रायबरेली-धूमधाम से मनाई गई ईद-ए-गदीर

रायबरेली-धूमधाम से मनाई गई ईद-ए-गदीर

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        रिपोर्ट-सागर तिवारी

..... कहीं गदीर सा मिंबर मिले तो ले आओ 


ऊंचाहार -रायबरेली - मुस्लिम महीना बकरीद की 18 तारीख यानी मंगलवार को शिया मुसलमानों ने ईद-ए-गदीर का त्योहार धूमधाम और अकीदत के साथ मनाया। इस मौके पर लोगों ने नए कपड़े पहने और एक दूसरे को मुबारकबाद पेश की। इसके बाद दुआओं का सिलसिला चला। अकीदतमंदों ने रोजा भी रखा।
             इस मौके पर ऊंचाहार कस्बा के मस्जिद नूर मियां में महफिल हुई। इस महफिल में मकामी शायरों ने हजरत अली अ. की शान में कसीदे पढ़े।  ताबिश हैदर ने पढ़ा कि - नबी के बाद तो रहबर बना दिए लेकिन, कहीं गदीर सा मिंबर मिले तो ले आओ, अली की बात बड़ी है अली तो मौला हैं, जवाब ए हजरत कंबर मिले तो ले आओ।महफिल के बाद मौलाना हसनैन मुस्फाबादी ने अपनी तकरीर में गदीर का वाकया बयान किया। उन्होंने बताया कि जिल हज की 18 तारीख को पैगंबर-ए-अकरम हज के बाद वापस लौट रहे थे। गदीर खुम के मैदान में सारे हाजियों को रोका गया। ऊंट की काठियों का मिंबर बनाया गया। इस पर आकर पैगंबर ए अकरम हजरत मुहम्मद मुस्तफा स. ने अपने हाथों पर हजरत अली को उठाया और बोले- मन कुंतो मौला हो फ हाजा अलीयुन मौला। जिस जिस का मैं मौला उसके ये अली मौला। इस तरह, नबी करीम ने हजरत अली अ. की विलायत और खिलाफत का एलान कर दिया।  तभी एक हारिस नाम का शख्स मजमे से निकला और बोला कि ऐ पैगंबर ए अकरम अगर आपने हजरत अली अ. को हम सबका सरदार और खलीफा बनाने का एलान अपनी तरफ से किया है तो आप पर अजाब नाजिल हो और अगर खुदा के हुक्म से किया है तो मुझ (हारिस) पर अजाब नाजिल हो।  उसी वक्त आसमान से एक बड़ा सा पत्थर आया और हारिस उस अजाब का शिकार हो कर फना हो गया। इस मौके पर प्रमुख रूप से डा अजहर अब्बास नक़वी , वजीर हैदर , आदिल नक़वी, तुराब अख्तर नक़वी,  आरिफ हुसैन, अज़ादार हुसैन,  हसन अब्बास (बादल), हैदर अब्बास,  रिज़वान, अशरफ हुसैन असद , शाजू नकवी आदि मौजूद थे ।