यूपी के इस जिले में एक साथ 11 MBBS डॉक्टरों ने दे दिया इस्तीफा, मिनटों में खाली हुआ अस्पताल, जानें वजह

यूपी के इस जिले में एक साथ 11 MBBS डॉक्टरों ने दे दिया इस्तीफा, मिनटों में खाली हुआ अस्पताल, जानें वजह

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डेंगू बुखार के बढ़ते प्रकोप के बीच इलाज का संकट गहरा गया है। स्वास्थ्य विभाग में 11 एमबीबीएस डॉक्टरों ने इस्तीफा दे दिया है। नगरीय स्वास्थ्य केंद्रों पर तैनात डॉक्टरों के इस्तीफे से मिनटों में ही अस्पताल खाली हो गए हैं और वहां मरीजों को जांच, इलाज की सुविधा मिलना फिलहाल मुश्किल हो गया है।

कम से कम एक माह तक यहां डॉक्टरों की तैनाती होना कठिन है।

शहर के अधिकांश प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और अर्बन हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों पर एमबीबीएस डॉक्टरों की संविदा पर तैनाती की गई है। शहर में 23 पीएचसी और 34 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर हैं। तीन माह पहले ही यहां डॉक्टरों की तैनाती की प्रक्रिया पूरी की गई थी। डेंगू बुखार के बढ़ते हमले के चलते शहरी स्वास्थ्य केंद्रों पर मरीजों की खासी भीड़ जुट रही थी। अब 11 डॉक्टरों ने स्वास्थ्य विभाग से इस्तीफा दे दिया है। इसमें कई डॉक्टरों का पीजी में चयन हो गया है। एक साथ 11 डॉक्टरों के इस्तीफा देने से स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है। रोटेशन प्रणाली के तहत उपलब्ध डॉक्टरों की ड्यूटी लगाकर स्वास्थ्य केंद्रों के संचालन का प्रयास किया जा रहा है।

इन डॉक्टरों ने दिया त्यागपत्र

इस्तीफा देने वालों में डॉ. मोनी कश्यप की अनुपमनगर और नेकपुर गौटिया, डॉ. काजिम अब्बास की फरीदापुर चौधरी, डॉ. अमन मौर्य की नगरिया परीक्षित, डॉ. सैजनी यादव की बंशीनगला और नेकपुर, डॉ. विजेंद्र सिंह की बानखाना और गंगापुरम, डॉ. सुचेत यादव की मौलानगर, डॉ. हीराकमर की बहेड़ी यूपीएचसी, डॉ. सुनीधि गुप्ता की जाटवपुरा, डॉ. निखिल कुमार की संतनगर, डॉ. यू खान की हरुनगला और डॉ. प्रखर सक्सेना की विश्वनाथपुरम स्वास्थ्य केंद्र पर तैनाती थी।

इन क्षेत्रों में डेंगू का प्रकोप

बानखाना, मौलानगर, जाटवपुरा, गंगापुरम, सुर्खा, बहेड़ी कस्बा शामिल है जहां डेंगू बुखार का प्रकोप तेजी से फैल रहा है। अब डॉक्टरों की भर्ती वाक-इन-इंटरव्यू के जरिये करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। लेकिन इसमें कम से कम एक माह का समय लग सकता है।

डेंगू लाइलाज नहीं, डॉक्टर के परामर्श से लें दवा

डेंगू बुखार के बढ़ते मामले को देखते हुए आईएमए में गोष्ठी का आयोजन किया गया। कमेटी के साइंटिफिक चेयरमैन डॉ. सुदीप सरन ने कहा कि डेंगू लाइलाज बीमारी नहीं है लेकिन लापरवाही खतरनाक हो सकती है। झोलाछाप और मेडिकल स्टोर से मनमर्जी से दवा लेकर न खाएं। समस्या तीसरे, चौथे दिन शुरू होती है जब शरीर में प्लेटलेट्स की संख्या गिरती है। इसलिए जरूरी है बुखार में डॉक्टर को दिखाएं, उनके परामर्श से दवा लें।

डॉक्टरों ने की गोष्ठी

आईएमए अध्यक्ष डॉ. राजीव गोयल ने बताया कि गोष्ठी में शहर के चिकित्सकों ने डेंगू और उससे उत्पन्न गम्भीर परिस्थितियों पर चर्चा की। इस मौके पर सचिव डॉ. गौरव गर्ग, कोषाध्यक्ष डॉ. निकुंज गोयल, डॉ. अतुल अग्रवाल, डॉ. दिनेश पुरी, डॉ. अनुपम शर्मा, डॉ. अनीस बेग, डॉ. ज्ञानेन्द्र गुप्ता, डॉ. शरद अग्रवाल, डॉ. किशन चंद गुप्ता मौजूद रहे।

बीते साल का रिकार्ड टूटा

डेंगू बुखार का प्रकोप तेजी से बढ़ता जा रहा है और बुधवार को मरीजों की संख्या ने बीते साल का रिकार्ड तोड़ दिया। स्वास्थ्य विभाग की जांच में बुधवार को डेंगू बुखार के 13 नए मरीज मिले हैं। इसके साथ ही मरीजों की संख्या बढ़कर 484 पहुंच गई है। यह बीते 25 साल में डेंगू मरीजों की दूसरी सबसे अधिक संख्या है। वर्ष 2021 में सबसे अधिक 595 डेंगू संक्रमित मिले थे।