देशभर में फर्जी टोल प्लाजा पर चलेगा चाबुक, सरकार ने दिया राष्ट्रव्यापी सर्वे का आदेश
केंद्र सरकार ने संसदीय समिति की सिफारिश के बाद देशभर में नेशनल हाईवे पर फर्जी टोल प्लाजा का पता लगाने के लिए राष्ट्रव्यापी सर्वे कराने का फैसला किया है। इस सर्वे का मकसद सड़क यात्रियों की जेब ढीली कर रहे फर्जी टोल प्लाजा को बंद कराकर उन पर कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित करना है।
सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय ने इस बाबत 10 अक्टूबर 2024 को भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) और राष्ट्रीय राजमार्ग अवसंरचना एवं विकास निगम लिमिटेड (एनएचएआईडीसीएल) को आदेश जारी कर दिया है। इसमें कहा गया है कि देश के कई हिस्सों में कुछ असमाजिक तत्वों द्वारा फर्जी टोल प्लाजा बनाकर आम जनता से टोल टैक्स वसूलने की सूचना प्राप्त हुई है।
विभाग के क्षेत्रीय अधिकारी (आरओ) व परियोजना निदेशक (पीडी) अपने-अपने क्षेत्र में गहन सर्वे कार्यक्रम चलाकर ऐसे फर्जी टोल प्लाजा को बंद कराएं। इसके लिए विभाग को राज्य सरकार के प्रशासन-पुलिस की सहायता लेनी चाहिए। आदेश में कहा गया है कि फर्जी टोल प्लाजा से आम जनता को ठगा जा रहा है और इससे राजस्व का नुकसान भी हो रहा है।
गौरतलब है कि पर्यटन और परिवहन संबंधी संसद की स्थायी समिति ने पिछले दिनों संसद में पेश अपनी रिपोर्ट देश में चल रहे फर्जी टोल प्लाजा को लेकर सरकार का ध्यान खींचा था। समिति ने गुजरात में एक फर्जी टोल प्लाजा का निर्माण कराकर सड़क यात्रियों से टोल टैक्स वसूली का उल्लेख भी किया। इसके अलावा समिति ने बार-बार सड़क यात्रियों से तय दर से अधिक टोल वसूलने वाले टोल कंपनियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की सिफारिश भी की है।
गुजरात में फर्जी टोल प्लाजा पर 75 करोड़ रुपये वसूले
गुजरात के मोरबी जिला में राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 8ए पर फर्जी टोल प्लाजा बनाकर डेढ़ साल तक टोल टैक्स की वसूली होती रही। इस दौरान असमाजिक तत्वों ने आम सड़क यात्रियों से 75 करोड़ रुपये बतौर टोल टैक्स वसूले। इसकी जानकारी होने पर स्थानीय पुलिस ने पांच लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर उनको गिरफ्तार कर जेल भेजा।
कॉन्ट्रैक्ट खत्म होने के बावजूद हो रही वसूली
लगभग 900 किलोमीटर लंबे वडोदरा-मुंबई राष्ट्रीय राजमार्ग पर भरुच खंड व भरुच-सूरत खंड पर टोल प्लाजा का अनुबंध समाप्त होने के बावजूद 100 टोल टैक्स लिया जा रहा है, जबकि सरकार का नियम कहता है ऐसे प्लाजा पर राजमार्ग के मरम्मत व रख-रखाव के नाम पर सिर्फ 40 टैक्स लिया जाना चाहिए। सूत्रों का कहना है विभाग के अफसरों की मिलीभगत से होता है।