रायबरेली:NTPC मां गंगे की आचल को दूषित जल,वा कचरा केमिकल युक्त पानी नालों से होकर गंगा नदी में भेजने का काम कर रही।

रायबरेली:NTPC मां गंगे की आचल को दूषित जल,वा कचरा केमिकल युक्त पानी नालों से होकर गंगा नदी में  भेजने का काम कर रही।

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रिपोर्ट>सागर तिवारी


ऊंचाहार रायबरेली: उत्तर भारतीय गंगा को नदी नहीं मां के रूप में मानते हैं। मां के आंचल को निर्मल बनाने के लिए सरकार अरबों रुपए खर्च कर नमामि गंगे परियोजना चला रही है। लेकिन एनटीपीसी परियोजना समेत उसके आवासीय परिसर का दूषित जल, कचरा व केमिकल युक्त पानी नालों से होकर गंगा नदी में प्रवाहित हो रहा है। जो गंगा मां के निर्मल जल को मैला कर सरकार की नमामिगंगे योजना को पलीता लगा रहा है। जांच के बाद भी अधिकारी व जिम्मेदार इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं।
        एनटीपीसी परियोजना तथा उसके आवासीय परिसर व कस्बा से निकलने वाला दूषित जल, मलमूत्र कस्बे के बीचो बीच से गुजरने वाले नाले के सहारे अरखा, जब्बारीपुर व कल्यानी गांव के पास गंगा नदी में गिराया जाता है। यह क्रम अनवरत तीन दशक से जारी है। एनटीपीसी के आवासीय परिसर से निकलने वाले नाले व सीवर लाइनों की टूटी पाइपलाइनों का निरीक्षण किया। जहां सीवर लाइनों की टूटी हुई पाइपलाइनें तथा नालियों से बहता मल देख  उनका पारा चढ़ गया। कहा कि यह दूषित जल व कूड़ा, करकट, पॉलीथिन के अपशिष्ट मां गंगा के निर्मल जल को दागदार बना रहे हैं। इस दूषित जल से जहां गंगा मैली हो रहा है, तो वहीं सरकार द्वारा अरबों रुपए खर्च कर चलाए जाने वाली महत्वाकांक्षी नमामि गंगे परियोजना को खुलेआम पलीता लग रहा है। पूर्व में क्षेत्रीय लोगों की शिकायत के बाद ऊंचाहार विधायक डॉ मनोज कुमार पांडेय ने समस्या को सदन में उठाया था। इसके बाद प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम समेत जिलाधिकारी व स्थानीय प्रशासन द्वारा इसकी जांच की गई। लेकिन नतीजा कुछ भी नहीं निकला। इस बाबत परियोजना की जनसंपर्क अधिकारी कोमल शर्मा ने बताया कि आवासीय परिसर से निकलने वाले जल को डैम बनाकर रोकने के बाद उसे शोधित किया जाता है। बहुत ही कम मात्रा में जल नाले में गिरता है। जिसे भी डैम बनाकर रोका जाएगा