का , एक फूल था जो घोड़ो की टापों मे आ गया “ से हुआ | यहाँ पर मजलिस मे कर्बला मे शहीद हुए कासिम के बारे मे बताया गया | उसके बाद मेंहदी के जुलूस  की शुरुआत हुई | जैसे ही जुलूस शुरू हुआ मौलाना  अली मोहम्मद ने पढ़ा कि  “ कासिम को कर्बला में सजाते रहे हुसैन , अपने हसन को दूल्हा बनाते रहे हुसैन “ | उनके साथ आरिफ हुसैन , आदिल नक़वी , इमरान नक़वी ने नौहाख्वानी की | तमाम अजादारोंं के साथ शाजू नक़वी ने भी मातम किया | इस जुलूस मे बड़ी संख्या मे महिलाएं बच्चे भी शामिल थे |  जिसमे असरफ हुसैन असद और शानू नक़वी व मो अनस ने व्यवस्था संभाली। इमाम चौक पर मौलाना हसनैन मुस्तफाबादी की तकरीर में सभी धर्मो के प्रति मोहब्बत रखने के हुसैन के पैगाम को सुनाया गया | इस मौके पर अबूज़र रिज़वी, रज़ा रिज़वी,सखा अब्बास, रेहान अब्बास,अता नक़वी, अरशद नक़वी,असगर (बाबू जी),अनीस हैदर, महताब रिज़वी, रिज़वान हैदर, इंतजार अली , अस्करी अली  सहित हजारो की संख्या मे लोग मौजूद थे। जुलूस के पूरे रास्ते में डा अजहर अब्बास नकवी , नाजिर हैदर , चिम्मम भाई , सरवर बुलुक आदि लोग मौजूद रहे।