रायबरेली-कृषि वैज्ञानिकों ने कृषकों को पराली प्रबन्धन के प्रति किया जागरूक

रायबरेली-कृषि वैज्ञानिकों ने कृषकों को पराली प्रबन्धन के प्रति किया जागरूक

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रिपोर्ट-अंगद राही

रायबरेली महराजगंज क्षेत्र के ग्राम जमुरावां गांव में महात्मने स्पाइसेज प्रोड्यूसर कम्पनी की शाखा जमुरावां व कृषि विज्ञान केंद्र दरियापुर,रायबरेली के संयुक्त तत्वाधान में फसल अवशेष योजना अन्तर्गत प्रक्षेत्र, कटाई दिवस मनाया गया। जिसके तहत संगोष्ठी एवं जागरूकता अभियान चलाकर किसानों को पराली प्रबंधन की विस्तृत जानकारी दी गई। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में उपस्थित बछरावां विधायक श्यामसुन्दर भारती ने फीता काटकर कार्यक्रम का शुभारम्भ करते हुए किसानों को संबोधित किया। कार्यक्रम में उपस्थित कृषि विज्ञान केंद्र दरियापूर के कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को पराली प्रबंधन के बारे में जागरूक करते हुए बताया कि पराली जलाने से मिट्टी में मौजूद जीवाणु मर जाते हैं, साथ ही वायु प्रदूषण फैलता है। जिससे कृषक के साथ ही सभी का नुकसान होता है। कृषि विज्ञान केंद्र दरियापुर की प्रभारी एवं प्रमुख वैज्ञानिक डा.नीलिमा कुंवर,डा.शैलेंद्र विक्रम सिंह ने बताया कि, किसान भाई पराली में आग लगाने के बजाय डी.कंपोस्ट का छिड़काव करके पराली को खेत में ही सड़ा दें। जिससे मिट्टी मुलायम और खेत में कार्बन की मात्रा और उत्पादन क्षमता बढ़ जाएगी। उन्होंने कहा कि किसान भाई सुपर सीडर से बुवाई करें। सुपर सीडर से बुवाई करने पर सरकार किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए एक हेक्टेयर पर 6000 का अनुदान दे रही है, जो सीधे किसान के खाते में जाएगा। कार्यक्रम में उपस्थित क्षेत्र के प्रगतिशील गंगा सागर पांडेय और मंसाराम को उन्नत खेती एवं तकनीकी के लिए सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में महात्मने स्पाइसेज प्रोड्यूसर कंपनी के संचालक मण्डल सदस्यों द्वारा इस बात को दोहराया गई कि किसान अपनी समस्याओं का समाधान स्वयं संगठित होकर कर सकते हैं। साथ ही साथ राज्य एवं केंद्र सरकार द्वारा कृषक हितैषी विभिन्न योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं। क्षेत्र के बीज उत्पादक कृषक जगदत्त त्रिपाठी,अरुण कुमार त्रिपाठी, रामसागर पांडेय एवं अन्य बीज उत्पादक किसानों को प्रमुख कृषि वैज्ञानिक डा़ नीलिमा कुंवर, उद्यान वैज्ञानिक डॉ.शैलेंद्र विक्रम सिंह व महात्मने स्पाइसेज प्रोड्यूसर कंपनी के निदेशक केशवानन्द त्रिपाठी ने संयुक्त रूप से अधिक उपज देने वाली गेहूं की प्रजाति करण बन्दना का आधारीय देकर उन्हें बीज उत्पादन के लिए प्रेरित किया।