रायबरेली - TET अनिवार्यता पर संसद में गूंजी आवाज, सेवारत शिक्षकों को मिली नई आस

रायबरेली - TET अनिवार्यता पर संसद में गूंजी आवाज, सेवारत शिक्षकों को मिली नई आस

-:विज्ञापन:-

रिपोर्ट: ऋषि मिश्रा
मो०न०:9935593647

बछरावां रायबरेली- पूरे देश मे सेवारत शिक्षकों पर लागू TET अनिवार्यता का मुद्दा लोकसभा में नियम- 377 के अंतर्गत उठाया गया है। इस विषय को स्वीकार किए जाने पर राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ बछरावां से जुड़े शिक्षकों में राहत और आशा का वातावरण बना है। शिक्षकों ने प्रदेश नेतृत्व एवं माननीय सांसदों के प्रति आभार व्यक्त किया हैराष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ बछरावां के अध्यक्ष आशुतोष शुक्ल ने बताया कि हाईकोर्ट के आदेश के अनुपालन में TET उत्तीर्ण करने की अनिवार्यता से प्रदेश के लाखों सेवारत शिक्षक प्रभावित हो रहे हैं। वर्षों से सेवा दे रहे तथा सेवानिवृत्ति के निकट पहुंचे शिक्षकों की नौकरी और आजीविका पर संकट उत्पन्न हो गया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा शिक्षकों के पक्ष में दिए जा रहे आश्वासनों के बावजूद शिक्षकों में भय और असमंजस की स्थिति बनी हुई है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय एवं प्रदेश नेतृत्व की निरंतर मांग के परिणामस्वरूप यह गंभीर विषय लोकसभा में नियम–377 के तहत स्वीकार किया गया है। आगामी सोमवार को यह विषय सदन के पटल पर रखा जाएगा तथा इस पर सरकार का लिखित उत्तर प्राप्त होगा। संगठन के महामंत्री लोकतंत्र शुक्ल ने कहा कि टीईटी (शिक्षक पात्रता परीक्षा) की अनिवार्यता उत्तर प्रदेश सहित देशभर के शिक्षकों के लिए गंभीर तनाव और परेशानी का कारण बन गई है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद वर्ष 2011 से पूर्व नियुक्त शिक्षकों की सेवा पर संकट गहरा गया है, जिससे उनकी सेवा सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है। इसी कारण शिक्षक आंदोलनरत हैं और सांसदों से राहत की गुहार लगा रहे हैं। वहीं संगठन के संरक्षक राजेन्द्र प्रसाद शर्मा ने नेता प्रतिपक्ष एवं स्थानीय सांसद द्वारा इस ज्वलंत मुद्दे को संसद में न उठाए जाने पर आश्चर्य व्यक्त किया। कार्यवाहक अध्यक्ष अभिनव सिंह ने कहा कि संगठन को पूर्ण विश्वास है कि इस न्यायोचित संघर्ष में अंततः सेवारत शिक्षकों की ही जीत होगी।