स्वास्थ्य विभाग में मंत्री के पत्र पर ही आंख मूंदे बैठे हैं अफसर, शिकायत के बाद भी नहीं हुई कोई कार्यवाही…
रिपोर्ट-ओम द्विवेदी(बाबा)
मो-8573856824
उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग का अजीबों गरीब हाल है। आलम ये है कि मंत्री के आदेशों पर भी नहीं हो रही कार्रवाई। स्वास्थ्य विभाग में राज्यमंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह ने तकरीबन 5 महीने पहले एक फ़र्म की जांच के लिए लिखा था। पत्र में उन्होंने साफ तौर पर लिखा है कि उस फर्म के लोग अधिकारियों के साथ सांठगांठ करके अपने हिसाब से टेंडर में शर्तें डलवाते हैं।
राज्यमंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह के पात्र लिखने के बाद भी अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुयी है। स्वास्थ्य विभाग में मंत्री के पत्र पर ही आंख मूंदे बैठे हैं अफसर। उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग मेंअफसरों की तानाशाही साफ़ तौर पर देखी जा सकती है। मंत्री के जाँच के लिए पात्र लिखे जाने के 6 माह बाद भी अफसरों ने कोई कार्यवाही नहीं की।
मंत्री ने अपने पत्र में साफतौर पर लिखा है कि धीरेन्द्र प्रताप सिंह अध्यक्ष महाराणा प्रताप चैरिटेबल फाउण्डेशन, के संलग्न प्रार्थनापत्र का अवलोकन करें जिसमें इन्होंने मेसर्स लखनऊ ऑप्टिकल्स एण्ड सर्जिकल कम्पनी प्रथम तल, कार्मस हाउस हबीबुल्ला स्टेट, हजरतगंज लखनऊ मेसर्स सरस्वती इन्टरनेशनल ए1 / 55 विजय खण्ड गोमतीनगर लखनऊ एवं मेसर्स कंसोर्ट लैबोरेट्रीज 75 विमल कुंज, पिकनिक स्पॉट रोड फरीदनगर जो एक ही व्यक्ति की है, के द्वारा जनपद के अधिकारियों के साथ सांठगांठ कर निविदा में अपनी मन मुताबिक शर्तें रखवाकर किसी अन्य फर्म को प्रतिभाग नहीं करने दिया जा रहा है, की जॉच कराये जाने का अनुरोध किया है।
अगर मंत्री ने पत्र में लिखा कि प्रार्थनापत्र में वर्णित तथ्यों के दृष्टिगत उपरोक्त फर्म के विरूद्ध एक कमेटी बनाकर जाँच कराकर दोषी फर्म एवं व्यक्ति के विरूद्ध नियमानुसार विधिक कार्यवाही समयबद्ध 15 दिन में कराकर कृत कार्यवाही से अवगत कराने का कष्ट करें। जिसके बाद अफसरों ने अबतक न कोई जांच की और न ही कोई कार्यवाही। अब देखना है कि मंत्री के आदेशों की पर कोई कार्यवाही होती है या अफसर अपने मन मुताबिक ही काम करेंगे।
अगर मंत्री ने पात्र में लिखा कि प्रार्थनापत्र में वर्णित तथ्यों के दृष्टिगत उपरोक्त फर्म के विरूद्ध एक कमेटी बनाकर जाँच कराकर दोषी फर्म एवं व्यक्ति के विरूद्ध नियमानुसार विधिक कार्यवाही समयबद्ध 15 दिन में कराकर कृत कार्यवाही से अवगत कराने का कष्ट करें। जिसके बाद अफसरों ने अबतक न कोई जांच की और न ही कोई कार्यवाही। अब देखना है कि मंत्री के आदेशों की पर कोई कार्यवाही होती है या अफसर अपने मन मुताबिक ही काम करेंगे।