तीन दिन की नवजात को लावारिस फेंकने में मुकदमा, 163 साल में दूसरी बार ऐसा हुआ

बीएचयू अस्पताल परिसर में बाल रोग विभाग के सामने लावारिस हाल में मिली नवजात के मामले में रविवार की देर रात लंका थाने की पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया। कमिश्नरेट पुलिस के मुताबिक 163 वर्ष पुराने कानून ( आईपीसी की धारा 317, जो कि अंग्रेजों के जमाने 1860 में बना था) के तहत वाराणसी में यह दूसरा मुकदमा दर्ज हुआ है।
बीएचयू अस्पताल परिसर में बाल रोग विभाग के सामने टिनशेड के नीचे कुर्सी पर शनिवार की सुबह लावारिस बच्ची मिली थी। महिला सफाई कर्मी शहनाज की नजर बच्ची पड़ी तो उसने प्रॉक्टोरियल बोर्ड को सूचना दी। बच्ची को बाल रोग विभाग में भर्ती कराया गया। प्रॉक्टोरियल बोर्ड की सूचना पर लंका थाने की पुलिस आई, लेकिन यह स्पष्ट नहीं हो सका कि बच्ची को छोड़कर कौन गया था।
नवजात को पीलिया निमोनिया से ग्रसित
लावारिस मिली बच्ची की हालत में सुधार है। डॉक्टरों के मुताबिक, बच्ची को निमोनिया और पीलिया की शिकायत है। पीडियाट्रिक इंन्सेटिव केयर यूनिट(पीआईसीयू) में भर्ती है। चार दिन और इलाज चलेगा। बीएचयू प्रॉक्टोरियल बोर्ड की टीम और पुलिस ने रविवार को सीसी कैमरे भी खंगाले हैं, लेकिन बच्ची को फेंकने वालों का सुराग नहीं लग सका।
जहां बच्ची को रखा गया था, वहां भी कैमरा नहीं लगा है। इधर, बच्ची की तस्वीर अमर उजाला में छपने के बाद रविवार को कई लोग अस्पताल पहुंचे और बच्ची को गोद लेने की इच्छा जताई। चीफ प्रॉक्टर प्रो. शिवप्रकाश सिंह ने बताया कि कानूनी प्रावधान के हिसाब से ही बच्ची को गोद लिया जा सकता है। बच्ची को बचाने वाली शहनाज को सम्मानित किया जाएगा। चीफ प्रॉक्टर प्रो. शिवप्रकाश सिंह ने बताया कि शहनाज ने जो काम किया है, वह सराहनीय है। उन्हें जल्द ही सम्मानित किया जाएगा।

