'बदला' ले रहा भेड़िया या करंट लगने से पागल हुआ. बदले व्यवहार से वन विभाग भी दंग
जंगल-जंगल बात चली है, पता चला है… कुछ याद आया? जी हां, जंगल बुक के मोगली की कहानी, जिसे भेड़ियों के झुंड ने पाला था। मोगली एक काल्पनिक पात्र नहीं बल्कि दीना सनीचर नामक बच्चा था, जो परिवार से बिछड़ने के बाद भेड़ियों के साथ जंगल में पला-बढ़ा।
दीना सनीचर का जिक्र यहां इसलिए, क्योंकि मनुष्यों से सामाजिक रिश्ता रखने वाले भेड़िए बहराइच में अब इतने हिंस
क हो चुके हैं कि तीन माह में 10 लोगों की जान जा चुकी है और 40 से अधिक लोग घायल हो चुके हैं।
भेड़ियों के इस बदले व्यवहार से 40 गांवों के लोगों में आश्चर्य मिश्रित आतंक है। भेड़ियों को लेकर अनेक किस्से सुनने को मिले। दैनिक जागरण टीम जब गौरा गांव पहुंची तो बुजुर्ग रामभजन बताने लगे कि इतने वर्षों में इनका व्यवहार ऐसा नहीं था, खेतों में काम करते समय बगल से भेड़िए और सियार निकल जाते थे।
कोई बकरी, मुर्गी जरूर गांव के बाहर जाने पर इनका शिकार बन जाती थी, लेकिन लोगों पर कभी हमला नहीं हुआ। 40 वर्ष पहले एक बच्चे पर हमले की बात सामने आई थी।
वन विभाग भी भेड़ियों के बदले व्यवहार पर कुछ स्पष्ट कहने की स्थिति में नहीं है। बस यही कह रहा है कि बारिश से मांद में पानी भरने के कारण भेड़ियों ने बस्तियों में पहुंचकर हमले किए और मानव मांस का स्वाद मिलने के बाद बच्चों को आसान शिकार समझने लगा।
बच्चों के मरने का ले रहा बदला
एक ग्रामीण ने बताया कि एक मांद में भेड़िए के दो बच्चे थे, जो ट्रैक्टर से कुचलकर मर गए। इसके बाद भेड़िए बदला लेने के लिए आक्रामक हो गए, क्योंकि ये अपने परिवार को लेकर बहुत ही भावनात्मक होते हैं।
इस कहानी की पुष्टि कोई नहीं कर रहा, लेकिन यह तो सच है कि अपने झुंड के बुजुर्गों और बच्चों को लेकर भेड़िए बहुत संवेदनशील होते हैं। झुंड के बुजर्ग सदस्य के लिए शिकार करके लाते हैं।
करंट लगने पागल हुआ भेड़िया
एक कहानी यह भी सुनाई दी कि बिजली का करंट लगने से कोई भेड़िया पागल हो गया है, अब तक पकड़ा नहीं गया है। अपने लोगों को खोने और लगातार हमले होने के बावजूद लोगों में इस बात का दुख है कि जो जानवर उनके इर्द-गिर्द रहते थे, वही उनके बच्चों की जान के दुश्मन बन गए हैं।
भेड़ियों को नहीं मिल रहा शिकार
ग्रामीण जयकिशन बताते हैं कि यहां भेड़ियों से अधिक तो सियार हैं, लेकिन वे हमला नहीं करते। इसका कारण है कि सियार तो खेतों में गन्ना और भुट्टा खाकर काम चला लेते हैं, लेकिन भेड़िए मांसाहारी होते हैं और उनको जंगल के आसपास शिकार नहीं मिल रहा।
अब असली कारण कुछ भी हो, लेकिन जब तक भेड़ियों का आतंक समाप्त नहीं होता, बहराइच ऐसे अनेक किस्से चर्चा में रहेंगे।

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