रायबरेली-गंगा तट पर पहुंचना शुरू हुए पैकर्मी , श्रद्धालुओं से रास्ते हुए गुलजार

रायबरेली-गंगा तट पर पहुंचना शुरू हुए पैकर्मी , श्रद्धालुओं से रास्ते हुए गुलजार

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   रिपोर्ट-सागर तिवारी


ऊंचाहार-रायबरेली-तप की एक विधा परिक्रमा  है । जमीन पर लेटकर दुर्गम रास्तों से होते हुए मां गंगा तट तक पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया है । बुधवार को सैकड़ों लोग परिक्रमा करते हुए गंगा तट पर पहुंचे तो उन्हें देखने का कौतूहल उमड़ पड़ा , और बड़ी संख्या में लोग मौजूद हो गए।
         कठिन तप करके अपने आराध्य को प्रसन्न करने की ये विधा हर युग में रही है। जहां आस्था  विश्वास हो , वहां प्रतिकूल परिस्थिति भी खुद अनुकूल बन जाती है। भगवत गीता में तप के तीन प्रकार बताए गए हैं , जिनमें शारीरिक तप , वाचिक तप और मानसिक तप है । इसमें शारीरिक तप को श्रेष्ठता प्रदान की गई है । इसी शारीरिक तप में परिक्रमा शामिल है । इस समय गंगा तट को जाने वाले पथरीले , दुर्गम रास्तों पर परिक्रमा करने वालों की भीड़ हमारी आस्था और परंपरा को संबल प्रदान कर रही है।
       शरद ऋतु में ठंडे , पथरीले रास्तों में मां गंगा का जयकारा लगाते हुए परिक्रमा करने वालों की टोलियों के उत्साह ने राह के शूलों को प्रसून बना दिया है। देवोत्थानी एकादशी को अपने अपने घरों से संकल्प लेकर निकली परिक्रमा करने वालों की टोली का सिलसिला  कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा नदी के तट तक जारी रहेगा और गंगा पूजन के साथ आस्था की डुबकी लगाने के साथ उनका तप पूर्ण होगा। क्षेत्र के गोकना ,पूरे तीर आदि स्थानों पर इस समय जमीन पर लेट कर परिक्रमा करने वालों की टोली दिखाई दे रही है। सुदूर ग्रामीण क्षेत्र से निकली परिक्रमा करने वालों की टोली हमारी धार्मिक आस्था और सदियों पुरानी परंपरा का घोतक है ।इन लोगों को देखकर मन में अकारण ही श्रद्धा का भाव पैदा होता है। गंगा घाट को जाने वाले रास्तों पर परिक्रमा करने वाले लोगों को देखकर स्थानीय लोग नमन भी कर रहे हैं। ऊंचाहार के गोकना गंगा घाट पर अमेठी, सुल्तानपुर, जायस, नसीराबाद, परशदेपुर, छतोह, सलोन आदि स्थानों से परिक्रमा करने वाले लोग पहुंच रहे हैं । बुधवार को बड़ी संख्या में परिक्रमा करने वाले गंगा तट पर पहुंचे तो वहां मौजूद लोगों ने उनका अभिनंदन किया । वरिष्ठ पुरोहित जितेंद्र द्विवेदी ने सभी का फुल मालाओं से स्वागत करके पूजन कराया ।