रायबरेली-महिलाओं ने पानी में खड़े होकर अस्ताचल सूर्य को दिया अर्घ्य, लगाया पकवानों का भोग , एनटीपीसी जीएम द्वारा पहुंचाई गई हिन्दू आस्था पर चोट

रायबरेली-महिलाओं ने पानी में खड़े होकर अस्ताचल सूर्य को दिया अर्घ्य, लगाया पकवानों का भोग , एनटीपीसी जीएम द्वारा पहुंचाई गई  हिन्दू आस्था पर चोट

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  रिपोर्ट-सागर तिवारी

ऊंचाहार-रायबरेली-भगवान भास्कर की आराधना के महापर्व छठ पूजा के दूसरे तीसरे दिन व्रती महिलाओं ने गंगा और तालाबों के घाटों पर पानी में खड़े होकर अस्ताचल सूर्य को अर्घ्य दिया। इस बार एनटीपीसी द्वारा पास के शारदा सहायक नहर के पास साफ सफाई न कराने के कारण एनटीपीसी तक के परिवारों ने क्लब में प्रतीकात्मक पूजा की है, जिसे लेकर बड़ा आक्रोश है । आरोप है कि दूसरे धर्म के मुख्य महाप्रबंधक होने के कारण वह हिंदू धर्म की परंपराओं में बाधा उत्पन्न कर रहे है।
           भगवान सूर्य और छठ माता से परिवार के सुख और समृद्धि की कामना के साथ पुत्र के दीर्घायु की प्रार्थना की। भगवान को विभिन्न प्रकार के पकवानों और फलो का भोग लगाया गया। छठ पूजा में 36 घंटे का उपवास रखना पड़ता है। इसके अलावा छठ पूजा में कई कठिन नियमों का पालन करना पड़ता है।


छठ पूजा में अस्ताचल यानी डूबते सूर्य को अर्घ्य देने का विशेष महात्म्य है। इसके पीछे कई आध्यात्मिक पक्ष हैं। मान्यताओं के अनुसार अस्त होते समय भगवान सूर्य देव अपनी पत्नी प्रत्यूषा के साथ होते हैं। इस समय भगवान सूर्य को अर्घ्य देने से जीवन में आ रही सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं। डूबते सूर्य को अर्घ्य देने से व्रती महिलाओं सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। ढलता सूर्य हमें बताता है कि हमें कभी भी हार नहीं मानना चाहिए, क्योंकि रात होने के बाद एक उम्मीद भरी सुबह भी जरूर आती है। डूबते सूर्य को अर्घ्य देने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और शक्ति का संचार होता है। इतना ही नहीं व्यक्ति को सफल जीवन का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। 
छठ पूजा भगवान सूर्य और प्रकृति को समर्पित पर्व माना जाता है। छठ पूजा सामग्री में भी फल, सब्जियां और अन्य प्राकृतिक चीजें शामिल की जाती हैं। सूर्य देव के साथ छठी मैया की भी पूजा की जाती है। कहते हैं सूर्य देव की उपासना करने से सुख, समृद्धि, निरोगी शरीर की प्राप्ति होती है। वहीं छठी मैया की पूजा करने से संतान दीर्घायु होते हैं और उनके जीवन पर आया सभी संकट दूर हो जाता है।
     मूलरुप से पूर्वांचल के इस महापर्व पर एनटीपीसी के आवासीय परिसर में और आसपास के कई गांवों में इस पर्व की परंपरा विगत कुछ बरसो में शुरू हुई थी। एनटीपीसी और आसपास के गांव के परिवार शारदा सहायक नहर के किनारे जाकर अस्पताल सूर्य को अर्घ्य देकर पूजा की समाप्ति करते थे, किंतु इस बार एनटीपीसी  की महिलाओं ने जागृति क्लब में और आसपास के गांव की महिलाओं ने तालाब में इस पर्व को समाप्त किया है, क्योंकि शारदा नहर आसपास घने जंगल की सफाई इस बार एनटीपीसी ने नहीं कराई थी। जिसको लेकर एनटीपीसी कई परिवारों में भारी आक्रोश भी व्यस्त है।