कौन हैं 13 वर्षीय राखी को दीक्षा दिलाने वाले महंत कौशल गिरी उर्फ लटूरी बाबा, भाई ने खोले राज

कौन हैं 13 वर्षीय राखी को दीक्षा दिलाने वाले महंत कौशल गिरी उर्फ लटूरी बाबा, भाई ने खोले राज

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आगरा जिले के गांव टरकपुरा की राखी महाकुंभ में जूना अखाड़े की दीक्षा लेकर साध्वी बन गई। 13 वर्ष की नाबालिग को साध्वी बनाकर दान के रूप में प्राप्त करने वाले जूना अखाड़े के महंत कौशल गिरि को सात साल के लिए अखाड़े से निष्कासित कर दिया गया है।

ऐसे में कौन हैं महंत कौशल गिरि और कैसा है इनका क्षेत्र और परिजनों से संपर्क, इन सवालों के जवाब तलाशने के लिए अमर उजाला टीम महंत के पैतृक गांव करोंधना पहुंची।

गांव में लटूरी कहकर बुलाते थे
यहां ग्रामीणों से बातचीत में पता लगा कि कौशल गिरी महाराज की उम्र फिलहाल करीब 38 साल है। उनका गांव का नाम लटूरी था। उनके पिता का नाम बंगाली रघुवंशी और मां का नाम आशा देवी था। दोनों का देहांत हो चुका है। वह 6 साल की उम्र से ही पूजा पाठ में लीन रहते थे।

बचपन से रखते थे धार्मिक भाव
गांव के ही एक मंदिर पर अपने गुरु नरसिंह गिरी के साथ पूजा अर्चना करते थे। वह बचपन से ही धार्मिक भाव रखते थे। कुछ समय बाद ही वह घर परिवार और गांव छोड़कर चले गए। महाराज के बारे में लोगों के पास कोई खास जानकारी तो नहीं मिली लेकिन गांव के लोग आज भी कौशल गिरी महाराज पर आस्था रखते हैं।

पिता की मौत पर भी नहीं आए
उनके भाई बंटी का कहना है कि वह पिताजी की मौत के बाद भी घर नहीं आए और ना ही उनका कोई भाव परिवार के प्रति रहा। बताया कि सुखबीर,भीम सिंह सहित हम तीनों भाई मजदूरी करते हैं। गांव के मंदिर पर रहने वाले महंत रामगिरी बाबा ने बताया कि कौशल गिरी बाबा आखिरी बार जून, 2024 में आए थे। रात भर मंदिर पर रुके थे।

कई बार मंदिर पर आए
बीते 10 साल में तीन से चार बार मंदिर पर आए हैं। रिश्ते के चाचा रमेश सिंह का कहना है कि बाबा का कोई लगाव गांव के साथ नहीं है। कभी कभार आते हैं, तो मंदिर से ही वापस चले जाते हैं।

सात दिन तक खड़े होकर की पूजा
एक बार भागवत कथा के दौरान उन्होंने लगातार सात दिन तक खड़े होकर पूजा अर्चना की थी। ग्रामीण और परिजनों की जानकारी में तो यह तक नहीं है कि फिलहाल बाबा कहां पर रहते हैं, कहां उनका आश्रम है।