हैदराबाद में 'डिजिटल अरेस्ट' कर बुजुर्ग से 2 करोड़ रुपये की ठगी, ठगों ने खुद को बताया CBI ऑफिसर
हैदराबाद साइबर क्राइम पुलिस ने एक और डिजिटल अरेस्ट धोखाधड़ी का खुलासा किया है। ठगों ने शहर के 71 साल के एक वरिष्ठ नागरिक से 1.92 करोड़ रुपये ऐंठ लिए। पीड़ित ने बताया कि कुछ लोगों ने खुद को CBI अधिकारी बताकर उन्हें धमकाया और पैसे जमा करवाए।
पुलिस के अनुसार, ठगों ने पीड़ित को फोन कर कहा कि उनके आधार कार्ड का गलत इस्तेमाल हुआ है। उन्हें बताया गया कि आधार के नाम पर मुंबई के केनरा बैंक में एक खाता खोला गया है। इसके बाद वीडियो कॉल कर ठगों ने ATM कार्ड की फोटो दिखाई और दिल्ली क्राइम ब्रांच की फर्जी FIR भेजी।
तीन आरोपी गिरफ्तार
पीड़ित को कहा गया कि केस बंद करने के लिए पैसे जमा करने होंगे। डर और भ्रम में फंसे पीड़ित ने 7 से 14 नवंबर के बीच 1,92,50,070 रुपये कई खातों में डाल दिए। धोखाधड़ी का एहसास होने पर पीड़ित ने तुरंत साइबर क्राइम पुलिस से संपर्क किया। पुलिस ने मामला दर्ज कर तीन आरोपियोंपांडू विनीत राज, जी. तिरुपतैया और गौनी विश्वनाथमको गिरफ्तार कर लिया।
ये तीनों हैदराबाद के रहने वाले हैं और देशभर में पांच मामलों में शामिल पाए गए, जिनमें से दो तेलंगाना के हैं। मुख्य आरोपी सनीप उर्फ एलेक्स अभी फरार है। विनीत राज खाते उपलब्ध करवाता था, जबकि तिरुपतैया और विश्वनाथम संयुक्त खाते चलाते थे।
पुलिस की चेतावनी
पुलिस ने लोगों को चेताया है कि भारतीय कानून में डिजिटल अरेस्ट जैसा कोई नियम नहीं है। पुलिस या कोई भी एजेंसी वीडियो कॉल पर गिरफ्तारी नहीं करती। असली गिरफ्तारी में अधिकारी घर या कार्यालय पर आकर, आधिकारिक वारंट दिखाकर कार्रवाई करते हैं।
साथ ही, पुलिस ने कहा कि कोई भी सरकारी एजेंसीजैसे पुलिस, CBI, ED या कस्टम्सकभी भी फोन पर पैसे, जुर्माना या सिक्योरिटी डिपॉजिट मांगकर केस बंद नहीं करती। लोगों को सलाह दी गई है कि किसी अजनबी को OTP, पासवर्ड, बैंक डिटेल, आधार या PAN की जानकारी न दें, खासकर जब सामने वाला खुद को अधिकारी बता रहा हो।

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