रायबरेली-मिली नर देह यह तुमको बनाओ काज कुछ अपना-पंकज जी महाराज,,,,

रायबरेली-मिली नर देह यह तुमको बनाओ काज कुछ अपना-पंकज जी महाराज,,,,

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रिपोर्ट-सागर तिवारी



ऊँचाहार-लक्ष्मीगंज-रायबरेली-मानव प्रेम एकता, साम्प्रदायिक सौहार्द, मानव सेवा आदि के प्रेरणादायी सन्देशों के साथ जयगुरुदेव आश्रम, मथुरा से चल रहे जयगुरुदेव धर्म प्रचारक संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं विख्यात सन्त बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के उत्तराधिकारी पूज्य पंकज जी महाराज वीर का पुरवा में अपना सत्संग सन्देश सुनाने के बाद कल सायंकाल अपने 22वें पड़ाव पर लक्ष्मीगंज के निकट बैसन का ननदौरा (बकरुवाँ शुक्ल की बाग) पधारे। स्थानीय भाई-बहनों ने बाजे-गाजे के साथ उल्लासपूर्ण स्वागत किया। आज यहाँ सत्संग समारोह का आयोजन हुआ।
संस्थाध्यक्ष पंकज जी महाराज ने अपने सत्संग सम्बोधन में कहा कि यह मानव जीवन अनमोल है। जब जन्म-जन्मान्तरों के पुण्य कर्म उदय होते हैं तब यह मनुष्य शरीर हमको मिलता है। महात्मा कहते हैं कि ‘‘मिली नर देह यह तुमको, बनाओ काज कुछ अपना। पचो मत आय यहि जग में जानियो रैन का सुपना।’’ चौरासी लाख योनियों में सर्वश्रेष्ठ योनि यही है। कारण कि इसी मनुष्य शरीर में दोनों आंखों के मध्य में वह ‘‘जीव अविनाशी’’ बैठा हुआ। जिसके नाते हमारी आपकी जिन्दगी चलती रहती है। उसी जीवात्मा में प्रभु के दर्शन-दीदार करने की एक आंख है जिसको शिवनेत्र, तीसरा नेत्र या थर्ड आई भी कहते हैं। महात्मा पहचान बताते हैं कि ‘‘आंखी मध्ये पांखी चमके, पांखी मध्ये द्वारा। ता मध्ये दूरबीन लगावे दीखै सिरजनहारा।’’ उस परम पिता परमात्मा की वेदवाणी, अनहदवाणी या कलमा सुनने के लिये उसी जीवात्मा में एक कान भी है जिसे तीसरा कान कहते हैं। इसी के नाते हमको दुनियां की भी आवाज सुनाई देती है। जब जीवात्मा इस शरीर से निकल जाती है तो कान के होते हुये भी हमें कुछ सुनाई नहीं पड़ता है। यही इसका प्रमाण है। लेकिन इसका भेद कोई मर्मी गुरु, पूरा गुरु ही बता सकता है जिसने सुरत-शब्द के अभ्यास द्वारा अपनी जीवात्मा को जगा लिया हो जब इस दर्जे के सन्त महात्मा मिल जाते हैं तो वे बताते हैं कि देवी और देवता हैं, परन्तु वे इन शरीर की आंखों से नहीं देखे जा सकते उनको देखने के लिये और उनकी वाणियाँ सुनने के लिये कलयुग की सरल साधना (सुरत-शब्द योग) करनी होगी। मानस भी कहती है ‘‘सुगम पंथ मोंहि पावहिं प्रानी। भक्ति की मारग कहउँ बखानी।’’ हमारे गुरु महाराज परम सन्त बाबा जयगुरुदेव जी महाराज ने अपनी 116 वर्ष की आयु तक इसी नाम योग साधना का भेद बताकर देश में करोड़ों लोगों को शाकाहारी-सदाचारी बनाकर ऊपरी मण्डलों की सैर करा दिया। यही कारण है कि देश का बच्चा-बच्चा आज इस जयगुरुदेव नाम से भिज्ञ है। कहा भी है कि ‘‘सोइ जानइ जेहिं देहु जनाई। जानत तुम्हहिं, तुम्हहिं होइ जाई।’’ गुरु की असली पहचान तो अन्तरी साधना में ही मिलती है। आप लोग भी सुमिरन, ध्यान, भजन के द्वारा प्रभु की वाणी को अपने घट में सुन सकते हो। महाराज जी ने नामदान देकर सुमिरन, ध्यान, भजन का तरीका भी विस्तार से समझाया। पंकज महाराज ने शाकाहार अपनाने पर जोर देते हुये कहा कि आज खान-पान की गन्दगी के कारण ही देश का नव जवान दिशाहीन होता चला जा रहा है और तरह-तरह के नशीले पदार्थों की गिरफ्त में आता चला जा रहा है। यही नहीं उसकी असामयिक मृत्यु तक हो जाती है जो हम सबके लिये एक चिन्ता का विषय है। इस पर सबको विचार करना चाहिये। आज के समय में शिक्षा बहुत जरूरी है परन्तु शिक्षा के साथ-साथ संस्कार भी जरूरी है। बड़ों का सम्मान करना, छोटों को प्यार, स्नेह करना हमारे मानव धर्म की पहली सीढ़ी है। जिसे आज का नवजवान भूलता जा रहा है। बुरी संगत शोहबत से बच्चों को बचायें, यह आप सबसे हमारी अपील है। इसी एक सूत्र से समाज अच्छा बन जायेगा।
बाबा पंकज जी महाराज ने आगामी 20 से 24 दिसम्बर तक जयगुरुदेव मन्दिर आगरा-दिल्ली बाईपास मथुरा में आयोजित होने वाले पूज्यपाद स्वामी घूरेलाल जी महाराज ‘‘दादा गुरु जी’’ के पावन वार्षिक भण्डारा मेला में भाग लेने का निमन्त्रण दिया और बताया यहां जयगुरुदेव नाम योग साधना मन्दिर बना है, जहां बुराईयां चढ़ती हैं। कार्यक्रम में शांति व सुरक्षा व्यवस्था स्थापित करने में पुलिस प्रशासन का सहयोग रहा। 
इस अवसर पर जिला रायबरेली संगत के अध्यक्ष प्रतिनिधि सतीश कुमार सिंह, सन्त शरण, ब्लाक अध्यक्ष होरी लाल विश्वकर्मा, बाग स्वामी यमुना प्रसाद शुक्ला, राम आसरे शुक्ला, राम आहेर शुक्ला प्रधान, राम किशोर तिवारी, महेश जी, मुनीराम, रमेश अग्रहरी, डा. वीरेन्द्र कुमार यादव, मक्खनलाल विश्वकर्मा, सहयोगी संगत भदोही के अध्यक्ष प्रेम शंकर मौर्य, आजमगढ़ संगत अध्यक्ष राम चरन यादव आदि के साथ भारी जन उपस्थिति रही। सत्संग के बाद जनजागरण यात्रा अपने अगले पड़ाव ग्राम गौरी शंकरन बड़ागांव ब्लाक रोहनियां के लिये प्रस्थान कर गई। जहाँ कल (आज) दिन के 11 बजे से सत्संग समारोह निर्धारित है।