रायबरेली-किसानों की डीएपी जैसी गंभीर समस्या को देखते हुए बैकफुट पर जनप्रतिनिधि*

रायबरेली-किसानों की डीएपी जैसी गंभीर समस्या को देखते हुए बैकफुट पर जनप्रतिनिधि*

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रिपोर्ट-सुधीर अग्निहोत्री

*...तो आखिर अब कहां गए किसानों के हमदर्द व मसीहा*

*किसानों को नहीं उपलब्ध हो पा रही खाद* 

*दिन-रात खाद के लिए भटक रहा धरती का भगवान बेबस किसान*

*डीएपी व खाद की किल्लत को देखते हुए सभी जनप्रतिनिधि व समाजसेवी मैदान से दिख रहे गायब*

*गूंगे बने जिम्मेदार,कौन उठाये किसानों की आवाज*



रायबरेली!वैसे तो समूचे जनपद में डीएपी की किल्लत से किसानों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है लेकिन विधानसभा सरेनी में डीएपी की कमी किसानों के लिऐ जी का जंजाल बनी हुई है!किसान एक-एक बोरी खाद के लिए दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हो रहे हैं!परंतु फिर भी उन्हें यूरिया-डीएपी खाद नहीं मिल रही है!साधन सहकारी समितियों में जैसे ही यूरिया खाद की गाड़ी पंहुचती है तो देखते ही देखते किसानों की लंबी-लंबी कतारें लग जाती हैं!अब तो किसान रात से ही लाइन में लग कर कर यूरिया खाद पाने के लिए एक दूसरे से पहले लाइन में लगने के लिए दौड़ते नजर देखे जा सकते हैं!लेकिन अब इन बेबस किसानों की सुधि कोई भी जनप्रतिनिधि व जनसेवा का दंभ भरने वाले समाजसेवी नहीं ले रहा है और ले भी क्यों,अभी चुनाव के दिन दूर हैं!वैसे भी किसानों की सुधि जनप्रतिनिधि चुनाव नजदीक आने पर ही लेते हैं!चुनाव के दरमियान किसानों के हितों के लिए बड़े-बड़े दावे करते हैं और उनके लिए अन्य संसाधनों की उपलब्धता की लच्छेदार बातें भी करते हैं और चुनाव होने के बाद किसानों को एक बुरे सपने की भांति भुला देते हैं और जैसे ही चुनाव नजदीक आता देखते हैं किसानों के हमदर्द व हितैषी बनने को ढोंग करने लगते हैं!उल्लेखनीय है कि मौजूदा समय में किसानों में डीएपी खाद के लिए त्राहि मची हुई है बावजूद अभी तक सरेनी विधानसभा में किसी भी नेता व समाजसेवी ने उनकी इस परेशानी को नहीं समझा है और न ही इस मुद्दे को प्रमुखता से कहीं उठाया है!किसानों को तत्काल खाद उपलब्ध कराए जाने की मांग अभी तक किसी भी जनप्रतिनिधि व समाजसेवी द्वारा नहीं की गई!विदित हो कि जब किसानों के गेहूं का बुवाई का भरा सीजन चल रहा है तो इस समय ना नहर में पानी है और ना ही सहकारी समितियों में खाद है और ना ही बाजार में खाद उपलब्ध है!आखिर किसान क्या करें!किसान कई दिनों से यूरिया-डीएपी खाद लेने के लिए मंडियों में चक्कर काट रहे हैं!वहीं किसानों की हक की लड़ाई अंतिम तक लड़ी जाएगी कहने वाले मौकापरस्त जनप्रतिनिधि मैदान से गायब दिख रहे हैं!जबकि किसानों को इस समय खाद पानी नहीं मिली तो उनका पूरा सीजन बेकार हो जाता है!किसान यूरिया डीएपी की किल्लत के चलते दर-दर भटकने को मजबूर है!