रायबरेली-जब से आने को कहा था कर्बला से हिंद में ,हो गया उस रोज से हिंदोस्ता शब्बीर का,,,

रायबरेली-जब से आने को कहा था कर्बला से हिंद में ,हो गया उस रोज से हिंदोस्ता शब्बीर का,,,

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   रिपोर्ट-सागर तिवारी


ऊंचाहार - रायबरेली-मुहर्रम के तीसरे दिन कर्बला में गई हजरत इमाम हुसैन के परिवार पर जुल्म की दास्तां मजलिसों में बताई गई । वक्ताओं ने कहा कि भारत हुसैन की मुहब्बत का मुल्क है , हुसैन भारत आना चाह रहे थे किंतु जालिम यजीद ने उन्हें भारत नहीं आने दिया । मजलिस में मौलाना हसनैन मुस्तफाबादी ने यकीदा पढ़ा कि " जब से आने को कहा था कर्बला से हिंद में ,हो गया उस रोज से हिंदोस्ता शब्बीर का " तो मजलिस में मौजूद सभी  अजादारो ने दिल भारत के लिए प्रेम और श्रद्धा के भाव से भर गया । मौलाना ने कहा कि कौम और इंसानियत की राह पर चलने वाले हजरत हुसैन पर जालिम ने जुल्म पर जुल्म ढाए किंतु वह अपनी राह पर चलते रहे , उनके पूरे कुनबे को मार डाला गया , उनका सिर कलम कर दिया गया लेकिन उन्होंने प्रेम और इंसानियत की राह नहीं छोड़ी। 
       रविवार को मुहर्रम के तीसरे दिन भी मजलिसों और मातम का दौर चलता रहा । इस दौरान कर्बला में हजरत इमाम हुसैन द्वारा दी गई शहादत को याद करके लोगों की आंखे नम हो गई। ऊंचाहार कस्बे के बड़े इमामबाड़ा में लोगों ने मजलिस को संबोधित करते हुए कहा कि जालिम यजीद ने पैगम्बर के प्यारे नवासे का सर कलम करके जंग भले जीत ली हो , किंतु हजरत इमाम हुसैन ने कुर्बानी देकर पूरी कायनात को कतेह कर लिया है। आज दुनिया हुसैन को याद करती है । जबकि यजीद का कोई नामलेवा नहीं है। इस दौरान तंजीम ए हैदरी में शरबत , चाय और पानी की व्यवस्था की थी। मजलिस को ओवेस नकवी और हसनैन मुस्तफावादी ने संबोधित किया । इसमें ताबिस हैदर ने पढ़ा कि ' वापस मदीना लौटकर आए न फिर हुसैन , या रब किसी गरीब का ऐसा सफर न हो'  सुनकर सभी अजादारों की आंखे भर आई थी। इस मौके पर शोएब हैदर , जॉन हैदर, कोनैन अब्बास , सिबतैन अब्बास , हैदर अब्बास के अलावा नाजिर हैदर , डा अजहर अब्बास नकवी , असरफ हुसैन असद , शाजू नकवी आदि बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे।