Raibareli-भीख मांगने और कूड़ा बीनने वाले बच्चों को फ्री में पढ़ा रहे अंकित शुक्ला पढ़ें इंसानियत की अनोखी कहानी..

Raibareli-भीख मांगने और कूड़ा बीनने वाले बच्चों को फ्री में पढ़ा रहे अंकित शुक्ला पढ़ें इंसानियत की अनोखी कहानी..

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रिपोर्ट-ओम द्विवेदी(बाबा)
मो-8573856824

अंकित शुक्ला के द्वारा अनोखी क्लास यहां भीख मांगने और कबाड़ उठाने वाले बच्चों को मिलती है फ्री शिक्षा


रायबरेली-राष्ट्रीय सैनिक छात्र सेवा परिषद संस्थापक/अध्यक्ष अंकित शुक्ला ने सड़कों पर घूमकर भीख मांगने वाले बच्चों के लिए प्रदेश भर के बच्चो में एक नई मुहिम शुरू की है अंकित शुक्ला के पास इतना पैसा था कि वे शौक पूरे कर सकते थे लेकिन उन्होंने भीख मांगने वाले बच्चों की मदद करने की वो नन्हे हाथ जो कभी भीख के लिए उठते अब उन्हीं हाथों में पेंसिल, कॉपी, किताब है और कंधे पर लटका स्कूल बैग है, इन बच्चों की आंखों में भी स्कूल जाने का सपना था जो अब साकार होता दिख रहा है.जनपद के युवा अंकित शुक्ला ने भीख मांगने वाले बच्चों में शिक्षा की अलख जगाई है. रेलवे-स्टेशन की व्यवस्तम सड़कों के किनारे आम तौर पर भीख मांगते बच्चे दिख जाएंगे. इन बच्चों से ऐसी संस्था का भी सामना पूरा होता रहा और फिर एक दिन इन्होंने बच्चों को साक्षर बनाने का बीड़ा उठाया अब पूरे समय बच्चों को शिक्षित करने के लिए देते हैं.अंकित शुक्ला के भीतर बच्चों की शिक्षित करने का ऐसा जुनून सवार हुआ कि उन्होंने सब कुछ त्याग कर दिया इस अभियान के संस्थापक अंकित शुक्ला हैं. इनकी उम्र 22 वर्ष के हैं और ये अपनी जिंदगी के अहम क्षण ऐसे बच्चों को दे रहे हैं जिनका भविष्य अंधियारे में है. जब इन अंकित शुक्ला का सामना भीख मांगने वाले बच्चों से हुआ तो इन्होंने पहले तो आर्थिक मदद की लेकिन बाद में उन्होंने बच्चों को शिक्षित, जागरुक और आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य तय किया. इन्होंने सड़क पर रहने वाले बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने शुरू किया.अंकित शुक्ला ने राष्ट्रीय सैनिक छात्र सेवा परिषद के नाम संस्था की स्थापना की अंकित शुक्ला कहते हैं,  ‘'शुरुआत में हमने बच्चों को भीख मांगने से मना नहीं किया. हमने उनकी स्थिति और उन्हें स्वीकार किया, हमने उन्हें शिक्षित और उनके अंदर स्किल डेवलेपमेंट करने के बारे में सोचा. जब हम उनके बीच में बैठते तो बच्चे बहुत ही आम सवाल करते जैसे कि आप पेन लेफ्ट पॉकेट में क्यों रखते हो क्या आप अपना रुमाल रोज धोते हो, ये छोटी-छोटी बातें हमें तो पता है लेकिन सड़क किनारे रहने वाले बच्चों को ये जानकारी नहीं है और ना ही उन्हें किसी ने बताने की कोशिश की सड़क पर रहने वाले बच्चों में नशे की लत
इन युवाओं ने बच्चों के अभिभावक बनकर उन्हें अच्छा और बुरा बताया, क्या सही है और क्या गलत है उन्हें समझाया, नशे की लत अगर किसी बच्चे में है तो उसका नशा खत्म कराने की ओर उसे प्रेरित किया. साल 2023 में कुछ बच्चों से शुरू हुआ राष्ट्रीय सैनिक छात्र सेवा परिषद अब देशभर के 12 केद्रों तक फैल गया है, खास बात ये है कि इनका फोकस बच्चों को भीख मांगने की प्रवृत्ति से बचाने के साथ साथ नशे की लत से भी बचाना है.
संस्था के अध्यक्ष अंकित शुक्ला कहते हैं, "हमारा मुख्य उद्देश्य है बच्चों को भीख मांने से रोकना और उन्हें शिक्षित कर स्कूल तक पहुंचाना है. कई बच्चों में नशे की लत होती है उन बच्चों को नशे की लत से बाहर लाना एक बड़ी चुनौती होती है. ऐसे में उन्हें हम मेडिकल सुविधा दिलाते हैं और उनकी काउंसलिंग कर उन्हें नशे के नकारात्मक प्रभावों के बारे में बताते हैं और नशे को छोड़ने के लिए प्रेरित करते हैं संस्था देशभर के भिन्न-भिन्न केन्द्रो पर कई हजार से अधिक बच्चों को मुफ्त शिक्षा दे रही है. उन्हें सरकारी स्कूल में दाखिला कराना हो या भोजन देना हो या अस्पताल में इलाज कराना ये अंकित शुक्ला किसी भी काम से पीछे नहीं हटते समाज के दबे कुचले तबके को मुख्यधारा में लाने वाले कार्य करते है अंकित शुक्ला की तारीफ प्रधानमंत्री ने रेडियो कार्यक्रम मन की बात में इस संस्था अध्यक्ष अंकित शुक्ला की तारीफ की और उनके काम की सराहना करते हुए कहा कि कुछ ऐसे भी युवा हैं जो निस्वार्थ भाव से समाज की बेहतरी के लिए बलिदान दे रहे हैं. प्रधानमंत्री की तारीफ के बाद राष्ट्रीय सैनिक छात्र सेवा परिषद के पास तरह-तरह के प्रस्ताव आने लगे. संस्था के संस्थापक अंकित शुक्ला के मुताबिक, "पीएम मोदी ने जब से हमारी संस्था की तारीफ की है तब से समाज में हमारे काम को पहचान मिली है, लोग दूर दूर से हमें मदद का ऑफर देते हैं लेकिन हम चाहते हैं कि लोग जमीनी स्तर पर आकर इस कार्य से जुड़े जो लोग हमें कोई संसाधन देने का प्रस्ताव देते हैं हम उन्हें बच्चों को पढ़ाने के लिए दो घंटे देने को कहते हैं संस्था से जुड़े लोग कहते हैं कि पीएम मोदी ने जब से राष्ट्रीय सैनिक छात्र सेवा परिषद का जिक्र किया है हमारे नेटवर्क में भी इजाफा हुआ. राष्ट्रीय महासचिव भावनी प्रसाद शुक्ला के मुताबिक, कुटुंब व फेसबुक में हमारी संस्था के 50 हजारों से अधिक सदस्य हैं और वे अपने-अपने इलाके में संस्था का संदेश जमीनी स्तर तक पहुंचा रहे हैं. कई बार हमें भी अन्य राज्यों में पढ़ाने के लिए न्योता आता है लेकिन हम जनपदो के ही केंद्रों को लेकर व्यस्त रहते हैं और इसीलिए हम अन्य केंद्रों पर जा सकते फिलहाल संस्था के सदस्य बिहार, यूपी, हरियाणा में भीख मांगने वाले बच्चों को शिक्षित कर रहे हैं अक्सर ऐसा कहा जाता है कि लोग मजबूरी में भीख मांगते हैं लेकिन रिसर्च में पता चला कि भीख मांगने की पीछे लालच भी एक वजह है. उत्तर प्रदेश और मुंबई भिखारियों का सबसे बड़ा बाजार है और भीख मांगने के लिए किसी खास अनुभव की जरुरत नहीं पड़ती. ऐसे में हर बड़े और छोटे शहर में भिखारी दिख जाना आम बात है इसी अ
संस्था अध्यक्ष अंकित शुक्ला ने देश भर में मौजूद भिखारियों का आंकड़ा पेश किया. आंकड़े के मुताबिक भिखारियों के मामले में पश्चिम बंगाल 81 हजार भिखारी के साथ पहले पायदान पर है. अगर पूरे देश की बात की जाए तो यह संख्या 4,13,000 के करीब हैं, जिसमें 2,21,673 पुरुष और 1,91,997 महिलाएं हैं. अंकित शुक्ला कहते हैं, "एक भिखारी के अंदर आत्मविश्वास पैदा कर भीख मांगने की बुरी आदत को खत्म किया जा सकता है और भिखारियों को भी मुख्य धारा में जोड़ा जा सकता है. हमें सबसे पहले बच्चों से शुरुआत करनी होगी और उन्हें एहसास दिलाना होगा कि यह गलत काम है और समाज में इसके लिए कोई जगह नहीं.” संस्था के इस अभियान से कई हजारों-हजार बच्चो में और उनके अभिवावक तक असर पड़ रहा जिसमें संस्था की सराहना भी हो रही लोगो में असर भी दिखाई पड रहा है