रायबरेली-शहीद स्मारक में श्रद्धांजलि समारोह और मेला में उमड़े लोग, मंत्री सहित जिले के आला अफसरों ने शहीदों को किया नमन

रायबरेली-शहीद स्मारक में श्रद्धांजलि समारोह और मेला में उमड़े लोग, मंत्री सहित जिले के आला अफसरों ने शहीदों को किया नमन

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रिपोर्ट-रितेश श्रीवास्तव


रायबरेली- सात जनवरी 1921 की गोलीकांड की याद में शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए मंगलवार को मुंशीगंज सई नदी तट स्थित शहीद स्मारक पर हुजूम उमड़ा रहा। जिले के आला अफसर से लेकर जनप्रतिनिधि, किसान, बुद्धिजीवी और छात्र-छात्राओं ने पुष्प अर्पित कर नमन किया। इस दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रम में उनके बलिदान को याद किया गया। 

राज्यमंत्री दिनेश प्रताप सिंह एवं अपर जिलाधिकारी(वी०/रा०)अमृता सिंह और अपर पुलिस अधीक्षक संजीव कुमार सिन्हा ने शहीद स्तम्भ पर पुष्पचक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। मंत्री जी  ने सभी ज्ञात अज्ञात शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित किया और  साथ ही शहीदों के परिवारिजनों को अंगवस्त्र से सम्मानित किया।
इस दौरान बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। नेत्रों से दिव्यांग शबाब अली ने देशभक्ति गीत सुनाया तो सभी भावुक हो गए। वहीं 5 वर्षीय कास्वी ने नृत्य प्रस्तुत कर सभी का मन मोह लिया। साथ ही भक्ति गीत पर शुभांगी तिवारी ने नृत्य प्रस्तुत कर जम कर तालियाँ बटोरा, नेहरू युवा केंद्र की ओर से आल्हा गायन प्रस्तुत किया गया  । इस मौके पर राज्यमंत्री दिनेश प्रताप सिंह,एडीएम प्रसाशन सिद्धार्थ,एवं एडीएम वित्त एवं राजस्व अमृता सिंह, परियोजना निदेशक सतीश प्रसाद मिश्रा व मुख्यविकास अधिकारी अर्पित उपाध्यय, पुलिस अधीक्षक डॉ यशवीर सिंह, अपर पुलिस अधीक्षक संजीव कुमार सिन्हा,उपस्थित रहें। वहीं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी उत्तराधिकारी संगठन अध्यक्ष अनिल मिश्रा, जय सिंह सेंगर, अमित मिश्रा, जी.सी.सिंह चौहान (समाज सेवी )वी के सिंह, अजय कुमार सिंह, राकेश पाण्डेय, अशोक मिश्रा डीआरडीए, शिव मनोहर पाण्डेय,महनेंद्र अग्रवाल,पूनम तिवारी, ओ पी यादव एडवोकेट,  राजेश मिश्रा, वीरेंदर बिहारी एडवोकेट,एवं कांग्रेस जिलाध्यक्ष पंकज त्रिपाठी,निर्मल शुक्ला,आदि गणमान्य उपस्थित रहें कार्यक्रम के समाप्ति मे मंच के संचालक महोदय अनूप कुमार मिश्रा जी ने  सभी का आभार व्यक्त किया।
 
मुंशीगंज गोलिकांड का इतिहास, इतिहास के पन्नों मे दर्ज है जिसे देश के 'जलियांवाला बाग' 2 के नाम से जाना जाता है।

रायबरेली के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित मदन मोहन मिश्र ने शहीद किसानों की याद में सई नदी के किनारे स्मारक बनवाया। नाम रखा मुंशीगंज शहीद स्मारक। 12 सिंतबर 1987 को भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने इसका उद्घाटन किया। तब से हर साल 7 जनवरी को यहां शहीद किसानों की याद में श्रद्धांजलि सभा रखी जाती है। 

बड़े ही दुर्भाग्य की बात है कि गोलीकांड के 104 साल बाद भी इस शहीद स्थल को राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा नहीं मिल सका है। 

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी उत्तराधिकारी संगठन अध्यक्ष अनिल मिश्रा कहते हैं, "बड़े ही दुर्भाग्य की बात है कि गोलीकांड के 104 साल बाद भी इस शहीद स्थल को राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा नहीं मिल सका है। हमारा संगठन इसे राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा दिलाने के लिए जिला प्रशासन से लेकर प्रधानमंत्री तक का लेटर भेजा जा चुका है। वहीं अनूप कुमार मिश्रा जी ने बताया की पंडित सूर्यकांत मिश्रा जी जो की 40 सालों से कार्यक्रम का संचालन कियें । उनकी अंतिम इच्छा थी की स्मारक को राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया जाये। जिसके लिए लगतार अनुरोध किया जाता रहा है जो की अभी तक सपने साकार नहीं हुए जनपद रायबरेली के समाज सेवी एवं गणमान्यों द्वारा यें निरंतर अनुरोध किया जाता रहा है की इसे राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया जाये। ताकि आने वाली पीढ़ी इस 7 जनवरी 1921की सहादत को याद करें।

जहाँ मुंशीगंज का नरसंहार देख रो पड़े थे नेहरू, किसानों से मिलने पहुंचे नेहरू को अंग्रेजों ने कर दिया था नजरबंद 

 रायबरेली के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी उत्तराधिकारी संगठन के अध्यक्ष अनिल मिश्रा ने  गोलीकांड के बारे मे बताया की "अवैध टैक्स वसूली से किसान गुस्साए हुए थे। अंग्रेजों से तंग आकर किसान नेता अमोल शर्मा, बाबा रामचंद्र और बाबा जानकी दास के नेतृत्व में 5 जनवरी, 1921 को एक जनसभा हो रही थी। दूर-दराज के गांवों से किसान इस सभा में भाग लेने पहुंचे थे। लेकिन अंग्रेजों के चाटूकार तालुकेदार वीरपाल सिंह ने इसकी चुगली डिप्टी कमिश्नर AG शेरिफ से कर दी थी। शेरिफ ने तीनों किसान नेताओं को गिरफ्तार कर लखनऊ जेल भिजवा दिया। दो दिन बाद यानी 7 जनवरी, 1921 को रायबरेली में ये अफवाह फैल गई कि लखनऊ में तीनों नेताओं की हत्या करवा दी गई है। इसे सुनते ही 2000 से ज्यादा किसान सई नदी के किनारे पर इकट्ठा हो गए। किसानों की भीड़ देख अंग्रेज अफसर शेरिफ घबरा गया और उसने निहत्थे किसानों पर फायरिंग का आदेश दे दिया।
इस गोलीकांड में 750 से ज्यादा किसानों की मौत हुई थी। 1500 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। , घटना के दिन सई नदी का पानी रक्त से लाल हो गया था , अनिल मिश्रा कहते हैं, "रायबरेली के हालात को भांपते हुए उस समय के नेता मारतंड दत्त वैद ने पंडित जवाहरलाल नेहरू को चिट्ठी लिखकर तुरंत मुंशीगंज आने को कहा। दिल्ली से ट्रेन पकड़ अगली सुबह नेहरू रायबरेली पहुंचे। लेकिन उन्हें कलेक्ट्रेट परिसर के नजदीक ही रोक दिया गया। किसी तरह वे सई नदी के पुल तक पहुंचे, लेकिन अंग्रेजों ने उन्हें हिरासत में लेकर नजरबंद कर दिया था ।
नेहरू सई नदी के तट पर बिखरी किसानों की लाशें देख रो पड़े थे। उन्होंने उस दृश्य के बारे में जो लिखा, वो आज भी मुंशीगंज शहीद स्मारक पर लगे शिलालेख में दर्ज है। नेहरू ने गोलीकांड के बारे में जो लिखा। ( रायबरेली प्रताप' मान-हानि केस में पं.जवाहर लाल नेहरु का बयान जुलाई १९२१) ---- गांवो में जहाँ - जहाँ गया मुझको कसरत से लोग मिले और इस फायरिंग का दुखड़ा रोते थे वापसी में मैने चन्द लाशें देखी जो एक तांगे में इकट्ठा बेतरतीवी के साथ पड़ी थी। यह तांगा बगैर घोड़े के मुशीगंज के पुल के पास खड़ा था इन लाशों पर कपड़ा पड़ा था लेकिन टांगे निकली थी। मेरे ख्याल से एक दर्जन टांगे निकली रही होगीं यह भी मुमकिन है कि दस रही हो या चौदह । रायबरेली प्रताप' मान-हानि केस में पं.नेहरु का बयान।