करवाचौथ पर पति अपनी पत्नी को डेडिकेट करें ये कविताएं, रिश्ते में घुल जाएगी मिठास

करवाचौथ पर पति अपनी पत्नी को डेडिकेट करें ये कविताएं, रिश्ते में घुल जाएगी मिठास
करवाचौथ पर पति अपनी पत्नी को डेडिकेट करें ये कविताएं, रिश्ते में घुल जाएगी मिठास

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रिपोर्ट-ओम द्विवेदी(बाबा)
मक-8573856824

हिंदू धर्म में सुहागिन महिलाएं हर साल पति की लंबी उम्र के लिए करवाचौथ का व्रत रखती हैं। वैसे तो कुछ पति भी अपनी पत्नी के साथ व्रत रखते हैं। लेकिन जो ऐसा नहीं करते वह अपनी पत्नी को खुश करने के लिए अलग-अलग तरह से प्लानिंग करते हैं। जैसे कुछ अच्छा गिफ्ट देते हैं, या फिर उनके लिए कुकिंग करते है। लेकिन इसी के साथ पत्नी को खुश करने के लिए आप करवाचौथ के खास मौके पर उनको कुछ कविताएं डेडिकेट  कर सकते हैं। 


1) करवाचौथ का शुभ अवसर

करवाचौथ के शुभ अवसर पर, 
मुझको तुमसे ये कहना है।
जैसे तुम मुझमें रहती हो, 
मुझको भी तुममें रहना है।

तुम व्रत निर्जला रखती हो, 
मेरी उम्र बढ़ाने को।
मैं सौ जीवन न्यौछावर कर दूं, 
साथ तुम्हारा पाने को।

मेरा जीवन तो तुमसे है, 
मुझको तुमसे ये कहना है।
जैसे तुम मुझमें रहती हो, 
मुझको भी तुममें रहना है।

तुम मेरा हर पल चाहती हो, 
मैं हर पल तुमको चाहता हूं।
तुम जिस पल में हंसती हो, 
मैं उस पल में जी जाता हूं।

मेरा हर पल तो तुमसे है,  
मुझको तुमसे ये कहना है।
जैसे तुम मुझमें रहती हो, 
मुझको भी तुममें रहना है।


जैसा भी तुमने सोचा है, 
तुमको वैसा प्यार मैं दूं।
श्रृंगार तुम्हारा कम न हो, 
तुमको ऐसा संसार मैं दूं।

मेरा श्रृंगार तो तुमसे है, 
मुझको तुमसे ये कहना है।
जैसे तुम मुझमें रहती हो, 
मुझको भी तुममें रहना है।


करवा चौथ पर तुमको प्रिय, 
बोलो क्या सौगात मैं दूं ?
दिल और प्यार से बढ़कर मांगों, 
ये सब तो दिन-रात मैं दूं।

मेरा संसार तो तुमसे है, 
मुझको तुमसे ये कहना है।
जैसे तुम मुझमें रहती हो, 
मुझको भी तुम में रहना है।

करवाचौथ के शुभ अवसर पर, 
मुझको तुमसे ये कहना है।
तुम जैसे रखना चाहती हो, 
मुझको वैसे ही रहना है।


2) करवाचौथ पर फनी कविता

एक सुबह जब आंख खुली तो मेरे उड़ गये होश , 
मेरी बीवी खड़ी सामने आंखों में भर के जोश।
बोली मिस्टर कैसे हो और कैसी कटी है आपकी रात, 
ना जाने क्यों कर रही थे मिश्री से मीठी बात।

मैंने पूछा ओ डियर आज मैं तुमको क्यों भाया, 
पलकें झुकाए बड़ी शर्म से बोली करवाचौथ है आया।
ये सुन कर मेरे शरीर मैं दौड़ उठा करेंट, 
समझ गया था मेरे नाम का निकल चुका वारेंट।

इस दिन का इंतजार हर शौहर को है रहता, 
बड़ी अदब से बात मनती मैं जैसा-जैसा कहता।
पूरा साल बीत गया था सुन -सुन के ताने, 
आज कहे हर बात पे हां, ये मेरी ही माने।

मुझे कभी परमेश्वर कहती कभी कहे देव, 
खुद तो व्रत रखती पर मुझको देती सेब।
शाम होते होते फिर वो घड़ी है आती, 
गिफ्ट- गिफ्ट का राग आलापे बाजार ले जाती।

अहसानों के बोझ तले दब मुझ को आए रोना, 
नहीं चाहते हुए भी लेना पड़े है महंगा सोना।
देर रत जब चांद ना निकले ये चांद -चांद चिल्लाए, 
कभी भेजे नुक्कड़ पे मुझको कभी छत पे दौड़ाए।

मैं भी जब दौड़-दौड़ के हो जाता परेशान, 
हाथ जोड़ कर चांद से बोलूं अब बात इसकी मान।
आज तुम्हारा दिन है इसलिए खा रहे भाव, 
कल से कौन पूछेगा तुम को जब आओ जब जाव।

इतनी से बात क्यों मैडम के समझ ना आती, 
जो साल भर प्यार जताती तो बात बन जाती।


3) प्यारे पिया...

करवा चौथ का त्योहार लाए खुशियां हजार।
हर सुहागिन के दिल का ये अरमान है।
प्यारे पिया में बसी उसकी जान है।
पिया के लिए ही व्रत करती है वह।
उसके नाम से ही अपनी मांग भारती है वह।
पिया की दीर्घायु के लिए करती है दुआ।
भूखी-प्यासी रहती है, बस चाहती है पिया।
पिया ही तो उसकी खुशियों का संसार है।
आज प्यारा पिया का ही दीदार है।
चांद फीका लगे पिया चांद के आगे।
और चांद से ही पिया की
लंबी आयु मांगे
बस भावुकता से यह
ओत-प्रोत है
प्यारा प्यार का त्योहार, यह करवा चौथ है।


4) करवा चौथ पर हिंदी में कविता 

जीवन की आपाधापी में
शौक सिंगार का सोया सा
फिर पुलक उठा, मुस्काया
सखी फिर करवा चौथ आया
दीवान के निपट अंधेरे में
दबा-सिमटा सुहाग का जोड़ा
पा मेरे हाथों की आहट
बिसरे लम्हों संग मुस्काया
सखी फिर करवा चौथ आया
'तुमको अच्छे लगते हैं
इसलिए बरे, फरे बनाऊंगी मैं'
'ज्यादा थकना नहीं, कि व्रत है
जो भी होगा, मैं खा लूंगा'
सुन प्यार की पावन बातचीत
पति-पत्नी का रिश्ता इठलाया
सखी फिर करवा चौथ आया