स्वास्थ्य विभाग की मिलीभगत से अवैध अस्पताल और झोलाछाप डाक्टर लगातार ले रहें प्रसूताओं की जान

स्वास्थ्य विभाग की मिलीभगत से अवैध अस्पताल और झोलाछाप डाक्टर लगातार ले रहें प्रसूताओं की जान

-:विज्ञापन:-

रिपोर्ट-रोहित मिश्रा

मो-7618996633

स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से एक बार फिर एक जच्चा-बच्चा की मौत हो गयी। स्वास्थ्य विभाग की मिलीभगत से जनपद में अवैध अस्पताल और झोलाछाप डाक्टर लगातार प्रसूताओं की जान ले रहे हैं। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में उपस्थित एएनएम ने महिला को दवा दिया लेकिन रात के 1 बजे बिना उसके परिजनों को सूचना दिये बगल के विजय अस्पताल में भेज दिया।

मामला गाजिपुर के जखनियां थाना क्षेत्र के जखनियां का है। दुल्लहपुर थाना क्षेत्र के खालिसपुर गांव की रहने वाली 34 वर्षीय विमला देवी को 18 फरवरी को प्रसव पीड़ा हुई तो तो परिजन उसे लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जखनियां ले गये। वहां उपस्थित एएनएम ने महिला को दवा दिया लेकिन रात के 1 बजे बिना उसके परिजनों को सूचना दिये बगल के विजय अस्पताल में भेज दिया। विजय अस्पताल अवैध है और वहां माहिला के परिजनों को बताया गया कि माहिला का आपरेशन करना पड़ेगा। रात ही में बच्चे का आपरेशन किया गया पर उसके बाद डाक्टरों ने कहा कि बच्चे की हालत गंभीर है। उसे परिजन तत्काल मऊ लेकर गये पर वहां डाक्टरों ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया और इधर विजया अस्पताल में प्रसूता विमला की भी मौत हो गयी।

इतना ही नहीं परिजनों का आरोप है कि जब महिला की मौत हो गयी तो अस्पताल ने उसका शव को एक एम्बुलेंस में छिपा दिया। परिजनों ने बहुत देर तक छानबीन किया तब जाकर उन्हें शव अस्पताल से दूर एक एम्बुलेंस में मिला। इसके बाद ग्रामीणों ने भुड़कुड़ा थाना पर जमकर बवाल काटा तब जाकर मामले में मुकदमा दर्ज हुआ।

बता दें जनपद के अस्पताल दलालों के मकड़जाल में बुरी तरह से फंसे हुए हैं और इस बात को खुद सीएमओ हरगोविंद सिंह भी स्वीकार कर रहे हैं। सीएमओ ने स्वीकार किया कि मृतका सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती थी और वहां से उसे दलाल विजय अस्पताल में लेकर गये जो की आपरेशन के लिये अधिकृत ही नहीं था। पर उसका आपरेशन उस अस्पताल में किया गया और उसकी और उसके नवजात बच्चे की मौत हो गयी। सरकार लाख दावे कर ले पर इस तरह की मानवता को शर्मसार करने वाली घटनायें लगातार हो रहीं हैं।

बता दें जनपद के अस्पताल दलालों के मकड़जाल में बुरी तरह से फंसे हुए हैं और इस बात को खुद सीएमओ हरगोविंद सिंह भी स्वीकार कर रहे हैं। सीएमओ ने स्वीकार किया कि मृतका सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती थी और वहां से उसे दलाल विजय अस्पताल में लेकर गये जो की आपरेशन के लिये अधिकृत ही नहीं था। पर उसका आपरेशन उस अस्पताल में किया गया और उसकी और उसके नवजात बच्चे की मौत हो गयी। सरकार लाख दावे कर ले पर इस तरह की मानवता को शर्मसार करने वाली घटनायें लगातार हो रहीं हैं।