रायबरेली-एनटीपीसी से उड़ती राख और कोयला लील रहा ग्रामीण का जीवन , जिला पंचायत अध्यक्ष करेंगी आंदोलन

रायबरेली-एनटीपीसी से उड़ती राख और कोयला लील रहा ग्रामीण का जीवन , जिला पंचायत अध्यक्ष करेंगी आंदोलन

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   रिपोर्ट-सागर तिवारी

ऊंचाहार-रायबरेली -एनटीपीसी की ऊंचाहार परियोजना प्रबंधन उड़ती राख और कोयले को नियंत्रित करने के लाख दावे करे , किंतु इसकी सच्चाई स्याह है । परियोजना से जुड़े गांवों की दशा बद से बदतर है और ग्रामीण जीवन को यह राख और कोयला खत्म कर रहा है । अब इस मुद्दे को लेकर जिला पंचायत अध्यक्ष रंजना चौधरी आंदोलन करने जा रही है । उन्होंने इस आशय का एक पत्र जिलाधिकारी को लिखा है ।
   दरअसल एनटीपीसी की ऊंचाहार परियोजना में  बिजली बनाने के लिए प्रयोग किए जा रहे कोयले से बची राख ने ऊंचाहार परियोजना के आसपास के गांवों के पर्यावरण में जहर घोल दिया है। अब तक दर्जनों लोग इस जहर का शिकार हो चुके हैं। उधर, एनटीपीसी प्रबंधन ग्रामीणों के इस दावे को झुठला रहा है कि परियोजना से उड़ने वाले धुएं के कारण पर्यावरण खराब हो रहा है, जिससे लोग बीमार हो रहे हैं।

बता दें कि एनटीपीसी की ऊंचाहार परियोजना में कुल छह इकाइयां है। परियोजना की कुल उत्पादन क्षमता 1550 मेगावाट है। इस परियोजना में हर रोज करीब 25 हजार मिट्रिक टन कोयला जलाया जाता है। कोयले से निकलने वाली राख को पाइप लाइन के जरिए क्षेत्र के उमरन और अरखा गांव में स्थापित ऐश पाण्ड में भेजा जाता है, जबकि परियोजना के संयंत्र क्षेत्र में ही स्थापित शैलो के माध्यम से अच्छी राख को जमा करके उसे व्यावसायिक प्रयोग के लिए बेच जाता है।

परियोजना की चिमनियों से निकलने वाले धुएं के साथ ही राख भी उड़ती है। जो हवा के साथ आसपास के गांवों में फैलती है। इससे आसपास के गांव पुरबारा, बिकई, बभनपुर, फरीदपुर, दमगनियां, बहेरवा आदि करीब एक दर्जन प्रदूषण की चपेट में हैं। इन गांवों की दशा यह है कि हवा में उड़ रही राख खाद्य सामग्री, सांस लेने पर, पानी के जरिए सीधे शरीर के अंदर जा रही है। जिससे गांव के लोग सांस, दमा के मरीज हो रहे हैं। यह सिलसिला कई सालों से चल रहा है। इस बारे में ग्रामीण लगातार अपनी आवाज भी उठा रहे हैं। जिला पंचायत अध्यक्ष रंजना चौधरी ने इस समस्या को लेकर कई बार प्रशासनिक अधिकारियों और एनटीपीसी अधिकारियों को पत्र लिखा है लेकिन एनटीपीसी और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ग्रामीणों के दावे को झुठला रहे हैं। सरकारी अधिकारियों का कहना है कि एनटीपीसी के कारण हवा में कोई प्रदूषण नहीं है। अब उन्होंने इस मामले को लेकर बड़ा आंदोलन करने को ठान लिया है । उन्होंने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर पूरी समस्या से अवगत कराते हुए कहा कि इसके लिए वह परियोजना के मुख्य गेट के बाहर धरना प्रदर्शन करेंगी ।

 *अब तक इनकी हो चुकी है मौत* 


एनटीपीसी से जुड़े गांव बभनपुर, बिकई और पुरबारा में हाल के तीन सालों में अब तक 15 लोगों की असमय मौत हो चुकी है। इनमें बिकई गांव निवासी श्यामलाल सरोज, हरीलाल सरोज, मोहन सरोज, हीरालाल सोनी, श्याम लाल जायसवाल, गुरुशरण सोनी, निरंजन सोनी, कृष्ण कुमार सोनी, छेदी लाल मौर्य, मोहम्मद शहीद, पुरबारा गांव निवासी धुनना अग्रहरी, मोती निर्मल, महेश नई, राम निहोर मौर्य और बभनपुर गांव निवासी मिठाई लाल शामिल हैं। यह सभी लोग सांस और दमा का शिकार थे।