स्कूलों में फोन पर प्रतिबंध की ओर बढ़ रही दुनिया, छात्रों के तकनीकी रूप से पिछड़ने का भी जोखिम

दिल्ली के स्कूलों में विद्यार्थियों व शिक्षकों के लिए कक्षा में फोन लाना अगस्त माह में प्रतिबंधित किया गया। अमेरिका के फ्लोरिडा राज्य ने भी ऐसा ही प्रतिबंध साल के शुरू में लगाया।
ब्रिटिश सरकार ने अक्तूबर में पूरे देश के स्कूलों में फोन लाने पर रोक की सिफारिश की।
इटली पिछले साल ही यह रोक लगा चुका है, तो चीन दो साल पहले ऐसा कर चुका है। पूरी दुनिया में स्कूलों में छात्रों द्वारा स्मार्टफोन लाने पर रोक का चलन तेजी पकड़ रहा है। लेकिन क्या स्कूली किशोरों के हाथों से फोन छीनने के कुछ फायदा हैं? या नुकसान भी हो सकते हैं? इसे लेकर एक बड़ी बहस भी चल पड़ी है, जिसमें यूनेस्को से लेकर कई देशों के शोध संगठन अपने-अपने दावे कर रहे हैं।
यूनेस्को ने हाल में अपनी रिपोर्ट में बताया कि विश्व के हर 4 में से 1 देश में छात्र द्वारा स्कूल में फोन लाने पर कानूनी या नीतिगत रोक है या उपयोग सीमित किया गया है। प्रतिबंध के समर्थकों के अनुसार ऐसा करने से छात्र सोशल मीडिया पर समय बर्बाद नहीं कर रहे, साइबर बुलिंग से बच रहे हैं। प्रतिबंध के विरोधियों का तर्क है कि जो छात्र परिवार की जिम्मेदारी भी उठा रहे हैं, काम कर रहे हैं, उन्हें बड़ा नुकसान हो रहा है।
इसलिए भी प्रतिबंध लगा रहे स्कूल
लड़ाइयां स्कूल में, वीडियो सोशल मीडिया पर स्कूलों में छात्रों के बीच लड़ाइयों के सैकड़ों वीडियो रोजाना बनाए जा रहे हैं। सोशल मीडिया पर अपलोड भी किए जा रहे हैं। इनसे बच्चों के हितों व स्कूलों की प्रतिष्ठा तक बिगड़ रही है, लड़ाइयों में हिंसा व गंभीरता भी बढ़ रही है।
साइबर बुलिंग
अमेरिका के रोग नियंत्रण व रोकथाम केंद्र के अनुसार 2021 में 16 प्रतिशत स्कूली बच्चों ने खुद को साइबर बुलिंग का शिकार बताया। उन्हें स्कूल में सोशल मीडिया व मैसेजिंग एप के जरिए धमकियां दी जा रही हैं। मानसिक स्वास्थ्य पर इसका बुरा असर पढ़ाई में पिछड़ने की वजह बन रहा है।
एक दिन में 237 तक नोटिफिकेशन
स्मार्टफोन पर सोशल मीडिया व विभिन्न एप के 237 तक नोटिफिकेशन छात्रों को हर दिन औसतन मिल रहे हैं। इनमें एक-तिहाई स्कूली समय में मिल रहे हैं। यह भी पढ़ाई में व्यवधान का अहम कारण है।
तकनीक का समझदारी से उपयोग जरूरी: यूनेस्को
यूनेस्को अपनी रिपोर्ट में दावा करता है कि स्कूली छात्रों के बीच तकनीक को समझदारी से पहुंचाना जरूरी है। पढ़ाने के तरीकों में नई तकनीक की भूमिका बढ़ रही है। फोन पर रोक या अनुमति से पहले ठोस अध्ययन जरूरी हैं। अहम तकनीकों से छात्रों को परिचित रखना होगा। उन्हें खुद ही यह समझने का मौका देना चाहिए कि तकनीक के साथ कौनसे अवसर और खतरे पेश आ सकते हैं। उनके इसके साथ और बिना जीवन जीने की समझ विकसित करनी होगी।
फायदे-नुकसान दोनों
2016 में अमेरिकी स्कूलों में हुए सर्वे में प्रिंसिपलों ने दावा किया कि जिन स्कूलों में स्मार्टफोन पर प्रतिबंध था, वहां बाकी स्कूलों के मुकाबले ज्यादा साइबर बुलिंग हो रही है। हालांकि वे स्पष्टीकरण नहीं दे सके कि जब स्कूल में छात्र के पास फोन ही नहीं, तो साइबर बुलिंग कैसे बढ़ रही है?
स्पेन ने 2022 में रिपोर्ट दी कि उसने जिन स्कूलों ने फोन लाने पर प्रतिबंध लगाए, वहां साइबर बुलिंग कम हुई। यही नहीं, यहां के छात्रों ने विज्ञान व गणित में ज्यादा अंक लाने भी शुरू कर दिए। नॉर्वे ने दावा किया कि उसके जिन मिडिल स्कूलों में फोन पर प्रतिबंध था, वहां छात्राओं ने औसत से बेहतर अंक हासिल किए। हालांकि छात्रों के अंकों पर इसका असर नहीं दिखा। सफाई दी गई कि पहले छात्राएं स्मार्टफोन पर ज्यादा समय बिता रही थीं।

