रायबरेली-: 6 माह के मासूम का प्यास से सूखे होठ , सीने में घुसा जहर से बुझा खंजर,,,

रायबरेली-: 6 माह के मासूम का प्यास से सूखे होठ , सीने में घुसा जहर से बुझा खंजर,,,

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 रिपोर्ट-सागर तिवारी

मासूम से डर गया था जालिम यजीद 

ऊंचाहार-रायबरेली-6 महीने के मासूम बच्चे असगर अली का प्यास से हलख सूख गया था , उसको पानी पिलाने के लिए जालिम की फौज से गुजारिश की गई , लेकिन यजीदी फौज ने जहर से बुझा हुआ तीर मासूम के सीने  को छलनी कर गया । अली असगर खुदा की राह में कुर्बान हो गए , लेकिन इससे जालिम के खौफ का अंदाजा लग गया ।
      बुधवार को छठवीं मुहर्रम छह माह के अली असगर की याद में मनाया जाता है । परम्परा के अनुसार ऊंचाहार के अली मुक्तदा के मकबरे से असगर का झूला बरामद हुआ । । इस मौके पर आरिफ हुसैन और उनके साथियों ने जब झूले को बरामद करते समय पढ़ा कि " आओ असगर होगा में आओ , तुम बिन दुनिया सुनी है " तो मौजूद लोगो की आंखे अली असगर की याद में नम हो गई । इस मौके पर मौलाना अली मोहम्मद ने कर्बला में मासूम की कुर्बानी की घटना को याद किया । उन्होंने  बताया कि कई दिन से भूझे प्यासे असगर का हलख सुख चुका था । उनके होठ सुख गए थे , लेकिन जालिम ने मासूम पर भी रहम नहीं खाया । हज़रत ने मासूम असगर को रेत पर लेटा दिया और यजीदी फौज से कहा कि आपको ये भ्रम हो कि इस मासूम के बहाने मै पानी पी लूंगा तो आप में से कोई आ जाते और इस मासूम के मुंह में पानी की चंद बूंदें डाल दे । हज़रत जैसे ही असगर को जमीन पर लेटा कर दूर हटे , वैसे ही यजीदी फौज ने जहर से बुझा हुआ तीर निकाला और प्यास से तड़प रहे असगर के सीने को छलनी कर दिया । असगर की कुर्बानी ने ये साबित कर दिया कि जालिम कितना भी ताकतवर क्यों न हो ,, उसे खुदा की राह पर चलने वाले छह माह के असगर से भी डर लगता है । इस घटना को सुनकर सभी लोग रोने लगे । कार्यक्रम में प्रमुख रूप से असरफ हुसैन असद , इरफान अब्बास , मो अनस , शाजू नकवी , अर्श नकवी , सुल्तान अब्बास , अजहर अब्बास नकवी , राहत हुसैन , रजा हुसैन , अबुजर गेनू शाह आलम , रजा रिजवी , जॉन हैदर , नासिर हैदर आदि मौजूद थे।

बहुत याद आए असगर गुरु जी 

ऊंचाहार की मोहर्रम में यहां के रहने वाले असगर नकवी शान थे । उनके बिना न कोई मजलिस होती थी , न जुलूस निकलता था । बीते वर्ष असगर मास्टर साहब का देहांत हो गया । छठवीं मुहर्रम को जब अली असगर का झूला बरामद होता था तो असगर मास्टर साहब ही पढ़ते थे । बुधवार को जब झूला बरामद हुआ तो हर कोई असगर मास्टर साहब को याद कर रहा था ।